मानसून आते ही पूरे विश्व में मलेरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल पूरी दुनिया में मलेरिया के कारण दो लाख से अधिक लोग मरते हैं। इसके अलावा हर साल पूरे विश्व में मलेरिया से मरने वाले लोगों में पच्चीस प्रतिशत बच्चे होते हैं।
बच्चे मलेरिया को झेल नहीं पाते और सही समय पर इलाज न हो पाने के कारण कई बार परिणाम घातक हो जाते हैं। आइयें बच्चों में मलेरिया के लक्षणों (Malaria ke Lakshan) को पहचानें और इससे बचने के उपाय जानें।
मलेरिया प्लाजमोडियम नामक एक परजीवी के संक्रमण से होता है जो मादा एनोफिलिस मच्छर के शरीर में बढ़ता है। यह मच्छर साफ़ पानी में भी पनप और बढ़ सकते हैं। मच्छर के काटने के बाद दस से लेकर पंद्रह दिनों के बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं। बच्चों में इस रोग के लक्षण तीन चरणों में देखने को मिलते हैं।
माता-पिता के लिए इन लक्षणों के बारे में पता होना बेहद आवश्यक हैं, ताकि वो सही समय पर सही कदम उठा कर अपने बच्चे को इस खतरनाक बीमारी से बचा सकें, जानिए इन चरणों के बारे में।
शुरुआती स्टेज (Signs of Malaria in Initial Stage)
शुरुआती स्टेज में आप बच्चों में मलेरिया के लक्षण उसके मूड के माध्यम से देख सकते हैं। बच्चों में इसके शुरुआती लक्षण बच्चों का चिड़चिड़ापन, किसी काम ने ध्यान न देना, उदास रहना, जल्दी थक जाना आदि हो सकते हैं। इसके साथ ही बच्चे की नींद और भूख भी कम हो सकती है।
अगर आपके बच्चे में भी आपको ऐसे लक्षण देखने को मिलें तो बच्चे पर खास ध्यान देना शुरू करें क्योंकि यह मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं।
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दूसरी स्टेज (Second Stage of Malaria)
मलेरिया दूसरी स्टेज की शुरुआत ठंड लगने से होती है और उसके बाद बच्चों को बुखार चढ़ता है। मलेरिया में बच्चे को हलके से लेकर बहुत अधिक बुखार भी हो सकता है। यह बुखार 101 से 105 F या उससे अधिक तक पहुँच सकता है हालाँकि यह बुखार पसीने के आने से उतर जाता है और थोड़ी देर या घंटे में फिर से चढ़ सकता है।
ठंड लगना, बुखार का बार-बार उतरना-चढ़ना ,ऐसे लक्षण दो या तीन दिन तक रह सकते हैं और इसके बाद यह वायरस बहुत तेज़ी से बच्चे के शरीर में फैलता है। मलेरिया के इस चरण में बच्चों को साँस लेने में समस्या भी हो सकती है।
तीसरी स्टेज (Third Stage Malaria Fever Signs in Kids)
जैसे ही बच्चों के शरीर में मलेरिया का वायरस पनपता है वैसे ही बच्चों में कई अन्य लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे:
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अगर यह बिमारी गंभीर हो जाए तो बच्चे को पीलिया हो सकता है या दौरे भी आ सकते हैं ऐसे में तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जाएं और उसका उचित उपचार कराएं। हो सके तो बच्चे को अस्पताल में ही रखें ताकि डॉक्टर की निगरानी में उसका इलाज हो।
अगर बच्चे का सही उपचार न हो तो मलेरिया बार-बार हो सकता है, इसे रिलेप्स मलेरिया (Replace Malaria) कहते हैं। इन मामलों में दो से छे महीने बाद मलेरिया हो सकता है और इन मामलों में मलेरिया के जीवाणु मरते नहीं हैं बल्कि बच्चे के शरीर में जीवित रहते हैं।
गर्भवती महिलाओं को मलेरिया होने की संभावना अधिक होती है और जन्म के बाद भी बच्चे को मलेरिया हो सकता है। अगर गर्भवती स्त्री को मलेरिया हो जाये तो उसके गर्भ में पल रहे शिशु का वजन कम हो सकता है, बच्चे के विकास में समस्या आ सकती है या गर्भपात भी हो सकता है।
अगर आपको बच्चों में उपरोक्त लक्षणों (Symptoms of Malaria in Kids) में से कुछ भी नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। मलेरिया की जांच और दवा सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध है।
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