भारतीय परंपरा बेहद विविध है। यहां कुल 16 संस्कारों के अतिरिक्त मां और बच्चे को कई अन्य परंपराओं का भी वहन करना होता है। भारतीय परंपरा और उससे जुड़ी कई अहम बातों को जानने के लिए इस मंच से जुड़े रहें।
आज भी कई लोग मुंडन शुभ मुहूर्त व पंडित आदि से दिखा कर ही करते हैं। मुंडन को चौल मुंडन, चौल कर्म, चूड़ाकर्म संस्कार इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। अगर आप साल 2020 में मुंडन कराना चाहते हैं तो नीचे दिए गए शुभ मुहूर्तों को देख सकते हैं।
यहां हम यह अवश्य बता दें कि मंत्र एक प्रार्थना का हिस्सा है। मंत्र योग व ध्यान लगाने के लिए भी बेहतर माने जाते हैं। आप चाहें तो खुद योगा करते हुए इन मंत्रो का जाप कर सकती हैं।
बच्चों का नामकरण करना माता-पिता के लिए सबसे मुश्किल काम होता है क्योंकि बच्चा पूरी जिंदगी उसी नाम से पहचाना जायेगा। बच्चों का नाम उसके जीवन और उसके व्यक्तित्व को कुछ हद तक प्रभावित करता है।
हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के बाद एक बार उसका मुंडन करवाना अनिवार्य माना जाता है। आज हम आपको बच्चों के मुंडन से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण बातों को बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप को भी पता लगेगा कि बच्चों का मुंडन क्यों जरूरी है?
हिंदू धर्म में हमारे पूर्वजों के समय से चलती आ रही प्राचीन परंपरा और मान्यताएं आज भी हमारे जीवन का हिस्सा हैं। इन्हीं मान्यताओ में से एक हैं बच्चों को बुरी नजर लगना (Bachchon ko Buri Nazar Lagna)।
बचपन से लेकर कंस के वध और महाभारत के युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए भगवान श्री कृष्ण ने पूरे विश्व को श्री मद्भ भागवत गीता का ज्ञान दिया था जिसे हम आज भी पढ़ते हैं।
संस्कारों का सिलसिला गर्भाधान से शुरू हो जाता हैं और व्यक्ति कि अंत्येष्टि तक चलता हैं। इन्हीं 16 संस्कारों में से गोद भराई रसम (Godh bharai Rasam) भी एक हैं और यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं।
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान केसर वाला दूध (Kesar Wala Dudh) पीने से दूध की पौष्टिकता और बढ़ जाती है और मान्यता है कि इससे होने वाले बच्चों का रंग भी निखरता है।
कान छिदवाना हमारी हिंदू संस्कृति की एक प्राचीन परंपरा हैं। हिंदू धर्म के मुताबिक कान छिदवाना (ear piercing in hindi) सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना जाता हैं।
चौथे महीने में आपका पेट दिखने लग जाता है और लोग भी पूछने लग जाते हैं। इस समय आप भी यह सोचने लग जाती है कि आपके पेट में लड़का है या लड़की (Pet mein Lakda hai Ya Ladki)।
बच्चों को रोगों से बचाना हमारे संस्कार व परंपरा का काफी समय से एक अभिन्न अंग रहा है जिसका सभी को ज्ञान नहीं है। सुवर्णप्राशन संस्कार (Suvarnaprashan Sanskaar) हमारी उसी प्राचीन इतिहास की धरोहर है जो हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक भी है।
हर माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे को बेहतर आहार और पोषण मिले। हमारे हिंदू धर्म में बच्चों के जन्म के बाद कई तरह के रीति-रिवाज और संस्कार किए जाते हैं। उन्ही संस्कारों में से एक संस्कार है मुंडन का संस्कार (Mundan Sanskar)।
आपने बड़ी हस्तियों की गोद भराई के बारे में सुना और उनकी तस्वीरों को तो देखा ही होगा। जैसे हाल ही में टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा ने गोद भराई को पाजामा पार्टी के रूप में मनाया।
गर्भ संस्कार (Garbh Sanskar) से शिशु में अच्छे संस्कारों की उत्पत्ति होती है जिससे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ शिशु के साथ-साथ एक श्रेष्ठ और कर्मठ नयी पीढ़ी का निर्माण होता है।
जब बच्चा पैदा होता है तो कई बार उसके शरीर पर कुछ अलग दिखने वाले निशान होते हैं जिन्हें जन्म चिन्ह (Birth Mark) कहा जाता है और आगे चलकर कई बार यह निशान उनकी पहचान बन जाते हैं।