अनेक महिलाओं के लिए व्रत रखना उनके जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह उनके रीति-रिवाज या धार्मिक विश्वास से जुड़ा होता हैं जो अधिक महत्व रखता है। बहुत सी महिलाएं अपनी निजी मान्यताओं या धार्मिक प्रतिबद्धताओं के कारण गर्भावस्था के दौरान व्रत रखती है। करवा चौथ, तीज या शिवरात्रि जैसे व्रत रखना तो आम बात है और यह व्रत गर्भावस्था में आपके 9 महीनों के दौरान एक बार तो अवश्य ही आएंगे।
मगर जब आप लंबे समय के लिए व्रत रखना चाहती हैं जैसे कि नवरात्रि, रमजान या फिर कोई और तो आपको आवश्यकता होती है प्रेगनेंसी के दौरान व्रत रखने के कुछ सुझावों (Tips for Fasting During Pregnancy in Hindi) या सलाह की।
वैसे तो गर्भवती महिलाओं को व्रत से दूर ही रहना चाहिए क्योंकि गर्भवती महिला जो खाती है, गर्भ में पल रहा बच्चा भी वही खाता है। इसलिए अगर आप बिल्कुल स्वस्थ और अच्छा महसूस कर रही है और साथ ही आपकी गर्भावस्था भी बिना किसी समस्या के आगे बढ़ रही है तो ऐसी स्थिति में ही व्रत रखना ठीक है। लेकिन यदि आप स्वस्थ और सक्षम महसूस ना कर रही हो और आपको अपने शिशु के स्वास्थ्य और अपने स्वास्थ्य की चिंता हो तो आपको उपवास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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एक और जरूरी बात पहली ट्राइमेस्टर और तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान बच्चे को अधिक पोषण की जरूरत होती है इसलिए कोशिश करें कि दूसरे ट्राइमेस्टर के दौरान ही व्रत रखें। गर्भावास्था के पहले तीन महीने में तो व्रत करने से पहले डॉक्टर की पूरी सलाह लेनी चाहिए। अगर प्रेगनेंसी के दौरान कुछ समस्याएं हैं तो भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही कोई काम करना चाहिए।
आपका डॉक्टर संभवतः आपके शारीरिक स्वास्थ्य की समीक्षा करेंगे। वह इन बातों का भी ध्यान रखेंगे जैसे गर्भवती महिला को मधुमेह या एनीमिया तो नहीं। साथ ही अगर गर्भ में जुड़वा बच्चे हों तो भी डॉक्टर व्रत ना करने की सलाह देते हैं। वह आपको उपवास करने के लिए ग्रीन सिग्नल तभी देंगे जब वह देख लेंगे कि सब ठीक-ठाक हैं। कई बार लम्बी अवधि के उपवास रखने से आपको कुछ कठिनाइयां हो सकती हैं। जैसे कि:
अभी आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं। आप स्वस्थ हैं तो भी आपको व्रत करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे आपके व आपके शिशु की सेहत पर बुरा असर ना पड़े। तो आइयें जानें गर्भवती महिलाएं कैसे रखें व्रत (Tips for Fasting During Pregnancy in Hindi)?
नवरात्रि या किसी अन्य व्रत में जहां आपको पूरा-पूरा दिन भूखा रहना पड़ें, वहां कोशिश करें कि कम से कम व्रत का आहार जरूर लें। अगर आप गर्भावस्था के दौरान ज्यादा समय तक भूखी रहेंगी तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में व्रत की रोटी के अलावा ताजे फल और जूस का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही दिन में दो बार दूध भी लेना चाहिए जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी न रहें।
व्रत के दौरान खूब पानी पिएं क्योंकि इससे शरीर हाइड्रेट नहीं होता हैं। पानी पीने से विषैले पदार्थ भी शरीर से बाहर निकलते हैं। प्रेगनेंसी में किसी भी स्थिति में निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए, यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
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भारत में व्रत के दौरान ज्यादातर महिलाएं तली हुई चीजों का सेवन करती है जो गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए। इससे एसिडिटी और सीने में जलन की परेशानी हो सकती है। साथ ही एक साथ खूब सारा खाने के स्थान पर थोड़ा-थोड़ा करके पांच से छह बार खाएं।
व्रत के दौरान खासकर नवरात्रि के व्रत में कुछ खास चीजों को खाने की अनुमति होती है जैसे सेंधा नमक जिसे व्रत का नमक भी कहते हैं। नींबू पानी या फलों पर सेंधा नमक डालकर खाया जा सकता है। नमक से शरीर में कमजोरी नहीं आती हैं और यह गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।
नवरात्र का व्रत नौ दिन का होता है, इसी तरह रमजान पूरे एक महीने चलता है। ऐसे में अगर आप व्रत कर रहीं हैं तो कोशिश करें कि शारीरिक श्रम कम से कम करें। गर्भवती महिलाओं को ऐसे समय में काफी कमजोरी आ जाती है। इसलिए इस समय ज्यादा से ज्यादा आराम करें और पूरी नींद लें। व्रत में मेहनत वाले कार्य और व्यायाम न करना बेहतर होता है।
व्रत के दौरान अधिक मीठे पदार्थों और कॉफी, चाय जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों से भी दूर रहे। जूस के स्थान पर साबूत फल खाएं। एक साथ अधिक मीठा खाने के कारण अचानक से शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है।
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यदि मौसम गर्म और उमस वाला हो तो अत्यधिक गर्मी के वक्त घर पर ही आराम करें। ऐसे समय में बाहर जाने से बचे व आराम करें।
व्रत के दौरान आपकी पाचन प्रणाली धीमी पड़ जाती है। अत: अपना व्रत धीरे-धीरे खोलें। व्रत का पारण करने के लिए जूस, नारियल पानी या नींबू पानी का सहारा लें।
व्रत के दौरान यदि आपको अत्यधिक थकावट, पेट में मरोड़, उल्टी, एसिडिटी जैसा कुछ हो रहा हो तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान लंबी अवधि के उपवास रखने हैं तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले कर ही व्रत रखें और कुछ ना खाने वाला और निर्जल व्रत ना रखें| इससे आपके होने वाले शिशु पर बुरा असर पड़ेगा|
नोट : गर्भावस्था के समय व्रत रखने को मना किया जाता हैं। इसलिये हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही व्रत रखे। पहली तिमाही और तीसरी तिमाही के दौरान व्रत करने से बचें।
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