आजकल प्रसव के समय कम दर्द के कई विकल्प भी उपलब्ध हैं उन्हीं में से एक है एपिड्यूरल इंजेक्शन (Epidural Injection)। आइये जाने एपिड्यूरल (What is Epidural) और इसके तथ्यों के बारे (Facts of Epidural) में।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली माँ को जो चीज़ सबसे अधिक भयभीत करती है, वो है प्रसव के दौरान होने वाला दर्द (prasav ke dauran dard)। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस समय होने वाला दर्द असहनीय होता है। लेकिन यह भी सच कि यह दर्द सभी महिलाओं को एक समान नहीं होता। हर गर्भवती महिला की यही इच्छा होती है कि डिलीवरी के समय उसे कम से कम दर्द हो।
आजकल महिलाएं एपिड्यूरल का प्रयोग अधिक करने लगी हैं। ऐसा कहा जाता है कि नॉर्मल डिलीवरी करवाने वाली 50 प्रतिशत महिलाये एपिड्यूरल (Epidural Injection) के इस्तेमाल करने को प्राथमिकता देती है। हालाँकि एपिड्यूरल के बारे में सही जानकारी बहुत कम लोगों को है।
यही नहीं इसके बारे में कई अफवाहें भी मौजूद हैं जैसे प्रसव के समय एपिड्युरल का प्रयोग करने से सी-सेक्शन प्रसव की संभावना बढ़ जाती है या इसका स्तनपान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
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एपिड्यूरल एनेस्थेसिया (Epidural anesthesia) का ऐसा इंजेक्शन हैं जिससे डिलीवरी के दौरान होने वाली भयानक पीड़ा को कम करने में मदद मिलती है। इस इंजेक्शन को रीढ़ की हड्डी में लगाया जाता है और इसके प्रयोग से शरीर का यह हिस्सा सुन्न हो जाता है। इसका प्रभाव पेट, पेल्विक एरिया और पैरों पर पड़ता है।
एनेस्थेसिया का प्रयोग तब किया जाता है जब महिला की प्रसव पीड़ा उच्च स्तर पर होती है। ऐसा करने से महिला को प्रसव की पीड़ा सहन नहीं करनी पड़ती।
एपिड्यूरल एनेस्थेसिया (Epidural anesthesia) को रीढ़ की हड्डी के खास स्थान पर लगाया जाता है। डॉक्टर पहले रीढ़ की हड्डी में उस स्थान को चेक करता है और रीढ़ की हड्डी के इस स्थान को एंटीसेप्टिक सोल्यूशन से साफ किया जाता है। उस जगह सुई डाली जाती है और इसके बाद उसके बाद इस दवाई को शरीर के अंदर डाला जाता है।
इसके लिए डॉक्टर स्पेशलिस्ट होना चाहिए ताकि वो सही जगह पर इंजेक्शन लगाए। अगर इस इंजेक्शन को सही जगह पर न लगाया जाए तो इसे फिर से लगाना पड़ता है।
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एपिड्यूरल प्रसव के समय होने वाली पीड़ा से राहत पाने का सबसे अच्छा और प्रभावी तरीका है। यही कारण है कि आजकल इसका बहुत प्रयोग किया जा सकता है। गर्भवती महिला इस दौरान संकुचन के बारे में अच्छे से जान पाएंगी लेकिन उसे कोई दर्द नहीं होगा।
अगर होने वाली माँ को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो उसे कम करने में भी एपिड्यूरल मददगार साबित होता है।
अगर प्रसव के दौरान कोई आपातकालीन स्थिति आ जाए, जिसमें होने वाली माँ के सी-सेक्शन प्रसव की संभावना हो, तो उस समय इस इंजेक्शन का प्रयोग एनस्थिसिया के रूप में किया जा सकता है।
एपिड्यूरल के बाद और इसे लगाते हुए कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे बुखार या खुजली, हालाँकि यह स्थायी समस्याएं नहीं हैं। एपिड्यूरल लगाते समय भी अधिक दर्द हो सकता है और इस बात का भी ध्यान रखना बेहद आवश्यक है कि इसे रीढ़ की हड्डी की सही जगह पर लगाया जाए अन्यथा दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
एपिड्यूरल अपना असर दिखाने में समय ले सकता है। अगर इस लगाने के बाद लगभग तीस मिनटों तक महिला का दर्द कम न हो तो इसे दोबारा लगाना पड़ सकता है। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि एपीड्यूरल इंजेक्शन या डिलीवरी का दर्द कम करने वाले इंजेक्शन के कारण डिलीवरी का समय कम से कम एक घंटे तक बढ़ जाता है।
एपिड्यूरल के बाद कुछ मिनटों तक गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन पर भी नजर रखी जाती है ताकि शिशु पर इसका कोई प्रभाव न पड़े। हालाँकि शिशु पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
एपड्यिूरल के कारण प्रसव में अधिक समय लग सकता है। इसके प्रयोग से शिशु को कब पुश करना है माँ को इस बारे में पता नहीं चल पाता जिसके कारण प्रसव में ज़रूरत से अधिक समय लग सकता है।
एपिड्यूरल के प्रयोग से महिलाओं में मूत्र सम्बन्धी समस्याएं भी देखी गयी हैं जैसे मूत्र त्याग में समस्या आना आदि। इसके साथ ही महिलाओं का ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है और टांगों में कमज़ोरी भी इसके कारण आ सकती है।
एपीड्यूरल का शिशु या माँ के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह दवाई केवल प्रसव कम करने के लिए होती है और यह दोनों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
ऐसा माना जाता है कि एपिड्यूरल के प्रयोग से महिलाओं में कमर दर्द की समस्या होती है लेकिन यह सच नहीं है। प्रसव के बाद अधिकतर महिलाओं को कमर दर्द की समस्या से गुजरना पड़ता है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ऐसा एपिड्यूरल के कारण हो ।
एपिड्यूरल के बारे में एक तथ्य यह है कि इसका प्रयोग किसी भी महिला पर नहीं किया जा सकता। डॉक्टर यह निर्धारित करता है कि आपके लिए इसका प्रयोग सही होगा या नहीं।
इसलिए पहले डॉक्टर से सलाह कर लें। इसके साथ ही हर अस्पताल में एपिड्यूरल की सुविधा उपलब्ध नहीं होती और कई अस्पताल इसे 24 घंटे उपलब्ध नहीं कराते।
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इसके साथ एपिड्यूरल का सी-सेक्शन प्रसव या स्तनपान पर प्रभाव से कुछ लेना देना नहीं है। लेकिन जिस महिला को पीठ में कोई इन्फेक्शन है या जो रीढ़ की हड्डी में दर्द या पीठ दर्द जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं उन्हें इन इंजैक्शन को नहीं लेना चाहिए क्योंकि उनके लिए यह खतरे का कारण बन सकता है। प्रसव का दर्द कम करने वाले इस इंजेक्शन को डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
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