गर्भावस्था में थायरॉइड : गले में दर्द को ना करें नजरअंदाज

गर्भावस्था में थायरॉइड : गले में दर्द को ना करें नजरअंदाज

थायराइड रोग विभिन्न विकारों का एक समूह होता है जो आपकी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करता है। थायरॉइड (Thyroid) आपकी गर्दन के सामने वाले हिस्से पर एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो थायराइड नामक हार्मोन को श्त्रावित्त करती है। थायराइड हार्मोन शरीर की ऊर्जा का नियंत्रण और उसके उपयोग को निर्धारित करता है। उसके अलावा यह आपके शरीर के संचालन के लिए जरूरी हर आवश्यक अंग को प्रभावित करता है।

थायराइड की बीमारी कब होती है? 

थायराइड ग्रंथि में गड़बड़ी के कारण यह हार्मोन शरीर में कभी बहुत ज्यादा तो कभी बहुत कम हो जाता है। जब शरीर में थायराइड हार्मोन ज्यादा होते हैं, ऐसी स्थिति को हाइपर थायराइडसम कहा जाता है और जब कम होता है तो उसे हाइपो थायराइडसम कहते हैं।

परंतु आप थायराइड की समस्या होने के बावजूद भी गर्भधारण कर सकती हैं। इसके लिए आपको थायराइड का नियमित परीक्षण करवाना होगा और डॉक्टर के द्वारा बताए जाने वाली दवाओं का नियमित सेवन करना होगा।

गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याएं होती है जो मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी का कारण बनते हैं। अगर मां को थायराइड हो तो यह आपके लिए और ज्यादा परेशानी का कारण बन जाती है।

थायराइड की समस्या आज के समय में एक आम समस्या हो गई है खासतौर पर महिलाओं में। यह बीमारी होने के बाद गर्भावस्था में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। थायराइड की समस्या गंभीर होने के कारण मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।

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थायराइड के लक्षण (Symptoms of Thyroid During Pregnancy in Hindi)

  • वजन का तेजी से बढ़ना और कम होना।
  • ज्यादा थकान रहना और नींद ना आना।
  • मांसपेशियों का कमजोर होना और कोलेस्ट्रॉल बढ़ना।
  • आंखों और चेहरे पर सूजन रहना।
  • दिल का सही ढंग से काम ना करना।
  • सिर दर्द, गर्दन और जोड़ों में दर्द रहना।
  • हाथों का कांपना।
  • अधिक ठंड लगना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना।
  • यादाश्त या फिर एकाग्रता से जुड़ी समस्याएं होना।

 

थायराइड के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ने वाले प्रभाव

  • समय से पहले बच्चे का जन्म होना।
  • जन्म के समय शिशु का वजन कम होना।
  • गर्भपात होना।
  • गर्भधारण के अंतिम चरण में मां के ब्लड प्रेशर का तेजी से बढ़ना।
  • दिल की विफलता।
  • बच्चे के सिर में नर्म स्थान होना।
  • यह बच्चों के शारीरिक मानसिक विकास पर असर डालता है। कभी-कभी बच्चा असामान्य भी हो सकता है।

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गर्भावस्था में थायराइड होने के कारण (Causes of Thyroid During Pregnancy in Hindi)

थायराइड पांच प्रकार के होते है परंतु भारत जैसे विकासशील देश में हाइपो थायराइड की समस्या गर्भवती महिलाओं में काफी आम है।

 

#1. आयोडीन की कमी

हाइपो थायराइड की समस्या का प्रमुख कारण गर्भवती महिला के शरीर में आयोडीन की कमी का होना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक सामान्य महिला को प्रतिदिन 150 मिलीग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए और गर्भवती महिला को प्रतिदिन 200 से 250 मिलीग्राम आयोडीन लेना चाहिए।

शरीर में आयोडीन की कमी होने की वजह से थायराइड ग्रंथि उचित मात्रा में हारमोंस नहीं बना पाती है जिसके कारण गर्भवती महिला के शरीर में आयोडीन की कमी होने से शिशु के दिमागी और शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है।

 

#2. हाइपो थायराइड का दूसरा कारण

गर्भावस्था में हाइपो थायराइड का दूसरा कारण है कि यह एक स्व प्रतिरक्षी रोग (बीमारियों से लड़ने की क्षमता को शरीर के खिलाफ इस्तेमाल करने वाला) है जो शरीर की श्वेत रक्त कणिकाओं और एंटीबॉडीज को थायराइड ग्रंथि कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए प्रेरित करता है।

अगर इस रोग का इलाज न किया जाए तो 10 से 15 वर्षों में धीरे-धीरे रोगी की मृत्यु हो सकती है। इस रोग की असली वजह अभी तक कोई नहीं जान पाया है लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस या बैक्टीरिया की वजह से होता है और वही कुछ डॉक्टर इसकी वजह रोगी के जींस को मानते हैं।

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#3. ग्रेवस रोग के कारण

गर्भावस्था में हायपर थायराइडसम आमतौर पर ग्रेवस के कारण होता है। ग्रेवस रोग में आप थकान महसूस करते हैं और आपकी आंखें बाहर आ जाती हैं। वह आपकी प्रतिरक्षा तंत्र का विकार होता है। इस बीमारी में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबॉडीज बनाना शुरू करती है जिसके कारण थायराइड ग्रंथि अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगती है।

थायराइड को बढ़ाने वाले इन एंटीबॉडीज को इम्यूनोग्लोबुलीन प्लाज्मा कोशिका के द्वारा बनने वाला ग्लाइकोप्रोटीन या टीएसआई भी कहते हैं। ग्रेव्स रोग गर्भावस्था के दौरान हो सकता है। थायराइड की अधिक मात्रा गर्भवती महिला और उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खराब होती है।

 

#4. आपका लाइफ़स्टाइल भी है जिम्मेदार

यह कहना गलत नहीं होगा कि आज थायराइड की बीमारियां जीवन शैली के साथ जुड़ चुकी हैं। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और लिपिड डिसऑर्डर के साथ इनका सीधा संबंध पाया गया है। गलत आहार जैसे वसायुक्त खाद्य पदार्थ, ज्यादा कैलोरी का सेवन, विटामिन और मिनरल्स की कमी से हमारा शरीर अपना काम सही से नहीं कर पाता है। जिससे वजन बढ़ना और और मोटापा जैसी समस्याएं भी बढ़ती है।

 

#5. रसायनिक तत्व भी है जिम्मेदार

थायराइड ग्रंथि पर शरीर के अन्य हार्मोन का भी असर पड़ता है। हार्मोन का स्तर असंतुलित होने से थायराइड पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा, पानी और भोज्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्व भी थायराइड का कारण हो सकते हैं। एक्स रे किरणों के कारण भी थायराइड कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो सकता है जिससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में भोजन व पानी की गुणवत्ता व थायराइड की जांच के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

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प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड से बचने के उपाय

थायराइड से निजात पाने के लिए उसका सही इलाज बहुत जरूरी है। इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान हर महीने थायराइड की जांच करानी चाहिए और सही समय पर दवाई भी लेनी चाहिए।

#1. व्यायाम करना

गर्भावस्था में थायराइड की समस्या होने पर गर्भवती महिला को रोजाना आधा घंटा व्यायाम करना चाहिए और साथ में डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। अगर आप चाहती हैं कि थायराइड का आपके शिशु पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े तो डॉक्टर की सलाह से सही समय पर दवाओं का सेवन करें और समय-समय पर इसका टेस्ट करवाते रहें।

व्यायाम करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और थायराइड ग्लैंड पर व्यायाम का सीधा और सकारात्मक असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान थायराइड के इलाज के लिए दी जाने वाली डोज जरूरत के हिसाब से घटाई या बढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान थायराइड के इलाज में दवाओं के डोज बढ़ा दिए जाते हैं लेकिन शिशु के जन्म के बाद इसे आवश्यकता के हिसाब से कम कर दिया जाता है।

 

#2. सही आहार

ऐसे कई विटामिन और पोषक तत्व है जो थायराइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी है। अगर आप जरूरी पोषक तत्व पदार्थ से युक्त संतुलित आहार नहीं लेंगे तो आपको थायराइड जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा क्योंकि गर्भावस्था के दौरान पेट और पाचन क्रिया का सही रहना बहुत जरूरी है।

जिन गर्भवती महिलाओं को थायराइड की समस्या होती है उन्हें अपने भोजन में अधिक से अधिक फाइबर लेना चाहिए क्योंकि इससे कब्ज की समस्या नहीं होती है क्योंकि थायराइड होने पर कब्ज की समस्या ज्यादा होने लगती है।

 

#3. आयोडीन का सेवन करें

जिन गर्भवती महिलाओं को थायराइड की समस्या है वह अपने भोजन में आयोडीन को अवश्य शामिल करें क्योंकि आयोडीन थायराइड को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए प्राकृतिक आयोडीन जैसे टमाटर, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करें।

 

#4. पानी

गर्भवती महिलाओं को थायराइड से निजात पाने के लिए रोजाना 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में विषैले पदार्थ को बाहर निकलने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आप रोजाना एक से दो गिलास जूस पिए और सप्ताह में एक बार नारियल पानी अवश्य पीएं।

 

#5. हरी सब्जियां

आप अपनी डाइट में विटामिन ए और आयरन से भरपूर हरी सब्जियों को शामिल करें। लगभग सभी प्रकार की हरी सब्जियों में काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हायपोथायराइड को नियंत्रित करने में काफी सहायक होता है। गाजर में विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता है। यह भी थायराइड को नियंत्रित करने में मदद करता है।

 

#6. फल

डॉक्टर थायराइड में कुछ विशेष फलों को खाने की सलाह देते हैं। इनमें मुख्य रूप से केला, संतरा, स्ट्रौबरी और ब्लूबेरी शामिल है।

 

#7. अनाज

ऐसे अनाज जिनमें भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन हो, ऐसे आहरों को अपने आहार में अवश्य शामिल करें जिनमें चावल और गेहूं मुख्य है।

 

#8. दूध

थायराइड होने की स्थिति में आप अपने आहार में दूध व उससे बनी चीजों को भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं जैसे चीज़, दही, पनीर आदि।

 

#9. मुलेठी

जो गर्भवती महिलाएं थायराइड से पीड़ित होती हैं उन महिलाओं को थोड़ी-थोड़ी देर में थकान महसूस होती है इसलिए उन्हें मुलेठी खाने की सलाह दी जाती है। मुलेठी के सेवन से उसकी थायराइड ग्रंथि से हारमोंस का स्त्राव संतुलित मात्रा में होता है जिससे कम थकान महसूस होती है।

 

#10. तनाव से दूर रहें

गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को थायराइड है तो उसे तनावमुक्त रहना चाहिए और साथ ही पूरा आराम भी करना चाहिए। उसे अपना और अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर की हर सलाह का पालन इमानदारी से करना चाहिए। इससे आप और आपका शिशु दोनों सुरक्षित रहेंगे।

 

कुछ अन्य घरेलू टिप्स (Home Remedies of Thyroid in Hindi)

  • थायराइड से पीड़ित महिला को खाने में सेंधा या काले नमक का प्रयोग करना चाहिए।
  • बच्चे के जन्म के बाद तीसरे से पांचवे दिन के भीतर उसका भी थायराइड टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए।
  • गर्भावस्था में थायराइड होने पर आपको सोया युक्त आहार से दूर रहना चाहिए। जैसे कि सोयाबींस, टोफू, सोया सॉस आदि खाने से परहेज की सलाह दी जाती है।
  • गर्भावस्था में थायराइड होने पर शराब और सिगरेट से भी दूर रहना चाहिए।
  • थायराइड होने पर चाय और कॉफी का भी परहेज करना चाहिए क्योंकि इनमें कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है।
  • थायराइड होने पर गैस पैदा करने वाली सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे कि पत्ता गोभी, मूली, ब्रोकली और पालक आदि।
  • गर्भावस्था में थायराइड होने पर मसालेदार खाना नहीं खाना चाहिए।
  • यह बीमारी होने पर हमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और डॉक्टर से हर महीने चेकअप करवाना चाहिए। दवा भी सही समय और सही मात्रा में लेनी चाहिए।
  • थायराइड की समस्या ज्यादा गंभीर होने पर अंतिम विकल्प के रूप में आप आयोडीन थेरेपी या सर्जरी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।

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