एक मां के लिए प्रेगनेंसी और प्रेगनेंसी के बाद दोनों ही समय अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी होता है। मां के स्वास्थ्य, लाइफस्टाइल, ब्यूटी टिप्स आदि से ज़ुड़े लेख, वीडियो, फोटो ब्लॉग आदि एक ही स्थान पर यहां पाएं।
इन छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में रखकर आप अपने मासिक धर्म के दिनों को भी अन्य दिनों की तरह खुशनुमा और आसान बना सकती हैं। तो आएं जानते हैं कुछ बातें जो मासिक धर्म के समय हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए
प्रेगनेंसी के दौरान क्या-क्या खायें कब खायें और कितनी मात्रा में, ये जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती हैं। जानें प्रेगनेंसी के दौरान किन पोषक तत्वों की जरुरत है और आप उन्हें कैसे पूरा कर सकते हैं।
नवजात बच्चों को स्तनपान करवाने से केवल बच्चों को ही नहीं माँओं को भी बहुत लाभ होते हैं। जिसमें से सबसे बड़ा है कि स्तनपान महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम करता है।
प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला को अपने खान-पान को ध्यान में रखना जितना जरूरी होता है उतना ही जरूरी होता हैं स्तनपान कराने वाली महिला के लिए भी। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने खान-पान का ध्यान रखना ज्यादा जरूरी हो जाता हैं।
गर्भ में पल रहे बच्चे को बाहरी प्रदूषण से उसी प्रकार खतरा रहता है जैसे बाकि बच्चों को होता है। आजकल बढ़ते वायु प्रदूषण में तो यह स्थिति और भी खराब हो गई है।
महिला नसबंदी को ट्यूबेक्टोमी या ट्यूबल लिगेशन या फीमेल स्टरलाइजेशन (Female Sterilization) आदि भी कहा जाता है। महिला नसबंदी कराने से पहले इसके बारे में आपको पूरी तरह से पता होना चाहिए।
मां बनना हर महिला के लिये एक बहुत ही प्यारा एहसास होता हैं। लेकिन 9 महीने बच्चे को पेट में रखना माँ के लिए आसान नहीं होता क्योंकि इस दौरान शरीर में कई प्रकार के बदलाव और शारीरिक परेशानियां होती हैं। इन सब के बाद आता है बच्चे के होने का समय जो हर महिला
कैंसर का प्रमुख कारण होता है शरीर के किसी अंग में होने वाली कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि। शरीर में नित नई कोशिकाएं बनती रहती हैं और समान रूप से बंट जाती हैं। लेकिन जब यह लगातार वृद्धि करती हैं तो कैंसर का रूप ले लेती हैं।
पीरियड्स को लेकर भारतीय समाज में आज भी संकोच की भावना रहती है। इस प्राकृतिक चीज को लोग काफी बड़ा टैबू समझते हैं। यही वजह है कि कई माता-पिता अपने बच्चों को शुरुआती दौर में इस चीज से रूबरू नहीं कराते।
प्रेगनेंसी के नौ महीने होने वाली माँ को कई सावधानियां (pregnancy care) बरतनी पड़ती है। इस दौरान उसके जीवन में कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन आते हैं।
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान केसर वाला दूध (Kesar Wala Dudh) पीने से दूध की पौष्टिकता और बढ़ जाती है और मान्यता है कि इससे होने वाले बच्चों का रंग भी निखरता है।
माँ का पहला पीला दूध बच्चे के लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि ये अमृत की तरह कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। पर अगर यही माँ का दूध (Maa ka dudh kam hona) बच्चे को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता हैं तो दिक्कत होती है।
खुजली होना एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन गुप्त स्थानों में खुजली एक ऐसी समस्या है जो परेशानी के साथ-साथ पब्लिक में शर्मिंदगी का भी कारण बन सकती है।
सुंदर, स्वस्थ व तंदरुस्त बच्चा पैदा करने के लिए महिला को काफी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जैसे कि गर्भवती महिला क्या खाए और क्या न खाएं क्योंकि इस दौरान मां जो भी खाती हैं उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता हैं।
चिकित्सा की अन्य पद्धतियों की तरह एक्यूप्रेशर इलाज भी एक बेहतरीन पद्धति है। एक्यूप्रेशर (Accupressure) में शरीर के विभिन्न अंगों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग को हटाया जा सकता है।
नियमित रूप से मासिक धर्म आना महिला के स्वस्थ होने का प्रतीक है लेकिन अधिकतर महिलाएं कई बार अनियमित पीरियड (Irregular Periods) का सामना करती हैं।
बाजार में आपको कई दवाइयां मिलेंगी जिनका प्रयोग पीरियड्स जल्दी लाने के लिए किया जाता है परंतु इन दवाइयों का क्या साइड इफेक्ट होगा यह कोई नहीं जानता।
Read Best Food for Breastfeeding Mothers in Hindi. Stanpan ke duarn kya khana chaiye. Stanpaan. Dudh Pilani Wali Maa ko kya khana chaiye. दूध पिलाने वाली मां को क्या खाना चाहिए