अधिकतर बच्चों में पायी जाने वाली मानसिक और शारीरिक परेशानियों का बड़ा कारण है उनका शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना। अगर हमारे बच्चे ही स्वस्थ नहीं रहेंगे तो आने वाला भविष्य कैसा होगा? इसके लिए अपने बच्चों की खेल के प्रति रूचि पैदा करना बेहद आवश्यक है।
इसका एक उपाय है खेल चाहे इंडोर हो या आउटडोर आप अपने बच्चों को कंपनी दें। अपने अनुभवों को उनके साथ शेयर करें। खेलने से बच्चे न केवल स्वस्थ रहते हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है। आज हम आपको बच्चों के साथ खेलने के कुछ टिप्स (Tips to Play With Kids) दे रहे हैं ताकि बच्चा आपके साथ सुरक्षित महसूस करे और उसकी खेल के प्रति दिलचस्पी भी बढे।
क्यों जरूरी है बच्चों के साथ खेलना
बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें आप किसी भी आकार में ढाल सकते हैं। यही कारण है कि बच्चों को ईश्वर का दूसरा रूप भी कहा जाता है। लेकिन आजकल के बच्चों का बचपन बेहद चिंताजनक है। अब बच्चे बाहर गलियों और आंगन में खेलते हुए दिखाई नहीं देते बल्कि मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर ने उनके खिलौनों व दोस्तों का रूप ले लिया है।
मुझे याद है जब हम बच्चे हुआ करते थे, उस समय आस-पड़ोस के सब बच्चे मिलकर खेला करते थे लेकिन अब यह तस्वीर बिलकुल बदल चुकी है। यही कारण है कि इस नए युग में बच्चे शारीरिक और मानसिक परेशानियों से अधिक गुजर रहे हैं। अब छोटे-छोटे बच्चों में तनाव, डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियां देखने को मिल रही हैं। हमारे देश और समाज के लिए यह तस्वीर बेहद भयानक है।
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आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता के पास अपने बच्चों के साथ खेलने तो क्या, सही से बात करने का भी समय नहीं है। इसीलिए छोटे बच्चे डिप्रेशन, तनाव जैसी गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं और इसके कारण बच्चे बाहर जाने, खेलने यहाँ तक कि अन्य लोगों से बातचीत करने में भी कतराते हैं।
अपने बच्चे पर पूरा ध्यान देने के लिए आप बच्चे के साथ खेलने में कुछ समय बिताएं। बच्चे के साथ खेलकर न केवल आप उनके करीब आएंगे बल्कि बच्चा भी खुद को सुरक्षित महसूस करेगा। कोई भी खेल खेलते समय बच्चे पर पूरा ध्यान दें। उसकी बातों को ध्यान से सुनें और उसका मार्गदर्शन करें। इससे बच्चे को अच्छा महसूस होगा।
बच्चा चाहे बड़ा हो या छोटा, कोई भी खेल खेलते हुए बच्चे को निर्णय लेने दें। कौन सा खेल खेलना है, कहाँ खेलना है और कैसे खेलना है सब बच्चे को निर्धारित करने दें। इससे बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता में विकास होगा और बच्चा अपनी रचनात्मकता का भी प्रयोग करेगा। खेल में अपने कल्पनाओं का प्रयोग करने से बच्चों के कौशल, समस्याओं को स्वयं हल करने की भावना और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि खेल बच्चे के लिए बिल्कुल सुरक्षित हो।
बच्चे की उम्र के अनुसार खेल चुने जैसे अगर बच्चा बहुत छोटा है तो आप उसे पार्क में ले जाएँ, वहां उसके खिलौनों या झूलों के साथ खेलें। अगर बच्चा बड़ा है तो आप उसके साथ क्रिकेट, शतरंज, फुटबॉल जैसे खेल भी खेल सकते हैं। छोटी लड़कियों को गुड़ियों और घर-घर जैसे खेल खेलना पसंद होता है इसलिए उनके साथ उनके इन खेलों को खेल कर देखें। इससे उनके साथ-साथ आपको भी एक नया अनुभव होगा।
खेल में अगर बच्चा कुछ अच्छा करता है या अच्छा करने की कोशिश करता है तो उसकी तारीफ करना न भूलें। उसे प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से बच्चे की और भी बेहतर प्रदर्शन करने की इच्छा में बढ़ोतरी होगी।
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बच्चे के साथ खेलने के लिए अपने व्यस्त जीवन में से पर्याप्त समय निकालें। रोज़ नहीं तो सप्ताह में एक दिन अपने बच्चे के लिए निकालें। इनडोर या आउटडोर दोनों खेल खेलें। अगर हो सके तो बच्चे को घर से बाहर किसी पार्क या खेलने वाली जगह ले जाएँ। बच्चे के साथ अपने अनुभव सांझे करना न भूलें। उन्हें बताएं कि आप जब छोटे थे तब कौन-कौन से खेल खेला करते थे। ऐसा करने से बच्चे को आपके बारे में अधिक जानने को मिलेगा।
गलतियां हमें जीवन की नई सीख देती है और बच्चों के लिए भी गलतियां करना बहुत आवश्यक है क्योंकि यही गलतियां उन्हें जीवन के अनुभव और सबक देकर जाएंगी। बच्चे अगर खेलते हुए कोई गलतियां करते हैं तो उन्हें डांट कर या गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से समझाएं।
बच्चों को कभी भी दूसरे बच्चों के साथ तुलना न करें चाहे वो जीवन का कोई भी मुद्दा हो। हर एक बच्चा अलग होता है और उसके अपने अलग कौशल और क्षमताएं होती हैं। खेलते हुए भी बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना न करें। ऐसा करने से बच्चों में हीन भावना आएगी जिससे वो अपना आत्मविश्वास खो सकता है या हो सकता है कि वो भविष्य में आपसे या अन्य बच्चों के साथ खेलने के लिए तैयार न हों।
बच्चों के साथ अपना बचपन जीएं। अपने बच्चे के साथ आप भी बच्चा बन जाएँ। कभी-कभी बच्चों के साथ उन्ही की तरह व्यवहार करना न केवल जीवन को मजेदार बनाता है बल्कि सबको कुछ न कुछ नया सिखाता है। छुट्टी वाले दिन पूरा परिवार कोई खेल खेले।
अगर आप दिन में पंद्रह मिनट भी अपने बच्चे के साथ खेलते हैं तो इससे न केवल आप और आपका बच्चा खुश होंगे बल्कि आपका बच्चा भी अनुशासित बनेगा, यही नहीं आप दोनों का पूरा दिन भी हंसी-खुशी बीतेगा। इससे बच्चे की कुछ भी सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी और उसमे खेल भावना का भी विकास होगा।
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