बच्चों का टीकाकरण करवाने से पहले ये 5 बातें जरुर जान लें

बच्चों का टीकाकरण करवाने से पहले ये 5 बातें जरुर जान लें

हमारे देश में हर साल लगभग 20 लाख बच्चे कई बीमारियों के कारण मर जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल 50 प्रतिशत मौतें काली खासी से, 30 प्रतिशत मौतें पोलियो से और करीब 20 प्रतिशत मौतें खसरे से होती हैं। ऐसे में बच्चों का टीकाकरण एक सरल उपाय है बच्चों को बहुत सी खतरनाक बीमारियों से बचाने का। टीकाकरण यानी वेक्सीनेशन मतलब टीके के माध्यम से दवाई को शरीर में पहुंचाना।

 

जन्म के बाद से ही शिशु का टीकाकरण आवश्यक है। दरअसल टीके रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। जानिए कुछ ऐसी बातों के बारे में जिनके बारे में टीकाकरण करवाने से पहले (Tips Before Immunization of Children in Hindi) आपके लिए जानना बेहद आवश्यक है।

 

शरीर का प्रतिरक्षण तंत्र बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करता है लेकिन कई लोगों का यह सिस्टम मजबूत होता है तो किसी का नहीं। प्रतिरक्षण तंत्र के कमजोर होने से शरीर को कई रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है ऐसे में उसका टीकाकरण करने से उसे कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। जन्म से बाद ही डॉक्टर शिशु के टीकाकरण (Tikakaran) से संबंधित आपको एक लंबी लिस्ट देंगे जिनमें कुछ टीके लगाना अनिवार्य है, वहीं कुछ वैकल्पिक भी हैं।

जब 6 साल पहले मेरी बेटी ने जन्म लिया तो मैने डॉक्टर के कहे अनुसार बिना किसी जानकारी के टीकाकरण की प्रक्रिया को पूरा किया। लेकिन जब 2 साल पहले मेरे बेटे ने जन्म लिया तो मैने टीकाकरण के बारे में पहले पूरी जानकारी हासिल की।

 

मैने टीकाकरण से संबंधित कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में जाना जो बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक थी। तो आइयें जानें कुछ ऐसी बातें जिनका आपको टीकाकरण से पहले (Tips Before Immunization of Children in Hindi) जानना जरूरी है।

 

बच्चों का टीकाकरण करवाने से पहले ये बातें ज़रुर जान ले (Tips Before Immunization of Children in Hindi)

#1. प्रभाव (Effect)
अगर आपको ऐसा लगता है कि टीकाकरण 100 प्रतिशत प्रभावी है तो आप पूरी तरह से सही नहीं है। दरअसल टीकों को मनुष्य के प्रतिरक्षण तंत्र को मजबूत बनाने के लिए बनाया जाता है ताकि भविष्य में जब भी व्यक्ति उस रोग के सम्पर्क में आए तो उसकी उस रोग से सुरक्षा हो सके।

 

हर व्यक्ति का प्रतिरक्षी तंत्र अलग होता है ऐसे में उस पर टीके का प्रभाव भी अलग ही होगा इसलिए हर बच्चे के मामले में टीके का प्रभाव भी अलग-अलग हो सकता है। लेकिन फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार MMR टीके समय पर लेने के बाद 99.7% लोग सुरक्षित हो जाते हैं।

निष्क्रिय पोलियो का टीका पूरी खुराक लेने के बाद 99% प्रभावी होता है। चेचक का टीका हल्के और गंभीर चेचक के मामले में 100% प्रभावी है।

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#2. कितने टीके हैं अनिवार्य (Mandatory Vaccines)
जन्म से लेकर छः साल तक की उम्र के बच्चों के लिए लगभग चौदह रोगों के टीके लगाने को अनिवार्य माना गया है। यह रोग ऐसे हैं जो या तो बहुत गंभीर हैं या जिनसे मृत्यु की भी आशंका बनी रहती है।

कई रोग एक बार समाप्त होने के बाद फिर से वापस आ सकते है जैसे कि पोलियो। अपने डॉक्टर से सलाह लें और सभी जरूरी टीकों को समय रहते लगवाएं।

 

#3. क्यों है आवश्यक (Benefits of Vaccination)
बीमारियां जैसे गलसुआ, खसरा का वायरस अभी भी हमारे देश में मौजूद हैं जिनका प्रभाव गंभीर हैं और इनसे कई मौते भी हर साल होती हैं। ऐसा भी हो सकता है कि ऐसा कोई रोग जिसका हमारे देश में नामों निशान मिट चूका है लेकिन दूसरे देशों में उसका वायरस मौजूद हो।

 

ऐसे में दूसरे देश से उसे हमारे देश तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी। इसलिए अपने बच्चे को हर टीका लगवाएं ताकि आप अपने बच्चे को भविष्य में सुरक्षित रख सकें। कुछ टीकों द्वारा प्राप्त हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ कम हो जाती है।

ऐसे में इस क्षमता को बनाये रखने के लिए बूस्टर की मात्रा दी जाती है। इसलिए हर टीके की पूरी खुराक अपने बच्चे को दिलाएं।
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#4. ऑटिज्म से संबंध (Vaccines are Related to Autism)
कई लोग ऐसा मानते हैं टीकों के कारण ऑटिज्म, मधुमेह या बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन यह सही नहीं है। बहुत सालों पहले एक ब्रिटिश चिकित्सक ने ऐसा दावा किया था कि MMR के टीके से बच्चों में ऑटिज्म का प्रभाव देखा गया है लेकिन उनके इस दावे के बाद विशेषज्ञों ने खोज गहन की और यह पाया कि यह सच नहीं है जिसके बाद यह खोज गलत साबित हुई।

माता-पिता को टीकाकरण के बारे में फैले इस मिथक पर विश्वास नहीं करना चाहिए कि इससे मधुमेह, ऑटिज्म या अन्य कोई रोग हो सकता है।

 

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#5. टीकाकरण के दुष्प्रभाव (Side Effects of Vaccination)
टीका लगाने के बाद बच्चे को हल्का बुखार, दर्द या सूजन होना बहुत ही सामान्य है लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। कुछ टीकों जैसे डीपीटी के इंजेक्शन के बाद बच्चे की टीके वाली जगह सूज सकती है या लाल हो सकती है या एक गांठ भी बन सकती है लेकिन कुछ दिनों के बाद यह सामान्य हो जाता है। बुखार होने पर बच्चे को पेरासिटामोल दी जा सकती है।

 

अगर बच्चा अधिक रोता है, बुखार न उतर रहा हो या सूजन भी अधिक हो तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है। इस टीके के लगने के चार से दस दिन के बाद भी बच्चे को बुखार हो सकता है। वैसे तो हर टीके का कोई न कोई दुष्प्रभाव होता है लेकिन यह बहुत ही कम होता है। गंभीर दुष्परिणाम बहुत ही कम मामलों में दिखाई देते हैं।

 

लोगों को टीकाकरण के बारे में सरकार जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम भी चला रही है और कई टीके सरकारी अस्पतालों में मुफ्त भी लगाए जाते हैं। यही नहीं सरकारी कार्यकर्ता गाँवों में घर-घर जाकर लोगों को टीकाकरण के बारे में जागरूक करते हैं क्योंकि गांव में शहरों की तुलना में लोग बच्चों को कम टीके लगवाते हैं ।

 

टीकाकरण से न केवल बच्चा स्वस्थ रहेगा बल्कि आप एक स्वस्थ समाज बनाने में भी अपना सहयोग देंगे।

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