बच्चे का ख्याल रखना तब नहीं शुरू होता जब इस दुनिया में आता है बल्कि उसका ख्याल तभी से रखना होता है जब वह मां के पेट में होता है। बच्चा स्वस्थ है या नहीं यह जानने का एक प्रमुख पैमाना भ्रूण का वजन भी है। प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड के द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन मापा जाता है। अमूमन डॉक्टर गर्भावस्था के 5, 6 या 7 वें महीने में यह बता देते हैं कि पेट में पल रहे बच्चे का वजन कितना है और होना चाहिए? अगर यह वजन इससे अधिक कम हो तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह पर काम करना चाहिए। आइयें जानें कि गर्भ में बच्चे का वजन कितना होना चाहिए या गर्भ में बच्चे का वजन चार्ट और गर्भ में बच्चों का वजन कैसे बढ़ाया जाए (Tips to Increase Fetus Weight During Pregnancy) ?
भ्रूण के शरीर का विकास तीसरी तिमाही यानि छठे महीने तक इस स्तर पर पहुंच जाता है जहां से वजन का पता लगाना आसान हो। इससे पहले वजन पर डॉक्टर नजर अवश्य रखते हैं परंतु उससे किसी निर्णय पर लेने से बचते हैं। लेकिन छह माह की प्रेगनेंसी के बाद भी बच्चे का वजन बेहद कम हो तो वह प्री-मेच्योर डिलीवरी का कारण बन सकता है जिससे बचने के लिए डॉक्टर छठे महीने के बाद मां को आहार में बदलाव लाने की सलाह दे सकते हैं। नीचे दिए गए गर्भ में बच्चे का वजन चार्ट की सहायता से आप जान सकते हैं कि गर्भ में पल रहे बच्चे या भ्रूण का वजन कितना होना चाहिएः
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यहां गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन सप्ताह दर सप्ताह यानि वीक टू वीक दिया गया है (Fetus Weight Chart Week by Week):
Week | Size – head to bum | Weight |
21 | 26,7 cm | 360 gram |
22 | 27,8 cm | 430 gram |
23 | 28,9 cm | 501 gram |
24 | 30,0 cm | 600 gram |
25 | 34,6 cm | 660 gram |
26 | 35,6 cm | 760 gram |
27 | 36,6 cm | 875 gram |
28 | 37,6 cm | 1005 gram |
29 | 38,6 cm | 1153 gram |
30 | 39,9 cm | 1319 gram |
31 | 41,1 cm | 1502 gram |
32 | 42,4 cm | 1702 gram |
33 | 43,7 cm | 1918 gram |
34 | 45,0 cm | 2146 gram |
35 | 46,2 cm | 2383 gram |
36 | 47,4 cm | 2622 gram |
37 | 48,6 cm | 2859 gram |
38 | 49,8 cm | 3083 gram |
39 | 50,7 cm | 3288 gram |
40 | 51,2 cm | 3462 gram |
41 | 51,7 cm | 3597 gram |
42 | 51,5 cm | 3685 gram |
43 | 51,3 cm | 3717 gram |
यहां आपको यह जानना भी आवश्यक है कि हर बच्चा अलग होता है। उपरोक्त तालिका एक आदर्श अवश्य है लेकिन व्यक्ति दर व्यक्ति यह भिन्न भी हो सकती है। इसलिए चिंता की आवश्यकता नहीं है। अगर आपको लगे कि आपके आने वाले बच्चे का वजन (Bachche ka Wajan) कम है तो पहले डॉक्टर से सलाह लें और अपने आहार पर ध्यान दें। चलिए अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी में बच्चे का वजन कैसे बढ़ाए (pregnancy me baby ka weight kaise badhaye)?
गर्भावस्था के सातवा, आठवा और आखिरी तिमाही दर्शाता है कि थोड़े ही समय बाद आपका बच्चा आपके हाथों में होगा। इसलिए आपको अपना ज्यादा ध्यान रखना होता है। जब आप अपने गर्भावस्था के सातवें महीने में होती है तब आपका खानपान आपके शिशु के हिसाब से होना चाहिए। उनके सही और स्वस्थ विकास के लिए आपको हर रोज संतुलन मे खाना खाना होगा क्योंकि इस समय में गर्भाशय आपके पेट में अपनी जगह बनाने लगता है। इस समय में आपके आहार में भरपूर मात्रा में आयरन और प्रोटीन के साथ कैलशियम, मैग्निशियम, फाइबर, फोलिक एसिड और डी एच ए की भरपूर मात्रा होनी चाहिए। तेज नमक और ज्यादा मीठे वाले खाने से दूर रहे।
इस समय में आपके शिशु का शरीर और त्वचा काफी हद तक बन चुकी होती है और गर्भाशय भी पहले के मुकाबले बढ़ने लगता है। इस महीने आपको थोड़े-थोड़े समय बाद थोड़ा खाने का सेवन करना चाहिए। डिलीवरी के दौरान खून की कमी ना हो इसके लिए आपको वह चीजें ज्यादा खानी चाहिए जिनमें विटामिन, मिनरल, आयरन और कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है। आप अच्छी मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स और फाइबर का सेवन करें। फैटी फूड्स, कैफीन, सोफ्ट चीज, कच्चा या अधपका अंडा का सेवन ना करें। आठवें महीने में इन सब चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और जैसे कि आप देख रही होंगी कि आपका वजन भी बढ़ रहा है। ऐसे में आपको थोड़ी बहुत एक्सरसाइज जैसे कि चलना, फिरना और योगा का सहारा लेना चाहिए।
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प्रेगनेंसी के अंतिम समय में बच्चे का वजन वजन 2.5 से 3 किलो होता है। कई बच्चे तो 3 से 5 किलो के भी पैदा होते हैं। ऐसे बच्चे स्वस्थ श्रेणी में गिने जाते हैं। अगर बच्चे का वजन ढाई किलो से कम का है तो उसे कम वजन वाला माना जाता है।
अब आपके पेट में पल रहे बच्चे का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। आखिरी महीने में आपको अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए। आपको केवल वही खाना खाना चाहिए जिसमें भरपूर मात्रा में पोष्टिक तत्व मौजूद हो क्योंकि आपके शिशु का बढ़ता वजन आपके पाचन तंत्र पर भी असर डालता है। हालांकि आपके गर्भाशय में वृद्धि होगी इसलिये आपको फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, कैल्शियम और आयरन युक्त आहार और जिन फलों में विटामिन सी की मात्रा ज्यादा हो वही आहार लेना चाहिए।
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#1. संतुलित और पौष्टिक आहार ही ले। आप अपनी डाइट को जितना हो सके सिंपल रखें और उसमें ताजा फल और सब्जियों को भी शामिल करें। उसमें साबुत अनाज, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को अपने खाने में मिलाएं।
#2. नियमित रूप से प्रीनेटल विटामिनस का सेवन करें। यह आपके शरीर में पोषण की कमी को दूर करता है और आपको और आपके शिशु को अच्छी खुराक देता है।
#3. अपने आहार में मेवे और नट्स को भी शामिल करें।
#4. आप पर्याप्त रूप से आराम करें। आराम करने से आपके शरीर को ताजगी महसूस होगी और आपकी सेहत भी सही रहेगी। दिन में आप थोड़ी नींद अवश्य ले और रात में कम से कम 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है।
#5. अपने आप को हमेशा तनावमुक्त और सकारात्मक रखें। अक्सर जब आप चिंता में होती है तब या तो आप जरूरत से कम खाती हैं या फिर जरूरत से ज्यादा खा लेती है जो आपके शिशु के लिए सही नहीं है।
#6. हमेशा थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीते रहे। पानी की कमी गर्भावस्था के दौरान काफी मुश्किलें पैदा कर सकती है जैसे कि सर दर्द, एसिडिटी, पेट में जलन, खट्टी डकार आदि।
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का वेट जानने के लिए ऐसे अत्यधिक जटिल फार्मूलों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में शिशु के औसत वजन के बारे में बताते हैं क्योंकि सभी गर्भधारण अलग-अलग होती हैं और सभी शिशुओ का अलग दरों पर विकास होता है। प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बच्चे का वजन सामने आता है। अगर चिंता की बात होती है तो डॉक्टर आपको अवश्य सूचित करता है। अगर किसी कारणवश डॉक्टर आपको बच्चे का वजन ना बताएं तो छठें महीने के बाद स्कैनिंग के बाद डॉक्टर से गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन पूछना ना भूलें।
अगर फिर भी आप अपने शिशु के वजन के बारे में चिंतित है तो अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें। अपने डॉक्टर से बात करें और जानें कि क्या आपको भ्रूण का वजन बढ़ाने के लिए जरूरत से ज्यादा खुराक की जरूरत है या नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि माँ का वजन ही शिशु के वजन पर निर्भर करता है। यदि मां का वजन गर्भावस्था के दौरान कम है तो शिशु का वजन भी कम ही होगा।
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