बच्चों की अपंगता से डील करना कैसे सिखाएं

बच्चों की अपंगता से डील करना कैसे सिखाएं

क्या आपने ऐसी हस्तियों के बारे में सुना है जिन्होंने अपंग होने के बावजूद उन ऊँचाईओं को छुआ, जहाँ तक पहुँचना सामान्य लोगों के लिए भी बेहद मुश्किल है। उन्हीं में से एक है भारत कुमार। जिनकी एक बाज़ू न होने के बावजूद वो पारा-स्विमिंग में अब तक कई मैडल जीत चुके हैं और कई बार उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। ऐसी ही कहानी है 27 साल की लड़की अरुणिमा सिन्हा की। बीस साल की उम्र में किन्ही कारणों से उन्हें अपनी एक टाँग गंवानी पड़ी लेकिन उन्होंने अपनी इस कमज़ोरी को अपनी ताकत बना लिया और माउंट एवरेस्ट पर भारत का झंडा लहराया। यह कहानियां हमें प्रेरित करती हैं। लेकिन क्या इस लोगों के लिए इस मुकाम को पाना इतना आसान था? बिलकुल नहीं। अगर उन्हें आस-पड़ोस और घरवाले की मदद नहीं मिलती या प्रोत्साहित हीं मिलता तो यह लोग यह सब नहीं पा सकते थे और दुनिया भर में अपनी एक नई पहचान नहीं बना सकते थे। अगर आपका बच्चा भी अपंग है तो आपको घबराने और परेशान होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आपका बच्चा भी वो सब कर सकता है जो बाकी बच्चे करते हैं बस आपको उन्हें उनकी अपंगता से डील (Teach Children to Deal With Their Disabilities) करना सिखाना है। जानिये ऐसे ही कुछ तरीक़ों के बारे में।  

बच्चों की अपंगता से डील करना कैसे सिखाएं (How to Teach Children to Deal With Their Disabilities)

1. आत्मनिर्भर बनाए (Make them self dependent) अगर आपका बच्चा अपंग है तो इस बात से अपने न तो खुद परेशान हों न ही अपने बच्चे को परेशान होने दें बल्कि अपने बच्चे को आत्मनिर्भर बनाएं। छोटी उम्र से ही उन्हें हर काम खुद करने दें। शुरुआत उनके अपने छोटे-मोटे कार्यों से करें जैसे कपड़े खुद पहनना या अपने खिलौनों को सही जगह पर रखना आदि। उन्हें अन्य लोगों पर निर्भर न रहने दें, न ही खुद अनावश्यक उनकी मदद करने की कोशिश करें। अगर मदद कभी करनी पड़े तो पहले उससे पूछ लें कि उन्हें आपको सहायता की आवश्यकता है या नहीं। ऐसा करने से बच्चा आत्मनिर्भर बनेगा और खुद को अन्य लोगों पर बोझ नहीं समझेगा जिससे उन में आत्मविश्वास बढ़ेगा और ज़िम्मेदारी की भावना भी आएगी। Read Also: Tips to Improve Self Respect in Kids

2. हीन न महसूस करना (Not feeling inferior) अपने बच्चे को यह कभी महसूस न होने दें की वो अपंग है या किसी अन्य बच्चे से कम है। ऐसा करने के लिए बच्चे को वो सब करने दें जो वो करना चाहता है। उसके शौक या रुचियों को समझें और उन्हें पूरा करने में उनकी मदद करें। यह सच है कि अपंग बच्चे को अन्य बच्चों की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है ऐसे में अगर आप उसकी तुलना किसी अन्य बच्चे से करेंगे तो वो हीन भावना के कारण हताश हो जाएगा या हो सकता है कि वो कुछ करने की अपनी इच्छा को त्याग दे। दूसरे बच्चों से तुलना की जगह उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।   3. खुद से प्रेम करना सिखाएं (Teach Yourself to Love) अगर बच्चा अपंग है तो उसे सबसे पहले खुद से प्यार करना सिखाएं। कई बार बच्चे अपनी इस स्थिति के लिए खुद को दोषी मान लेते हैं। अगर वो ऐसा सोचते हैं तो इसका परिणाम बहुत बुरा हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को सबसे पहले यह समझाएं कि अगर वो अपंग है तो इसमें उसकी कोई गलती नहीं है और उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके साथ ही उसे दुनिया उसके बारे में क्या कहती है या क्या सोचती है, इन सब चीज़ों को नज़रअंदाज़ करना सिखाए ताकि उसका आत्मविश्वास कम न हो। Also Read: Child Bully in Hindi     4. सहानुभूति (Sympathy) लोग अक्सर अपंग या अपाहिज लोगों के साथ सहानुभूति से भरा व्यवहार करते हैं लेकिन वो लोग यह अहसास नहीं कर पाते कि अपंग लोगों पर इस व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोगों से मिलकर अपंग लोगों में हीन भावना पैदा हो सकती है और वो यह महसूस कर सकते हैं कि वो लोग दूसरे लोगों से कम हैं। ऐसे बच्चे हीन भावना के शिकार बहुत जल्दी हो जाते हैं। बच्चों का दिमाग बेहद नाज़ुक होता है इसलिए इस बात का उन पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए ऐसे लोगों से अपने बच्चे को दूर रहना सिखाएं और खुद भी उन्हें ऐसे लोगों से दूर ही रखें।  

5. उनकी क्षमताओं को जाने (Know their abilities) कई बार अपंग बच्चे खुद की अपंगता को अपने कैरियर या जीवन की सबसे बढ़ी समस्या मान लेते हैं और उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि अपंग होने के कारण वो कोई काम नहीं कर सकते सबसे पहले तो बच्चे को उनकी क्षमताओं के बारे में बताएं। अपंगता का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि वो जीवन को अपने अनुसार जीना छोड़ दें। हर बच्चे में अपना-अपना कोई गुण होता है बस आपको भी अपने बच्चे की उस प्रतिभा को बाहर लाना है और उनका परिचय अपने बच्चे से कराना है। धीरे धीरे आपका बच्चा स्वयं इसमें रूचि लेगा और कुछ असाधारण कर दिखायेगा।     6. असफलता को स्वीकार करना (Accepting failure) अपंग बच्चों का जीवन दूसरे लोगों की तुलना में अधिक कठिन होता है। उन्हें कोई भी कार्य करने में अन्य लोगों से अधिक समय लग सकता है। हो सकता है कि उन्हें हर बाद सफलता या जीत प्राप्त न हो। असफल होने के बाद बच्चा हीन भावना महसूस कर सकता है या ऐसा भी हो सकता है कि उसका आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाए। बच्चे को जीवन में हार और जीत दोनों को स्वीकार करना रखना सिखाएं। अगर बच्चा यह सीख गया तो जीवन उसके लिए बेहद आसान हो सकता है। Also Read: Nursery Admission Tips   क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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