अपने शिशु को पॉटी ट्रेनिंग देना माता-पिता के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। मुझे याद है जब मैने अपनी बेटी को पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार किया था तो मुझे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। दरअसल मेरी बेटी भी अन्य बच्चों की तरह बेहद चंचल थी और एक जगह टिक कर नहीं बैठती थी। ऐसे में उसे पॉटी ट्रेनिंग के लिए अधिक देर तक बिठा कर रखना बहुत मुश्किल था। मेरी तरह अन्य माता-पिता को भी इस दौरान कई समस्याएं आती हैं। हालाँकि माता-पिता को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ चीज़ों को करने से बचना चाहिए ताकि उन के लिए शिशु को पॉटी करना सिखाना आसान हो सके। जानिए कौन सी हैं वो खास चीज़ें जो पॉटी ट्रेनिंग (Things to Avoid During Potty Training) के दौरान आपको नहीं करनी चाहिए।
शिशु को पॉटी करना सिखाते समय इन चीजों को करने से बचे (Things to Avoid During Potty Training in Hindi)
#1. जल्दबाज़ी से बचे
जब बच्चा अपने भार को सहन करने और खुद से खड़े होने में सक्षम होता है, वो समय शिशु की पॉटी ट्रेनिंग के लिए उपयुक्त है। अगर बच्चा अभी अपना भार उठाने और खड़े होने में सक्षम है तो समझ जाएं कि अभी शिशु को पॉटी करना सिखाया जा सकता हैं। हर काम का एक उचित समय होता है और पॉटी ट्रेनिंग भी उनमे से एक है। इसलिए अधीर न हो और सब्र से काम लें। पहले से ही इस बात को मन में बिठा लें कि आपका बच्चा सब कुछ सीख जायेगा बस उसे थोड़ा समय दें। इसके लिए आपको और शिशु को शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। पॉटी ट्रेनिंग के लिए 18 महीने की उम्र अधिकतर बच्चों के लिए सही होती है लेकिन कुछ शिशु इससे अधिक समय ले लेते हैं।
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#2. जबरदस्ती न करें (Don’t force him)
बच्चों को पॉटी करना सिखाना कोई आसान काम नहीं है और निःसंदेह जब आप इसकी शुरुआत करेंगे तो आपको शिशु के रोने, चिल्लाने और गुस्से का सामना करना पड़ेगा लेकिन शिशु के साथ ज़बरदस्ती न करें। अगर आप उसके साथ जबरदस्ती करेंगे तो वो इस काम को कभी भी नहीं करेगा और भविष्य में भी इसे करने से बचेगा। शिशु की पॉटी ट्रेनिंग से पहले आपको खुद को मानसिक रूप तैयार करना पड़ेगा। प्यार से समझाने से बच्चा आपकी बात को समझेगा भी और मानेगा भी।
#3. हताश न हों (Do not be frustrated)
पॉटी ट्रेनिंग की उम्र में सभी शिशु चंचल होते हैं और एक जगह पर अधिक समय तक नहीं बैठ सकते। यह भी आवश्यक नहीं कि वो एक ही दिन में आपकी बात मान जाए। ऐसे में आप शांत रहें और बच्चों पर गुस्सा न करें। अगर आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है तो भी हताश न हों बल्कि नए-नए तरीकों से उसे इसके लिए तैयार करें। जैसे कोई लालच देना या इसकी और उसे आकर्षित करना। यही नहीं अगर वो इसमें दिलचस्पी दिखाता है तो उसकी तारीफ अवश्य करें। हमेशा सकारात्मक सोचे, इससे आप अपने शिशु को भी परफैक्ट बना सकती हैं।
#4. तुलना न करें (Do not compare)
माताएं अक्सर हर चीज़ में अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करती हैं जैसे मेरे पहले शिशु से यह काम जल्दी शुरू कर दिया था लेकिन दूसरा बच्चा अभी तक इसे नहीं कर पाया है। पॉटी ट्रेनिंग में भी ऐसा हो सकता है कि एक बच्चा दूसरे से जल्दी इसे सीख जाए। असल में हर बच्चा पॉटी करना सिखने में अलग-अलग समय लेते हैं इसलिए बच्चों की तुलना करने से बचे।
#5. गलत पॉटी सीट का चुनाव (Choosing wrong potty seat)
छोटे बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग के लिए सामान्य सीट का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि बच्चों के लिए इस पर बैठना मुश्किल होगा। बाजार में बच्चों के लिए स्पेशल सीट मिलती है या पॉट का प्रयोग करें। आजकल बच्चों के लिए कुछ ऐसी स्पेशल पॉटी सीट भी मिलती हैं ताकि शिशु आकर्षित हो सके जैसे साइकिल वाली या कार्टून शेप की पॉटी सीट। आप इन्हें चुन सकते हैं। शिशु के लिए कभी भी गलत पॉटी सीट का चुनाव न करें।
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#6. इसे बोरिंग न बनाए (Don’t make it boring)
पॉटी ट्रेनिंग को बच्चों के लिए बोरिंग न बनाएं। शिशु को प्यार से समझाएं कि पॉटी आने पर उसे क्या करना चाहिए। अगर बच्चा अधिक देर तक पॉटी सीट पर नहीं बैठता है तो उसे वहां बिठाने के लिए कोई किताब दें या खिलौने दें, इसके साथ ही आप उसके सामने उसका पसंदीदा कार्टून या कविता भी लगा सकती हैं ताकि वो वहां बैठने में रूचि ले। शिशु की पॉटी सीट को आप स्टिकर से सजा सकती हैं ताकि शिशु को वो जगह आकर्षक लगे। एक शिशु के लिए पॉटी सीट एक नई चीज़ होगी। इसलिए इसको दिलचस्प बनाने के लिए आप जो भी अच्छा कर सकती हैं, ज़रूर करे।
#7. कपड़े (Cloths)
पॉटी ट्रेनिंग के दौरान शिशु को कैसे कपड़े पहनाएं, इस बात का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। शिशु के कपड़े ऐसे होने चाहिए जिन्हें आसानी से उतारा और पहना जा सके। कपड़ों में लगे बटन, जिप या हुक खोलना या बंद करना बच्चों के लिए तो क्या बड़ों के लिए भी कभी-कभी मुश्किल हो जाते हैं। बच्चों को इलास्टिक वाली पेंट्स पहनाएं, पॉटी ट्रेनिंग के लिए ऐसे ऑउटफिट बेहतरीन हैं। इससे आपको शिशु को पॉटी करना सिखाने में मदद मिलेगी।
बच्चों को पॉटी करना सिखाना कोई रातों रात सिखाया जाने वाला काम नहीं है। अपने शिशु को इसके लिए प्रेरित करें और उसका मनोबल बढ़ाएं। पॉटी ट्रेनिंग के दौरान शिशु को अकेला न छोड़ें बल्कि उसके साथ रहें। आपके हर प्रयास के बाद भी अगर आपका बच्चा इसके लिए मना करता है तो सबसे पहले उसके मना करने का कारण जानें। शिशु को पॉटी करना सिखाना ऐसा पहला काम होता है जिसे बच्चा अकेला करता है। ऐसे में माता-पिता का सही मार्गदर्शन होना बेहद आवश्यक है।
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