शिष्टाचार हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। शिष्टाचार इंसान को एक बेहतर मूल्यों और सिद्धांतों से परिपूर्ण बनाता है। बच्चों के लिए शिष्टाचार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि बच्चों का कोमल मन किसी भी चीज को सीखने की दिशा में सबसे जल्दी कार्य करता है।
मां-बाप को अपने बच्चों को संस्कार (Good habits) सिखाने के साथ-साथ उन्हें शिष्टाचारी भी बनाना चाहिए ताकि बच्चे समाजिक और व्यवहार कुशल बन सके। मां बाप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे परंतु साथ के साथ उनके द्वारा की जाने वाली गलतियां उनको बताए और उन्हें सुधारने का प्रयास करें। तो चलिए जानते हैं कि शिष्टाचार क्या होता है और बच्चों के लिए दस जरूरी शिष्टाचार (Basic Etiquettes for Kids)।
दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार, घर आने वाले का आदर करना, आवभगत करना, बिना द्वेष और नि:स्वार्थ भाव से किया गया सम्मान शिष्टाचार कहलाता है ।शिष्टाचार की शिक्षा परिवारिक शिक्षा होती है जो बच्चों की जिंदगी पर बहुत प्रभाव डालती है।
शिष्टाचार का अंकुर बच्चे के हृदय में बचपन से बोया जाना चाहिए ताकि इसके बाद इसका विकास छात्र जीवन में हो सके। आपको बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर समझाना चाहिए और बच्चों को बुरी संगति से भी बचाना चाहिए। छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिसे आप किसी भी रूप में ढाल सकते हैं। इसलिए आप उन्हें अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार (Good Habits) के साथ-साथ उन्हें शिष्टाचार भी सिखाएं।
सबसे पहले आप अपने बच्चों को खाने का तरीका सिखाएं। खाने का सही तरीका शिष्टाचार का एक अहम हिस्सा है। खाने की सही आदतें और शिष्टाचार निम्न हैंः
जितना जरूरी बच्चों को टेबल मैनर्स सिखाना है उतना ही जरूरी है कि बच्चों को खाने से पहले और बाद में हाथ धोना सिखाया जाए।
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आपके बच्चे को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता इसलिए आप उन्हें छोटी-छोटी बातें बचपन से ही सिखाना शुरू कर दे। जैसे कि अगर घर पर कोई मेहमान आता है तो उन्हें कैसे पेश आना चाहिए। तो चलिए जानते हैं बच्चों को किसी को ग्रीट या मिलने समय किस प्रकार के शिष्टाचार सिखाने चाहिएः
अक्सर हमने देखा है कि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बड़ों की बात सुनकर भी अनसुना कर देते हैं जिससे मां-बाप का अपमान होता है। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को बडों या दूसरों से बातचीत करते हुए किन सलीकों का ध्यान रखना चाहिएः
छोटे बच्चे अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते हैं और गुस्सा भी करते हैं जिसके कारण वे कई बार अपशब्दों का प्रयोग करना सीख जाते हैं जो आगे चलकर एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। बच्चों को यह आदतें भी अवश्य सिखाएंः
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आप माता-पिता होने के नाते बच्चों को यह भी सिखाएं कि उन्हें अध्यापकों से कैसे बात करनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि बच्चों को स्कूल के शिष्टाचार कौन से शिष्टाचार सिखाएंः
आप बच्चों को यह भी सिखाएं कि खांसते समय या छींकते समय हमेशा मुंह पर रुमाल या हाथ रखे। दुसरो के सामने बिना हाथ या रुमाल रखें छींकना बहुत गलत होता हैं। इसके अलावा उन्हें यह भी बताये कि सबके सामने अपने मुंह में उंगली भी ना डालें और ना ही नाखुनो को चबाये।
आप बच्चों को यह भी बताएं कि वह हमेशा घर पर माता-पिता से पूछकर और क्लास में टीचर से आज्ञा लेकर जाएं। इसके अलावा किसी के भी घर के अंदर जाने से पहले दरवाजे पर दस्तक दे या डोर बेल बजाये। बिना डोर बेल बजाये किसी के घर के अंदर ना जाए और किसी के घर जाकर शांत होकर बैठे। वहां जाकर दूसरों की चीजों को ना इस्तेमाल करे और ना ही ज्यादा शरारत या उधम मचाए।
आप अपने बच्चों को यह भी समझाएं कि वे छोटो पर ज्यादा रोब ना दिखाएं बल्कि उन्हें यह समझाएं कि वह बड़ों के साथ आदर के साथ और छोटों के साथ प्यार से पेश आएं। अगर वे स्कूल में किसी दूसरों का टिफिन खाते हैं तो उन्हें बताएं कि यह गलत है और बताएं कि हमेशा दोस्तों के साथ खाना शेयर करे।
यदि वे घर पर हो तो खिलौने भी अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और बताएं कि शेयरिंग करना बहुत अच्छी आदत है और हमेशा सबसे मिलजुल कर रहे। किसी से भी लड़ाई ना करें बल्कि लड़ाई से दूर ही रहे।
#10. दूसरो की मदद करना (Always help others)
बचपन में आप बच्चों में दूसरों की मदद करने की आदत डालें। उन्हें बताएं कि घर हो या बाहर जब भी किसी को उनसे मदद की जरूरत हो तो उनकी मदद अवश्य करें। किसी को भी बेवजह ना सताए। अगर कोई काम अच्छा करता है तो दूसरों की तारीफ करना भी सीखाये।
सबसे महत्वपूर्ण बात बच्चों को जीत के साथ-साथ हार का सामना करना भी सिखाना चाहिए। उन्हें बताएं कि वह अगर किसी चीज से हारते हैं तो वह ना तो उदास होए और ना ही क्रोधित बल्कि उस हार के साथ कुछ सीखें ताकि आगे चलकर वह उसे जीत सके। हमेशा हर काम के लिए हां सुनना और हां बोलना नहीं चाहिए। बच्चों को ना बोलना और ना सुनना भी सिखाएं क्योंकि कुछ बातों में हां बोलना और सुनना सही है तो किसी जगह ना बोलना और सुनना भी उतना ही जरुरी है।
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छोटे बच्चे एक कोरे कागज की तरह होते हैं। आप उन पर जैसे जो लिखोगे वैसा ही वे करेंगे। इसलिए जरूरी होता है कि आप बच्चों को जो शिष्टाचार सिखाने जा जा रहे हैं उनका पहले आप खुद उनका पालन करें। आपको देखकर बच्चे खुद ब खुद सीख यह सब जाएंगे।
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