त्वचा शरीर का ऐसा भाग है जिसका पूरी तरह से विकसित होना बहुत जरूरी हैं। त्वचा हमारे शरीरे को संक्रमण से बचाती हैं, शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मददगार हैं और शरीर में पानी की कमी को नहीं होने देती। समय से पहले पैदा हुए बच्चों में संक्रमण और त्वचा के माध्यम से शरीर में पानी की कमी होने की संभावना रहती हैं। उनकी त्वचा को साबुन, डिटर्जेंट या लोशन में पाए जाने वाले केमिकल भी हानि पहुंचा सकते हैं। प्री-मेच्योर शिशु की त्वचा दूसरे नवजात शिशुओं की तरह नहीं होती बल्कि उनसे भी अधिक संवेदनशील होती है, इसलिए प्री-मेच्योर शिशु की त्वचा को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
श्रुति ने अपनी गर्भावस्था के हर पल को बेहद उत्साह और ख़ुशी से बिताया लेकिन किन्हीं कारणों से उनका प्रसव गर्भावस्था के 37 हफ़्तों से पहले करवाना पड़ा जिसे समय-पूर्व या प्री-मच्योर प्रसव कहा जाता है। उसके शिशु का वजन बहुत कम था इसके साथ ही शिशु की त्वचा की सुरक्षा को लेकर श्रुति अधिक परेशान रहने लगी थी। प्री-मच्योर होने के कारण श्रुति के शिशु की त्वचा बेहद संवेदनशील थी जिससे उसे संक्रमण का खतरा अधिक था लेकिन कुछ सावधानियां बरतने के बाद श्रुति ने न केवल इन परेशानियों से छुटकारा पाया बल्कि उसके और उसके शिशु के बीच एक अटूट रिश्ता बन गया। जानिए प्री-मेच्योर बच्चों की स्किन का कैसे रखें ख्याल और कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
प्री-मेच्योर बच्चों की स्किन का कैसे रखें ख्याल (Skin Care Tips for Premature Babies in Hindi)
1) शिशु को नहलाना (Baby Bathing)
प्री मेच्योर बच्चों को जन्म के तुरंत बाद रोजाना नहलाना आवश्यक नहीं होता। यहां तक कि कई डॉक्टर्स प्री-मेच्योर बच्चे इतने गंदे नहीं होते की उन्हें रोजाना नहलाया जाए और साथ ही रोजाना नहलाने से शिशु अपनी त्वचा की नमी बहुत जल्दी खो देता है जिससे उनकी त्वचा रूखी हो सकती है। आप उसे स्पंज से साफ़ कर सकती हैं। शिशु को नहलाने के लिए साधारण पानी और बच्चों के मृदु साबुन का ही प्रयोग करें। बाजार में मिलने वाले बच्चों के साबुन में कैमिकल्स की मात्रा होती है जो शिशु की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही यह केमिकल ऐसे प्राकृतिक बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं जो इन्फेक्शन से बचाते हैं इसीलिए प्री-मेच्योर बच्चों की त्वचा के लिए मॉइस्चराइजर या क्रीम को भी सोच समझ कर चुनें।
2) डाइपर (Diaper)
प्री-मेच्योर बच्चे अपनी त्वचा की नमी को बहुत जल्दी खोते हैं खासतौर पर अपने डायपर एरिया की, जिसके कारण उस स्थान पर रेशेस बहुत ही सामान्य है। इसलिए शिशु के डायपर एरिया को सूखा और साफ़ रखना बेहद आवश्यक है। सामान्यतया बच्चों का डायपर तभी बदला जाता है जब उसे बहुत समय से प्रयोग किया जा रहा हो या वो भारी हो गया हो लेकिन अपने बच्चे की स्किन को सुरक्षित रखने के लिए उनके डायपर को हर दो या तीन घंटे में बदल देना चाहिए। अगर शिशु पॉटी करता है उस स्थिति में तो इसे तुरंत बदल दें। अगर आप चाहे तो कॉटन की नेपी का भी प्रयोग कर सकती हैं। बेबी के निचले भाग को साफ़ करने के लिए या तो गुनगुने पानी और साफ़ कॉटन या कपडे का प्रयोग करें। इसके लिए किसी बच्चों के मृदु साबुन का प्रयोग कर सकते है। अगर बेबी वाइप्स का प्रयोग कर रहे हैं तो इनकी पूरी जाँच कर लें क्योंकि केमिकल युक्त होने के कारण यह शिशु की त्वचा को हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिए अगर आपके प्री-मेच्योर शिशु को रैशस हो भी जाते हैं तो उस पर डायपर रैश दूर करने के लिए उपलब्ध क्रीम का प्रयोग करें। अगर समस्या अधिक बढ़ जाए तो डॉक्टर की सलाह लें।
3) मालिश (Massage)
मालिश शिशु की त्वचा की पूरी तरह से सुरक्षा करने और उनके शारीरिक व मानसिक विकास का सबसे अच्छा तरीका है। लेकिन जब बात प्री-मच्योर शिशु की होती है तो मालिश करते समय बहुत ही अधिक ध्यान की आवश्यकता पड़ती है। प्री-मच्योर शिशु की मालिश के लिए आप सूरजमुखी के तेल का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यह तेल बच्चे को संक्रमण से बचाता है और समय से पहले पैदा हुए बच्चों को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है। हालाँकि अगर प्री-मच्योर शिशु की त्वचा बहुत अधिक संवेदनशील है तो ऐसे में मालिश से पहले डॉक्टर की राय लेना भी एक उचित विचार होगा।
4) कपड़े (Cloths)
प्री-मच्योर बच्चे की त्वचा को उसके कपड़े भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही नहीं बच्चे के कपड़ों को किस साबुन या डिटर्जेंट से धोया जाता है, यह बात भी उसकी त्वचा को प्रभावित कर सकती है। अपने प्री-मच्योर बच्चे के कपड़ों को धोने के लिए केमिकल फ्री डिटर्जेंट या साबुन का प्रयोग करें इसके साथ ही बच्चों के लिए हलके, सूती और लिनेन के कपड़ों का प्रयोग करें। बच्चों के बिस्तर, कंबल या अन्य चीज़ों को लेकर भी सावधान रहें।
5) चिकित्सा की सामग्री (Medical Equipment)
प्री-मच्योर शिशुओं को जन्म के बाद मेडिकल उपकरणों में रखा जाता है या कुछ दिन उनका उपचार किया जाता है जिसके कारण उनके शरीर पर कई तरह की टेप्स या चिपकने वाले पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जो शिशु की त्वचा के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकते हैं। ऐसे में शिशु के शरीर पर जहाँ-जहाँ इन चीज़ों का प्रयोग किया गया हो वहां की त्वचा का खास ध्यान रखना और उसे सुरक्षित रखना बेहद आवश्यक है। इन चीज़ों को बच्चे की त्वचा से एकदम खिंच कर न निकाले बल्कि उस टेप या चिपकने वाली चीज़ों वाले हिस्से को पानी में कुछ देर डाल कर रखें और उसके बाद उसे आराम से निकाल दें। ज़बरदस्ती उन्हें निकालना शिशु की त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है।
6) साफ-सफाई (Cleanliness)
प्री-मच्योर शिशु को दूसरे शिशुओं की तुलना में अधिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है क्योंकि इन्हें संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती हैं। प्री-मच्योर शिशु बहुत जल्दी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं और उसकी स्किन को भी नुकसान हो सकता है। समय से पहले जन्मे बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए उसकी और उसके आसपास की सफाई का खास ध्यान रखें। उस कमरे में बिलकुल भी गंदगी या धूल-मिट्टी नहीं होनी चाहिए जिस कमरे में शिशु को रखा जाता है। शिशु के कमरे में जाने या उसे छूने की अनुमति किसी को भी न दें, खासकर ऐसे व्यक्ति को जो पहले ही संक्रमण का शिकार हो क्योंकि इससे बच्चा जल्दी बीमार हो सकता है।
7) अन्य सावधानियां (Other Precautions for Premature Baby Skin)
सूर्य की रोशनी को बच्चों के लिए लाभदायक माना जाता है लेकिन अपने प्री-मच्योर बच्चे को सीधी आ रही सूर्य की रोशनी से बचाएँ खासतौर पर गर्मी के मौसम में क्योंकि इससे शिशु की त्वचा को हानि पहुंचेगी। अगर कभी बच्चे को बाहर ले जाना पड़े तो पूरी तरह से कवर कर के रखें।
शिशु को मच्छरों और अन्य कीड़े-मकोड़े से बचा कर रखना बेहद ज़रूरी है। न केवल इससे कई रोगों से शिशु दूर रहेंगे बल्कि कीड़ों के दंश से पड़ने वाले निशानों और उससे होने वाली समस्याओं से भी बच्चों को बचाया जा सकता है इसके लिए आप किसी ऐसे रेपेलेंट का प्रयोग कर सकते हैं जो बच्चों के लिए भी सुरक्षित हो।
(यह जानकारी जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा प्रायोजित है।)
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