दिपावली इस बार 27 अक्टूबर 2019 मनाई जाएगी। दीपावली आते ही लोग इस त्यौहार को मनाने के लिए पूरी तैयारी से जुट जाते हैं। लेकिन दीपावली अपने साथ खुशियों के अलावा वायु और ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी आता है जो इस त्यौहार की खुशियों को कम कर देता है। यह प्रदूषण बच्चों के लिए बेहद खतरनाक होता है। तो चलिएं जानते हैं ध्वनि प्रदूषण से बच्चों को क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और इससे कैसे बचें (Tips to Protect Kids from Noise Pollution)?
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हमारे देश में दीपावली का त्यौहार बिना पटाखों और शोरगुल के अधूरा रहता है। यह त्यौहार खुशियों के साथ-साथ लेकर आता है हमारे लिए जिम्मेदारियां क्योंकि बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और हर माता-पिता का फर्ज है कि वे अपने बच्चों की ध्वनि प्रदूषण से रक्षा करें क्योंकि बच्चे ध्वनि प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ उपाय जिससे बच्चों को दीपावली के शोर से बचाया जा सकता है।
#1. कम आवाज वाले पटाखे जलाएं (Burn Firecrackers with Less Noise)
आप और हम सभी जानते हैं कि दीपावली रोशनी का त्यौहार है। इसलिए इसे दिया जलाकर या रंग-बिरंगी लाइटे लगाकर इंजॉय कर सकते हैं और यदि आपको पटाखे जलाने ही है तो ऐसे पटाखे जलाए जो कम ध्वनि पैदा करने वाले हो और जो ज्यादा शोर ना करें जैसे कि अनार, जमीनी बम, चकरी इत्यादि।
#2. हवाई या एरियल पटाखे (Air Firecrackers)
आप अपने बच्चों के साथ ऐसे पटाखे भी ला सकते हैं जो आसमान में जा कर फटते हैं। इससे ज्यादा दूरी होने के कारण ना तो उनके जलने का डर रहेगा और ना ही उनसे होने वाले ध्वनि प्रदूषण का।
#3. बच्चों को घर पर ही रखें (Keep Kids inside Home)
अगर आपका बच्चा ज्यादा छोटा है तो उसे घर के अंदर ही रखे। साथ ही घर के खिड़कियां और दरवाजे भी बंद कर ले ताकि आपके बच्चे के कानों की सुरक्षा रहे।
#4. सुरक्षित दूरी बनाए रखें (Keep Safe Distance)
अगर आप बच्चों के साथ पटाखे देखना चाहते हैं या जलाना चाहते हैं तो आप बच्चों की पटाखे से एक सुरक्षित दूरी बनाए रखें और यदि बच्चा रोने लगे या असहज महसूस करने लगे तो बच्चे को तुरल अंदर ले जाएं।
#5. कान को ढ़क लें (Close Ears)
अगर ज्यादा ही शोर गुल हो तो आप अपने बच्चों के कानों को अच्छे से ढक कर भी रख सकते हैं। आप बच्चों के कानों में एयर प्लग या फिर हेडफोन भी लगा सकते हैं। आप रूई को कसकर रोल बना करके भी बच्चों के कानों में ध्यान से लगा सकते हैं। परंतु इसको लगाना है तो बड़े ही ध्यान से लगाए ताकि यह कान में फंस ना जाए।
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बच्चों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के इन टिप्स (Tips to Protect Kids from Noise Pollution) के अतिरिक्त कोशिश करें कि बच्चे पटाखों से भी सुरक्षित रहें। ध्वनि प्रदूषण से बच्चों को बचाने के लिए आपको अपने साथ औरों की भी मदद लेनी होगी। अपने आसपास लोगों से बात करें और बताएं कि आपके घर में बच्चा है जिसे तेज आवाज के पटाखों से समस्या हो सकती है।
#1. ध्वनि को डेसिबल में मापा जाता है। हम सामान्य रूप से 60 डेसिबल में बात करते हैं और छोटे बच्चे तो उससे भी कम। 85 से ऊपर वाली आवाज बच्चों के लिए सही नही होती है।
#2. बम और सिटी वाले पटाखे तो 150 से 175 डेसिबल की सीमा में ध्वनि का उत्पादन करते हैं। ऐसे पटाखे बच्चों के कानों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते है।
#3. पटाखे ईयरड्रम और आंतरिक कान को नुकसान पहुंचाते हैं जो कि तंत्रिका आवेग पैदा करने और ध्वनि उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
#4. पटाखों का शोर का असर बड़ों पर और बच्चों पर तो पड़ता ही है परंतु इसका असर शिशु पर ज्यादा पड़ता है। इससे कई बार बच्चों में अस्थाई रूप से या स्थाई रूप से बहरापन हो सकता है।
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#1. कई बार ज्यादा शोर से कानों में कुछ भिन्न-भिन्न आहट सी होने लगती है। बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि जैसे उनके कान में कोई सिटी से बजने लगी है।
#2. कानों में दबाव सा महसूस होने लगता है।
#3. ज्यादा शोर से बच्चों को सुनना बंद हो जाता है और वे अपने कानों को खींचने लगते हैं।
#4. शिशु अपनी परेशानी बोलकर तो नहीं बता पाते इसलिए वे जोर-जोर से रोना शुरू कर देते हैं।
#5. अचानक दूर की आवाज से बच्चे डर भी जाते हैं और वे ठीक से सो नहीं पाते और परेशान हो जाते हैं।
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