ध्यान दें कहीं आपके बच्चे का बुखार डेंगू तो नहीं है

ध्यान दें कहीं आपके बच्चे का बुखार डेंगू तो नहीं है

हर बदलते मौसम के साथ बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी उतार चढ़ाव आता रहता है। बच्चे जितने मन के कोमल होते हैं उतने ही शरीर से भी नाजुक होते हैं और बच्चों की यही संवेदनशीलता उनकी जल्दी बीमार होने का कारण बनती है। जब भी मौसम बदलता है तो सबसे ज्यादा संभावना बढ़ती है बुखार होने की और उन बुखारो में एक बुखार है डेंगू। कहने को तो यह बुखार भारत में एक आम बुखार है परंतु यदि इसका सही समय पर सही इलाज ना करवाया जाए तो यह एक जानलेवा बीमारी का रूप ले सकता है। तो आइयें जानते हैं बच्चों में डेंगू के लक्षण और कारण (Causes and Symptoms of Dengue in Kids)।

भारत में यह मच्छरों की वजह से होने वाली सबसे आम बीमारी है। डेंगू बुखार जैसी संक्रमण बीमारियों की चपेट में भी बच्चे जल्दी आ जाते हैं। यह बुखार जितना खतरा बड़ों के लिए पैदा करता है, बच्चों के लिए उससे कहीं ज्यादा खतरा पैदा करता है। नवजात शिशुओं में डेंगू होना आम नहीं है मगर कई बार ऐसा देखा गया है कि यदि मां को गर्भ के दौरान डेंगू का बुखार हो तो उसका असर बच्चे पर भी पड़ता है।

 

डेंगू क्या है? (What is Dengue)

डेंगू मलेरिया की तरह मच्छरों के काटने से होता है। डेंगू का वायरस एडिस मच्छर के काटने से फैलता है और डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। ज्यादातर सभी मच्छर रात को हमला बोलते हैं, वहीं डेंगू के मच्छर सुबह जल्दी के समय और शाम ढलने से पहले हमला करते हैं। यह मच्छर गर्म आर्द्र मौसम और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। डेंगू के मच्छर चिकनगुनिया का कारण होते हैं और इसके साथ-साथ यह जीका जैसी बीमारियां भी फ़ैलाने की क्षमता भी रखता है। इस रोग की शुरुआत गर्मियों में होती है और बरसात के मौसम में यह अपने प्रकोप को दिखाना शुरू कर देता है।

Also Read: Home Remedies for Fever in Kids

बच्चों में डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue in Kids in Hindi)

डेंगू एक ऐसी महामारी है जो पहले एक सामान्य बुखार की तरह आती है परंतु बाद में धीरे-धीरे यह शरीर पर बुरा प्रभाव डालना शुरू कर देती है। डेंगू का बुखार ज्यादा से ज्यादा 2 हफ्ते तक रहता है। डेंगू में बुखार के लक्षण प्रथम चरण में वायरल बुखार की ही तरह होते हैं जिसका पता लगाना मुश्किल होता है। शिशुओं और बच्चों में इनके लक्षण अक्सर हल्के होते हैं। डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue in Kids) जो इस प्रकार हैं:

#1. बहुत तेज बुखार होना
#2. शरीर का तापमान कम होना (जैसे 96.8 डिग्री फारेनहाइट से कम)
#3. सिर में बहुत दर्द होना
#4. बच्चों में चिड़चिड़ापन होना और बेचैनी होना
#5. बच्चों का अत्याधिक रोना
#6. कुछ हजम ना होना और बार-बार उल्टी होना
#7. भूख ना लगना और मुंह का स्वाद खराब होना
#8. मसूड़ों या नाक से खून का आना
#9. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
#10. आंखों के पीछे दर्द होना और नाक से पानी गिरना
#11. गले में खराश का होना
#12. बच्चों के शरीर पर रैशेज होना या लाल रंग के चकते होना
#13. चक्कर आना और कमजोरी महसूस होना
#14. लगातार प्लेटलेट्स का स्तर कम होना इत्यादि।

डेंगू होने पर काफी कमजोरी महसूस होती है परंतु इसमें यह खास बात है कि बुखार ठीक होने के बाद भी कई दिनों तक कमजोरी महसूस होती है और पूरा शरीर भी दर्द करता है। हाथ व पैर की मांसपेशियों और जोड़ों में बहुत दर्द होता है। डेंगू के मच्छर के काटे जाने के करीब 3 से 5 दिन बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण (Symptoms of Dengue) दिखने लगते हैं।

Also Read: Best Food to Increase WBC During Dengue

 

शिशु में डेंगू फैलने के कारण (Causes for Dengue in Kids in Hindi)

#1. डेंगू महामारी फैलने वाला एक ऐसा मादा मच्छर है जो बरसात के मौसम में तेजी से फैलता है।
#2. यह मच्छर उन जगहों पर भी जल्दी फैलता है जहां पानी जमा हो जैसे कुलर, गमला या कोई गड्ढा इत्यादि।
#3. आमतौर पर डेंगू बुखार उस मच्छर के होने से भी होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज को काट रखा हो। जब मच्छर किसी को काटता है तो वह उसका खून चूसता है जिससे उसके खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है और जब वह डेंगू वायरस वाला मच्छर किसी और को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में चला जाता है।
#4. डेंगू उन बच्चों को भी जल्दी प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
#5. डेंगू उन शिशुओं को होने का डर रहता है जिन महिलाओं को गर्भ के दौरान डेंगू होता है।
#6. डेंगू मच्छर दिन में ज्यादा काटते हैं। यह सुबह और शाम ढलने से पहले ज्यादा काटते हैं।
#7. यह मच्छर गर्भ आर्द्र मौसम में ज्यादा काटते हैं।

Protect your kids from pollution

कई बार डेंगू के कारण बच्चों का ब्लड प्रेशर भी कम होने लगता है। बच्चा अपने आप को कमजोर और बीमार महसूस करता है और अपने आप को चलने फिरने में भी असमर्थ सा पाता है। उसका मन खेलकूद या पढ़ाई में नहीं लग पाता। अगर वह आराम करना चाहे तो वह यह भी नहीं कर पाता। इसलिए अगर 3 या 4 दिन तक बच्चे का बुखार ना ठीक हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखा कर खून की जांच करवा ले ताकि किसी बड़ी समस्या से बचा जा सके।

Also Read:   Home Remedies for Cough and Cold in Hindi

क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

null