बच्चों के लिए आवश्यक शिष्टाचार जो आपको अभी से सिखाने चाहिए

बच्चों के लिए आवश्यक शिष्टाचार जो आपको अभी से सिखाने चाहिए

शिष्टाचार हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। शिष्टाचार इंसान को एक बेहतर मूल्यों और सिद्धांतों से परिपूर्ण बनाता है। बच्चों के लिए शिष्टाचार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि बच्चों का कोमल मन किसी भी चीज को सीखने की दिशा में सबसे जल्दी कार्य करता है।

मां-बाप को अपने बच्चों को संस्कार (Good habits) सिखाने के साथ-साथ उन्हें शिष्टाचारी भी बनाना चाहिए ताकि बच्चे समाजिक और व्यवहार कुशल बन सके। मां बाप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे परंतु साथ के साथ उनके द्वारा की जाने वाली गलतियां उनको बताए और उन्हें सुधारने का प्रयास करें। तो चलिए जानते हैं कि शिष्टाचार क्या होता है और बच्चों के लिए दस जरूरी शिष्टाचार (Basic Etiquettes for Kids)।

 

शिष्टाचार क्या होता है? (What is Etiquettes in Hindi)

दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार, घर आने वाले का आदर करना, आवभगत करना, बिना द्वेष और नि:स्वार्थ भाव से किया गया सम्मान शिष्टाचार कहलाता है ।शिष्टाचार की शिक्षा परिवारिक शिक्षा होती है जो बच्चों की जिंदगी पर बहुत प्रभाव डालती है।

शिष्टाचार का अंकुर बच्चे के हृदय में बचपन से बोया जाना चाहिए ताकि इसके बाद इसका विकास छात्र जीवन में हो सके। आपको बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर समझाना चाहिए और बच्चों को बुरी संगति से भी बचाना चाहिए। छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिसे आप किसी भी रूप में ढाल सकते हैं। इसलिए आप उन्हें अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार (Good Habits) के साथ-साथ उन्हें शिष्टाचार भी सिखाएं।

 

बच्चों के लिए 10 आवश्यक शिष्टाचार (10 Basic Etiquettes for Kids in Hindi)

खाने के लिए शिष्टाचार (Eating Etiquettes in Hindi)

#1. खाना खाने का तरीका (Way of eating)

सबसे पहले आप अपने बच्चों को खाने का तरीका सिखाएं। खाने का सही तरीका शिष्टाचार का एक अहम हिस्सा है। खाने की सही आदतें और शिष्टाचार निम्न हैंः

  • बच्चों को बताएं कि वे छोटे-छोटे टुकड़े करके व उसको चबाकर और खाते वक्त मुंह बंद करके खाए।
  • खाते वक्त और पानी पीते वक्त ध्यान रखें कि आवाज ना हो।
  • वह प्लेट में उतना ही खाना रखें जितना कि वे खा सकें ताकि खाना बर्बाद ना हो।
  • खाना खाते समय बातें ना करें और उन्हें बताएं कि खाना खाते समय कई बार खाना मुंह के बाहर लग जाता है तो मुंह को साफ रखें।
  • अगर आप बच्चों को कहीं बाहर खाने के लिए लेकर जाते हैं या फिर किसी पार्टी या फंक्शन में लेकर जाती है तो बच्चे वहां पर गलत तरीके से खाते हैं क्योंकि बच्चे को कौन सी चीज कैसे खानी है, यह उन्हें पता नहीं होता हैं।
  • आपको बच्चों को बार-बार खाने के बारे में ना बताना पड़े इसलिए आप उन्हें घर पर ही टेबल मैनर्स सिखाएं ताकि बाहर आपके बच्चे शिष्टाचारी कहलाए।

 

#2. खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना (Wash hands before and after having food)

जितना जरूरी बच्चों को टेबल मैनर्स सिखाना है उतना ही जरूरी है कि बच्चों को खाने से पहले और बाद में हाथ धोना सिखाया जाए।

  • हमेशा खाना खाने से पहले और खाना खाने के बाद हाथ और मुंह धोने की आदत डालें।
  • बचपन से ही यह आदत डालें कि वह खाना खाने के बाद अपनी प्लेट खुद उठाएं।

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अभिवादन के शिष्टाचार (Introduction Etiquettes)

#3. अभिवादन करना सिखाये (Greeting others)

आपके बच्चे को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता इसलिए आप उन्हें छोटी-छोटी बातें बचपन से ही सिखाना शुरू कर दे। जैसे कि अगर घर पर कोई मेहमान आता है तो उन्हें कैसे पेश आना चाहिए। तो चलिए जानते हैं बच्चों को किसी को ग्रीट या मिलने समय किस प्रकार के  शिष्टाचार सिखाने चाहिएः 

  • तो अक्सर बच्चे अपने खेल में ही मस्त रहते हैं परंतु आप उन्हें समझाएं कि वह घर पर आने वाले मेहमान को हंसकर नमस्ते कहे। अपनी जगह पर बैठे ना रहे बल्कि खड़े होकर उनका अभिवादन करें
  • आजकल ज्यादातर मेहमान छोटे बच्चों के साथ भी हाथ मिलाना पसंद करते हैं तो आप अपने बच्चों को हैंडशेक करना सिखाए और यह बोलना भी सिखाएं कि आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई।
  • बच्चों को यह भी सिखाये कि वे मेहमानों के सामने चुपचाप बैठे ना रहे बल्कि उनके कुछ पूछने पर जवाब दें।

 

बातचीत का तरीका (Talking Etiquettes)

#4. बातचीत का सलीका

अक्सर हमने देखा है कि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बड़ों की बात सुनकर भी अनसुना कर देते हैं जिससे मां-बाप का अपमान होता है। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को बडों या दूसरों से बातचीत करते हुए किन सलीकों का ध्यान रखना चाहिएः

  • तो आप बच्चों को बचपन से ही यह समझाएं कि बड़ों की बात को ध्यान से सुने और उसमें रूचि दिखाएं। यह उनके प्रति आदर दिखाने का एक तरीका है और उन्हें यह भी समझाएं कि अगर जब दो बड़े बात करते हैं तो उन्हें बीच में ना टोके।
  • आप उन्हें यह भी बताएं कि अगर वह फोन पर भी किसी से बात करते हैं तो पहले अपना परिचय दें फिर सामने वाले का परिचय ले।
  • अगर सामने कोई बड़ा बोल रहा हो तो पहले उन्हें नमस्ते करें फिर आगे कोई बात करें।

#5. गलत भाषा का प्रयोग ना करें (Don’t use abusive words)

छोटे बच्चे अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते हैं और गुस्सा भी करते हैं जिसके कारण वे कई बार अपशब्दों का प्रयोग करना सीख जाते हैं जो आगे चलकर एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। बच्चों को यह आदतें भी अवश्य सिखाएंः

  • माता-पिता होने के नाते आप उनकी यह एक छोटी सी गलती नजरअंदाज ना करें बल्कि उन्हें पहली बार में ही गलती करने पर समझाएं कि वह कभी भी अपने माता-पिता से कुछ ना छुपाए और हमेशा सच बोले और कभी भी गुस्से में आकर गाली-गलौच ना करें।
  • साथ ही बच्चों को यह भी सिखाएं कि किसी से कोई सवाल पूछते समय कृपया बोले और किसी से कुछ पाने के बाद धन्यवाद कहने को कहें। यह छोटी-छोटी बातें होती हैं परंतु यह चरित्र निर्माण में बहुत प्रभाव डालती हैं।

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स्कूल एटिकेट्स (School Etiquettes for Kids in Hindi)

#6. स्कूल में आचरण (Behaviour in school)

आप माता-पिता होने के नाते बच्चों को यह भी सिखाएं कि उन्हें अध्यापकों से कैसे बात करनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को स्कूल के शिष्टाचार कौन से शिष्टाचार सिखाएंः

  • उन्हें बताएं कि वे टीचर से बात करते समय हमेशा सीधे खड़े हो। अगर टीचर्स उन्हें उनकी कोई समस्या या गलती बता रहे है तो उन्हें धन्यवाद जरूर बोले। इसके अलावा आप बच्चों को यह भी बताएं कि उन्हें स्कूल के किसी भी कार्यक्रम या असेंबली में दोस्तों के साथ मिलकर शोर नही मचाना है। उन्हें समझाएं कि कार्यक्रम को खास बनाने के लिए बहुत से लोगों की मेहनत लगती है। अगर वे किसी के घर पर भी जाते हो तो वहां ज्यादा शरारत ना करें। उन्हें बताये कि वे शांति से खुद भी इंजॉय करें और औरों को भी करने दे और किसी भी स्थिति में अन्य लोगों का उपहास ना करें।

सोशल एटीकेट्स (Social Etiquettes for Kids in Hindi)

#7. खांसना और छींकना (Cough and Sneeze)

आप बच्चों को यह भी सिखाएं कि खांसते समय या छींकते समय हमेशा मुंह पर रुमाल या हाथ रखे। दुसरो के सामने बिना हाथ या रुमाल रखें छींकना बहुत गलत होता हैं। इसके अलावा उन्हें यह भी बताये कि सबके सामने अपने मुंह में उंगली भी ना डालें और ना ही नाखुनो को चबाये।

 

#8. दूसरो के घर जाना (Going to others home)

आप बच्चों को यह भी बताएं कि वह हमेशा घर पर माता-पिता से पूछकर और क्लास में टीचर से आज्ञा लेकर जाएं। इसके अलावा किसी के भी घर के अंदर जाने से पहले दरवाजे पर दस्तक दे या डोर बेल बजाये। बिना डोर बेल बजाये किसी के घर के अंदर ना जाए और किसी के घर जाकर शांत होकर बैठे। वहां जाकर दूसरों की चीजों को ना इस्तेमाल करे और ना ही ज्यादा शरारत या उधम मचाए।

 

#9. सबसे मिलझुल कर रहना (Be together always)

आप अपने बच्चों को यह भी समझाएं कि वे छोटो पर ज्यादा रोब ना दिखाएं बल्कि उन्हें यह समझाएं कि वह बड़ों के साथ आदर के साथ और छोटों के साथ प्यार से पेश आएं। अगर वे स्कूल में किसी दूसरों का टिफिन खाते हैं तो उन्हें बताएं कि यह गलत है और बताएं कि हमेशा दोस्तों के साथ खाना शेयर करे।

यदि वे घर पर हो तो खिलौने भी अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और बताएं कि शेयरिंग करना बहुत अच्छी आदत है और हमेशा सबसे मिलजुल कर रहे। किसी से भी लड़ाई ना करें बल्कि लड़ाई से दूर ही रहे।

 

#10. दूसरो की मदद करना (Always help others)
बचपन में आप बच्चों में दूसरों की मदद करने की आदत डालें। उन्हें बताएं कि घर हो या बाहर जब भी किसी को उनसे मदद की जरूरत हो तो उनकी मदद अवश्य करें। किसी को भी बेवजह ना सताए। अगर कोई काम अच्छा करता है तो दूसरों की तारीफ करना भी सीखाये।

सबसे महत्वपूर्ण बात बच्चों को जीत के साथ-साथ हार का सामना करना भी सिखाना चाहिए। उन्हें बताएं कि वह अगर किसी चीज से हारते हैं तो वह ना तो उदास होए और ना ही क्रोधित बल्कि उस हार के साथ कुछ सीखें ताकि आगे चलकर वह उसे जीत सके। हमेशा हर काम के लिए हां सुनना और हां बोलना नहीं चाहिए। बच्चों को ना बोलना और ना सुनना भी सिखाएं क्योंकि कुछ बातों में हां बोलना और सुनना सही है तो किसी जगह ना बोलना और सुनना भी उतना ही जरुरी है।

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छोटे बच्चे एक कोरे कागज की तरह होते हैं। आप उन पर जैसे जो लिखोगे वैसा ही वे करेंगे। इसलिए जरूरी होता है कि आप बच्चों को जो शिष्टाचार सिखाने जा जा रहे हैं उनका पहले आप खुद उनका पालन करें। आपको देखकर बच्चे खुद ब खुद सीख यह सब जाएंगे।

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