आज के दौर में कंप्यूटर का बढ़ता चलन भी बच्चों की लिखावट को बिगाड़ने का जिम्मेदार है क्योंकि आजकल बच्चों में कंप्यूटर का इस्तेमाल ज्यादा होने की वजह से लिखने की प्रवृत्ति कम हो गई है या यूं कहिए कि बच्चे लिखने में आलस करते हैं। अगर आप भी अपने बच्चों की खराब लिखावट (Bad Handwriting) से परेशान हो तो हम आपको इस लेख में कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनसे आपकी यह समस्या आसानी से हल हो जाएगी। तो आइए जानते हैं बच्चों की हैंडराइटिंग सुधारने के आसान तरीके (Tips to Improve Handwriting) जो कि इस प्रकार हैं।
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ज्यादातर बच्चे अच्छी लिखावट पर ज्यादा ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि पढ़ाई में अच्छी परफॉर्मेंस होने के लिए लिखावट का सुंदर होना इतना जरूरी नहीं, जितना जरूरी है पढ़ने में ज्यादा ध्यान देना परंतु यह गलत है। क्योंकि जब परीक्षा में सारे जवाब सही हो परंतु गंदी लिखावट के कारण सही समझ ना आए और आपके मार्क्स कट जाते हैं तब महसूस होता है कि पढ़ाई के साथ-साथ लिखावट (bachhon ki writting) का भी सुंदर और स्पष्ट होना बहुत जरूरी है।
बच्चों के लिए जितना जरूरी पढ़ना, लिखना और तरक्की करना होता है उतना ही जरूरी है उनकी लिखावट भी उतनी ही सुंदर हो क्योंकि माना जाता है कि लिखावट इतनी सुंदर हो कि सामने वाले पर उसका असर उतना ही पड़ता है। अच्छी लिखावट होने से बच्चों में आत्मविश्वास का स्तर और ज्यादा बढ़ता है। तो चलिए जानते हैं बच्चों की हैंडराइटिंग सुधारने के पांच आसान तरीके (Writting Sudharne ke Tarike)।
आज का दौर तकनीक का दौर है इसलिए बच्चों को भी हाथ से लिखने की बजाय कंप्यूटर पर टाइप करना ज्यादा आसान और मॉडर्न लगता है। यही कारण है कि ना तो बच्चे और ना ही शिक्षक लिखावट को सुधारने की ओर ध्यान देते हैं। इसके लिए आप बच्चों को बार-बार लिखने की आदत डालें।
आप बच्चों को अखबार या कोई पत्रिका में से देखकर लिखने को कहें या उनकी पाठ्य पुस्तक में से देखकर लिखने को कहें। लिखते समय शब्दों पर ध्यान दें और जो शब्द सुंदर नहीं लिखा जा रहा हो उसको बार-बार लिख कर ठीक करने की कोशिश करवाएं। ऐसा करने से बच्चों में लिखने की प्रवृत्ति के साथ-साथ उनकी लिखावट तो सुधरती ही है और साथ ही इससे उनकी लिखने की गति भी बढ़ जाएगी।
बच्चे तब ही सही और सुंदर लिख पाएंगे जब उनकी स्टडी टेबल की ऊंचाई सही होगी। इसके लिए उनकी टेबल की ऊंचाई ऐसी होनी चाहिए जिस पर बच्चा आराम से अपनी कोहनी टीका कर लिख सके और टेबल के साथ कुर्सी भी ऐसी होनी चाहिए कि बच्चा उस पर बैठकर आराम से पैरों को जमीन पर टिका सके।
जब भी आप बच्चों की लिखावट सुधारने की शुरुआत करें तो आप इसमें जल्दबाजी ना करें क्योंकि इससे लिखावट सुधरने की बजाय बिगड़ सकती है। आप उन्हें धीरे-धीरे लिखना शुरू करवाएं और सही प्रकार से लिखने पर ध्यान दें। आप छोटे बच्चों के लिए डेक्सटॉप, व्हाइट बोर्ड व मार्कर का इस्तेमाल करें।
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आप बोर्ड पर लिखकर बताएं कि शब्दों को कैसे शुरू किया जाता है और किस तरह से बनाया जाता है और फिर बच्चों को लिखने को दें। जब बच्चे लिखने लग जाए तब उन्हें वही अक्षर कॉपी में लाइन के बीच में लिखने को कहें और उन्हें बार-बार प्रैक्टिस करवाएं।
बच्चा जब भी लिखे तो उसका पेंसिल पकड़ने का तरीका सही होना चाहिए। आपको बच्चों को पेंसिल को अंगूठे और दूसरी उंगली के बीच में रखकर पेंसिल के ऊपरी भाग को पकड़कर लिखना सिखाना चाहिए। अगर आपका बच्चा पेंसिल सही ढंग से नहीं पकड़ पाता है तो आप उनके लिए बाजार में मिलने वाली जंबो पेंसिल और राइटिंग होल्डर्स भी ले सकती हैं। आप बच्चों के लिए पेन, पेंसिल और कॉपी लेते समय उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान दें क्योंकि बच्चों की लिखावट इन पर भी निर्भर करती है।
आप बच्चों को बताएं कि काट पीट कर लिखने की कोशिश ना करें, ओवरराइड ना करें और अगर कुछ गलत हो भी जाता है तो एक सिंगल लाइन से क्रॉस करें। आप उन्हें बताएं कि जिसकी कॉपी साफ व सुंदर होती है उसकी कॉपी प्रिंसिपल के पास जाती है और उसका प्रिंसिपल के ऊपर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है।
आप उन्हें बताएं कि शब्द हमेशा सामान्य हो, वे ना ज्यादा छोटे और ना ज्यादा बड़े हो और शब्दों और अक्षरों के बीच की दूरी भी बराबर हो। आप उन्हें बताएं कि अच्छी लिखावट लिखने का सबसे पहला नियम यह है कि प्रत्येक अक्षर को पूरा और सही लिखे। अधूरे या गलत लिखने से लिखावट अच्छी नहीं होगी।
हैंडराईटिंग को राइटिंग ऑफ ब्रेन कहा जाता है क्योंकि इसके जरिए ही हैंड राइटिंग विशेषज्ञ लिखने वाले की मन की बात को जान पाते हैं। चूँकि हर व्यक्ति का लिखने का अपना-अपना स्टाइल होता है जैसे अक्षरों की बनावट, स्पीड में अंतर आदि। इन सब बातों को गौर करके व्यक्ति का स्वभाव और व्यक्ति को जाना जा सकता है।
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