माना जाता है कि बच्चों की पहली गुरु उसकी माँ होती है। सबसे पहले बच्चे अपने माँ बाप और परिवार में से सीखते हैं और आजकल का छोटा परिवार सुखी परिवार यह बात भले ही आज के समय सही लगे परंतु अकेले बच्चों और माता-पिता की बहुत सारी समस्याएं होती है। इन समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या होती है चिड़चिड़ें बच्चों (Irritable Kids) से निपटने की। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी एक माँ की होती है और ऐसी माएं बहुत ही ज्यादा तनाव में रहती है।
अगर माँ एक नौकरी पेशा है तो समस्या और गंभीर हो जाती है। ज्यादातर वह बच्चे जिद्दी हो जाते हैं जिनके माँ बाप दोनों नौकरी पेशा होते हैं। घर के काम और साथ में नौकरी के कारण माता-पिता बहुत ज्यादा व्यस्त रहने लगते हैं और इसी व्यस्तता के कारण वे अपने बच्चों को इतना समय नहीं दे पाते जिसकी उन्हें जरूरत होती है। इन बातों का यह परिणाम निकलता है कि बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी हो जाते हैं।
इस तरह के व्यवहार के लिए काफी हद तक माँ-बाप जिम्मेदार होते हैं क्योंकि वह सही समय पर बच्चों की गलतियों और उनका व्यवहार अनदेखा कर देते हैं ताकि उन्हें अपने काम में कोई दिक्कत ना हो और वे साथ ही अपने बच्चों की सारी बातें भी मान लेते हैं चाहे वह बात गलत हो या सही। अगर वे छोटी-छोटी बातों को अनदेखा ना करके सही समय पर हालात को समझते हुए सही कदम उठाए तो यह समस्या आसानी से दूर हो सकती है।
आइएं आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स (Tips to handle Irritable Kids in Hindi) बताते हैं जो बच्चों को जिद्दी बनाने से रोकने में काफी कारगर हैं।
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना और समय पर अगर हालात संभाल लिए जाए तो इस समस्या से निपटा जा सकता है वरना आगे चलकर यह एक गंभीर समस्या का रूप ले लेती है।
हर माँ-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा आज्ञाकारी, संस्कारी और समझदार हो इसके लिए सबसे पहला कर्तव्य माँ-बाप का होता है कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो वह हर बात पर जिद्द करते हैं और हर चीज मांगते हैं। या यूं कह ले कि वे अपनी हर बात मनवाने की कोशिश करते हैं।
उस समय माँ-बाप दोनों मिलकर सही फैसला ले और बच्चे के लिए कौन सी चीज या बात सही है और कौन सी गलत है, इसे खुद समझ कर फिर अपने बच्चों को भी प्यार से समझाएं। बच्चों को भी हर चीज़ मिल जाती है तो बाद में बड़े होकर उन्हें ना सुनने की आदत नहीं पड़ती है। इसलिए कभी-कभी बच्चों की डिमांड पर उन्हें मना करना चाहिए ताकि आगे चलकर बच्चे जिद्दी और चिड़चिड़े न बनें।
अगर बच्चे गुस्सा करते हैं तो उनके गुस्से को शांत करने के लिए सही तरीका (Child Anger Management) अपनाएं। हर बार बच्चे के गुस्से के आगे झुके ना।
जब बच्चा कोई गलत काम करता है या उल्टी सीधी हरकत करता है तो उस समय आप बच्चों के साथ मारपीट या फिर तेज डांट फटकार ना करें। हो सकता है कई बार माँ-बाप को ये लगे कि यही सही समय है बच्चों को सुधारने का परंतु थोड़ा रुकिए और सोचिए कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है और उसके कोमल से मन में यह बात बैठ जाती है कि वह कोई भी हरकत करेगा तो उसे मार पड़ेगी और बच्चा सुधरने की बजाय और ज्यादा चिढ़चिढ़ा और जिद्दी हो जाएगा।
इसलिए उस समय थोड़ा संयम बरतकर उसे अकेले में और प्यार से समझाएं क्योंकि सबके सामने डांटने से वह हीन भावना का शिकार होता है। उस वक्त उसे आपके प्यार और साथ की ज्यादा जरूरत होती है।
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बहुत सारे माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों बच्चों से करते हैं। यह एक बहुत बड़ा कारण होता है बच्चों को चिढ़चिढ़ा और जिद्दी बनाने का। इसलिए कभी भी माता-पिता को अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करनी चाहिए बल्कि अगर आपका बच्चा कोई अच्छा काम करता है तो उसकी तारीफ करें और उसे साथ ही साथ इससे भी अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करें।
हर माता-पिता चाहे वह नौकरी पेशा वाले हो या ना हो परंतु उन्हें अपने बच्चों को रोजाना थोड़ा समय जरूर देना चाहिए। आप सारा दिन बच्चे को अकेला न छोड़ें। अगर आपके पास ज्यादा समय ना हो तो भी आप रात को सोने से पहले बच्चों से स्कूल की सारी बातें, उसके दोस्तों की बातें, उसने दिन में क्या-क्या किया, सब बातें करें। उन्हें भी यह एहसास होगा कि माता-पिता की जिंदगी में हमारी अहमियत है और आगे चलकर वह सारी बातें अपने माँ बाप से शेयर कर सकते हैं।
आप अपने बच्चों की पसंद-नापसंद का पूरा ख्याल रखें और बच्चों को भी यह बताएं कि आपको यह पसंद है और यह नहीं। समय निकालकर आप बच्चों के साथ खेले और खेल-खेल में उन्हें कुछ ज्ञान की बातें भी बताएं ताकि जब भी आपका बच्चा जिद्द करें तब आप उसे आसानी से समझा सकते हैं।
हर बच्चा अपने माँ-बाप को कॉपी करता है इसलिए खुद कोई ऐसा काम ना करें जो उन पर गलत प्रभाव डाले। अगर आप बड़ो का अपमान करते हैं या फिर सही भाषा का प्रयोग नहीं करते हैं तो बच्चे भी वही सीखते हैं। इसलिए सबसे पहले आप खुद अपने आप को सही करें तो बच्चा खुद-ब-खुद सही हो जाएगा। बात-बात पर गुस्सा करने से कई बार बच्चे बड़े होकर माँ-बाप की इज्जत करना छोड़ देते हैं। इसलिए आप उनकी बात सुने और जो सही लगे उसे अपनाये और उस बात के लिए उसकी तारीफ भी करें। इससे बच्चा चिड़चिड़ा नहीं बनेगा बल्कि वो भी आपको अच्छे से समझने लगेगा।
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ज्यादातर बच्चे किसी ना किसी बात से चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। कभी-कभी माँ-बाप के पास टाइम ना होने की वजह से वह अपने आप को उपेक्षित समझने लगते हैं। उन्हें लगने लगता है कि मेरे होने या ना होने से उनके माता-पिता को कोई फर्क नहीं पड़ता और इस वजह से उनका व्यवहार बदलने लगता है।
इसलिए स्कूल में जब भी उसकी कोई अच्छी परफॉर्मेंस होती है तो उसे समय-समय पर उसकी मनपसंद गिफ्ट ला कर दे। इससे दो फायदे होंगे एक तो बच्चा खुश होगा दूसरा उसे यह अहसास होगा कि उसकी हर एक्टिविटी पर उसके माता-पिता की नजर हैं।
ज्यादातर माँ-बाप जब भी बच्चा ज्यादा चिढ़चिढ़ा या ज़िद्दी (Fussy Kids) होता है तो वह टीचर को दोषी समझने लगते हैं। बल्कि उस समय तो आपको टीचर से मिलकर बच्चे को सुधारने के टिप्स देने चाहिए। आप ऐसे बच्चों को किसी शारीरिक एक्टिविटी या फिर किसी दिमागी खेल में व्यस्त रख सकते हैं।
कई बार बच्चों की सारी मांगे पूरी होने पर उन्हें सिर्फ अपनी डिमांड पूरी होने की आदत पड़ जाती है और आगे चलकर वे अपनी मांग पूरी करवाने के लिए खुद भी गलत रास्ते पर चल सकते हैं। इसलिए शुरू से ही बच्चों को अकेला न छोड़ें क्योंकि अकेलापन बच्चों में नकारात्मकता उत्पन्न करता है।
इसलिए माँ-बाप बच्चों को अपने छोटे-छोटे कार्यों में उन्हें भी अपने साथ लगाएं। इससे बच्चों को छोटे-छोटे काम करने की आदत पड़ जाती है और यह आदत उनके भविष्य के लिए भी लाभदायक रहेगी। लेकिन बच्चों को सिर्फ उन्हीं कामों में लगाए जिन कामों में उनकी रुचि हो अन्यथा आपके लिए दुगुनी परेशानी खड़ी हो सकती है।
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जरूरी नहीं है कि बच्चे की हर बात मान कर उसकी सारी जिद्द पूरी की जाए बल्कि बच्चों को बड़े प्यार से अपनेपन का एहसास दिलाएं। कई बार बच्चे सवाल पूछते हैं तो उन्हें ऐसे टालने की बजाय उन्हें सही व गलत की पहचान कराए। उनके सवालों के तर्कसंगत जवाब दे। अगर आप उन्हें प्यार से समझा कर उन्हें सही व गलत बताएंगे तो वह आपकी बात जरूर समझेंगे।
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