थायराइड रोग विभिन्न विकारों का एक समूह होता है जो आपकी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करता है। थायरॉइड (Thyroid) आपकी गर्दन के सामने वाले हिस्से पर एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो थायराइड नामक हार्मोन को श्त्रावित्त करती है। थायराइड हार्मोन शरीर की ऊर्जा का नियंत्रण और उसके उपयोग को निर्धारित करता है। उसके अलावा यह आपके शरीर के संचालन के लिए जरूरी हर आवश्यक अंग को प्रभावित करता है।
थायराइड ग्रंथि में गड़बड़ी के कारण यह हार्मोन शरीर में कभी बहुत ज्यादा तो कभी बहुत कम हो जाता है। जब शरीर में थायराइड हार्मोन ज्यादा होते हैं, ऐसी स्थिति को हाइपर थायराइडसम कहा जाता है और जब कम होता है तो उसे हाइपो थायराइडसम कहते हैं।
परंतु आप थायराइड की समस्या होने के बावजूद भी गर्भधारण कर सकती हैं। इसके लिए आपको थायराइड का नियमित परीक्षण करवाना होगा और डॉक्टर के द्वारा बताए जाने वाली दवाओं का नियमित सेवन करना होगा।
गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याएं होती है जो मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी का कारण बनते हैं। अगर मां को थायराइड हो तो यह आपके लिए और ज्यादा परेशानी का कारण बन जाती है।
थायराइड की समस्या आज के समय में एक आम समस्या हो गई है खासतौर पर महिलाओं में। यह बीमारी होने के बाद गर्भावस्था में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। थायराइड की समस्या गंभीर होने के कारण मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।
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थायराइड पांच प्रकार के होते है परंतु भारत जैसे विकासशील देश में हाइपो थायराइड की समस्या गर्भवती महिलाओं में काफी आम है।
हाइपो थायराइड की समस्या का प्रमुख कारण गर्भवती महिला के शरीर में आयोडीन की कमी का होना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक सामान्य महिला को प्रतिदिन 150 मिलीग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए और गर्भवती महिला को प्रतिदिन 200 से 250 मिलीग्राम आयोडीन लेना चाहिए।
शरीर में आयोडीन की कमी होने की वजह से थायराइड ग्रंथि उचित मात्रा में हारमोंस नहीं बना पाती है जिसके कारण गर्भवती महिला के शरीर में आयोडीन की कमी होने से शिशु के दिमागी और शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है।
गर्भावस्था में हाइपो थायराइड का दूसरा कारण है कि यह एक स्व प्रतिरक्षी रोग (बीमारियों से लड़ने की क्षमता को शरीर के खिलाफ इस्तेमाल करने वाला) है जो शरीर की श्वेत रक्त कणिकाओं और एंटीबॉडीज को थायराइड ग्रंथि कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए प्रेरित करता है।
अगर इस रोग का इलाज न किया जाए तो 10 से 15 वर्षों में धीरे-धीरे रोगी की मृत्यु हो सकती है। इस रोग की असली वजह अभी तक कोई नहीं जान पाया है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होता है और वही कुछ डॉक्टर इसकी वजह रोगी के जींस को मानते हैं।
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गर्भावस्था में हायपर थायराइडसम आमतौर पर ग्रेवस के कारण होता है। ग्रेवस रोग में आप थकान महसूस करते हैं और आपकी आंखें बाहर आ जाती हैं। वह आपकी प्रतिरक्षा तंत्र का विकार होता है। इस बीमारी में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबॉडीज बनाना शुरू करती है जिसके कारण थायराइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगती है।
थायराइड को बढ़ाने वाले इन एंटीबॉडीज को इम्यूनोग्लोबुलीन प्लाज्मा कोशिका के द्वारा बनने वाला ग्लाइकोप्रोटीन या टीएसआई भी कहते हैं। ग्रेव्स रोग गर्भावस्था के दौरान हो सकता है। थायराइड की अधिक मात्रा गर्भवती महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खराब होती है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज थायराइड की बीमारियां जीवन शैली के साथ जुड़ चुकी हैं। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और लिपिड डिसऑर्डर के साथ इनका सीधा संबंध पाया गया है। गलत आहार जैसे वसायुक्त खाद्य पदार्थ, ज्यादा कैलोरी का सेवन, विटामिन और मिनरल्स की कमी से हमारा शरीर अपना काम सही से नहीं कर पाता है। जिससे वजन बढ़ना और और मोटापा जैसी समस्याएं भी बढ़ती है।
थायराइड ग्रंथि पर शरीर के अन्य हार्मोन का भी असर पड़ता है। हार्मोन का स्तर असंतुलित होने से थायराइड पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा, पानी और भोज्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्व भी थायराइड का कारण हो सकते हैं। एक्स रे किरणों के कारण भी थायराइड कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो सकता है जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में भोजन व पानी की गुणवत्ता व थायराइड की जांच के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
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थायराइड से निजात पाने के लिए उसका सही इलाज बहुत जरूरी है। इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान हर महीने थायराइड की जांच करानी चाहिए और सही समय पर दवाई भी लेनी चाहिए।
गर्भावस्था में थायराइड की समस्या होने पर गर्भवती महिला को रोजाना आधा घंटा व्यायाम करना चाहिए और साथ में डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। अगर आप चाहती हैं कि थायराइड का आपके शिशु पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े तो डॉक्टर की सलाह से सही समय पर दवाओं का सेवन करें और समय-समय पर इसका टेस्ट करवाते रहें।
व्यायाम करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और थायराइड ग्लैंड पर व्यायाम का सीधा और सकारात्मक असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान थायराइड के इलाज के लिए दी जाने वाली डोज जरूरत के हिसाब से घटाई या बढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान थायराइड के इलाज में दवाओं के डोज बढ़ा दिए जाते हैं लेकिन शिशु के जन्म के बाद इसे आवश्यकता के हिसाब से कम कर दिया जाता है।
ऐसे कई विटामिन और पोषक तत्व है जो थायराइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी है। अगर आप जरूरी पोषक तत्व पदार्थ से युक्त संतुलित आहार नहीं लेंगे तो आपको थायराइड जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा क्योंकि गर्भावस्था के दौरान पेट और पाचन क्रिया का सही रहना बहुत जरूरी है।
जिन गर्भवती महिलाओं को थायराइड की समस्या होती है उन्हें अपने भोजन में अधिक से अधिक फाइबर लेना चाहिए क्योंकि इससे कब्ज की समस्या नहीं होती है क्योंकि थायराइड होने पर कब्ज की समस्या ज्यादा होने लगती है।
जिन गर्भवती महिलाओं को थायराइड की समस्या है वह अपने भोजन में आयोडीन को अवश्य शामिल करें क्योंकि आयोडीन थायराइड को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए प्राकृतिक आयोडीन जैसे टमाटर, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करें।
गर्भवती महिलाओं को थायराइड से निजात पाने के लिए रोजाना 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में विषैले पदार्थ को बाहर निकलने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आप रोजाना एक से दो गिलास जूस पिए और सप्ताह में एक बार नारियल पानी अवश्य पीएं।
आप अपनी डाइट में विटामिन ए और आयरन से भरपूर हरी सब्जियों को शामिल करें। लगभग सभी प्रकार की हरी सब्जियों में काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हायपोथायराइड को नियंत्रित करने में काफी सहायक होता है। गाजर में विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता है। यह भी थायराइड को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डॉक्टर थायराइड में कुछ विशेष फलों को खाने की सलाह देते हैं। इनमें मुख्य रूप से केला, संतरा, स्ट्रौबरी और ब्लूबेरी शामिल है।
ऐसे अनाज जिनमें भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन हो, ऐसे आहरों को अपने आहार में अवश्य शामिल करें जिनमें चावल और गेहूं मुख्य है।
थायराइड होने की स्थिति में आप अपने आहार में दूध व उससे बनी चीजों को भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं जैसे चीज़, दही, पनीर आदि।
जो गर्भवती महिलाएं थायराइड से पीड़ित होती हैं उन महिलाओं को थोड़ी-थोड़ी देर में थकान महसूस होती है इसलिए उन्हें मुलेठी खाने की सलाह दी जाती है। मुलेठी के सेवन से उसकी थायराइड ग्रंथि से हारमोंस का स्त्राव संतुलित मात्रा में होता है जिससे कम थकान महसूस होती है।
गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को थायराइड है तो उसे तनावमुक्त रहना चाहिए और साथ ही पूरा आराम भी करना चाहिए। उसे अपना और अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर की हर सलाह का पालन इमानदारी से करना चाहिए। इससे आप और आपका शिशु दोनों सुरक्षित रहेंगे।
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