जैसा कि हम जानते हैं कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए सजा देना जरूरी होता है परंतु उन्हें क्या सजा दी जा रही है यह उससे ज्यादा जरूरी होता है। आपको यह पता होना चाहिए कि आपका बच्चा जो कि बिगड़ चुके हैं या आपकी बात नही मानता हैं तो उन्हें सही करने के लिए आपको उन्हें क्या सजा देनी चाहिए (How to Punish Kids) ताकि वह ठीक भी हो जाए और उसे कोई नुकसान भी ना पहुंचे।
अगर बच्चे को जब तक सही और गलत के बीच के अंतर का पता नहीं चलेगा तो आगे चलकर उन्हें अपनी शैक्षिक, पेशेवर और मनोवैज्ञानिक जिंदगी में बहुत दिक्कतें आती हैं। तो आइए जानते हैं बच्चों को सजा कैसे दें या अगर बच्चा गलती करे तो क्या करे?
जब बात बच्चों को सजा देने की आती है तब हर माता-पिता का अपना अलग-अलग विचार होता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों से सख्ती से पेश आते हैं और कुछ माता-पिता अपने बच्चों को नरम स्वभाव से हैंडल करते हैं।
हालांकि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए कोई एक तरीका सही नहीं है परंतु अगर आप सही तरीके अपनाएंगे तो आपको इस समस्या से जल्दी निजात मिल जाएगी। इस सजा में आप अपने बच्चों के गलती करने पर उनकी सबसे मनपसंद चीज 7 या 8 दिन के लिए रोक सकते हैं।
जैसे यदि आपका बच्चा सही ढंग से पढ़ाई नहीं कर रहा है और परीक्षा में उसके नंबर काम आते हैं तो आप उसका वीडियो गेम 7 या 8 दिन के लिए उसे ना दे। जब तक कि वह आपकी बात मान कर सही से पढ़ना ना चालू कर दे।
नोट: कृपया इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने बच्चों की चीजों को सिर्फ सजा देने के लिए ले। आप उनसे उनकी जरूरत की चीजें ना ले जैसे खाना नहीं देना या फिर उसे मारना इत्यादि, ऐसा सब ना करें।
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असल दुनिया में नियमों को तोड़ने का परिणाम उसकी भरपाई करके होता है। अगर आपके बच्चे किसी के साथ कुछ गलत करते हैं तो उन्हें उसकी भरपाई करने के लिए कहा जाना चाहिए। फिर चाहे फाइन देना हो या फिर कोई काम करना हो आदि।
आप अपने बच्चों को यह सिखाएं कि जब वह कुछ गलती करते हैं तो उन चीजों को कैसे सही करें। खास करके जब वह किसी प्रॉपर्टी या फिर किसी बड़ी चीज को नुकसान पहुंचाते हैं।
आप अपने बच्चों को सिखाएं कि गलती होने से पहले खुद परिणाम जाने जैसे अगर वे सारा दिन घर पर बैठकर ही वीडियो गेम खेलते हैं तो ना तो उनके दोस्त बनेंगे और ना ही उनकी पढ़ाई पूरी होगी।
इससे उनको खुद को नुकसान होगा या फिर ठंड में अगर वे आपके कहने पर भी गर्म कपड़े पहन कर नहीं जाते हैं तो उन्हें ठंड लगेगी और वे बीमार पड़ जाएंगे जिससे वे इस बात से सबक लेकर अपने आप ही ठंड में गर्म कपड़े पहन कर जाएंगे। इसलिए आप पहले अपने बच्चे को सलाह दे और मानना या ना मानना उन पर छोड़ दे।
बाद में जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हो तब आप उन्हें यह बात समझाएं कि उन्हें गलत काम करने से पहले ही एक बार उसके परिणाम के बारे में सोच लेना चाहिए।
उदहारण के तौर पर जब आपका बच्चा खाना खाने से मना कर रहा हो और गेम खेल रहा हो तब आप उसे खाने की 2-3 बाईट खुद से खिलाये और उसे वही रहने दे। जब वह बाद में ठंडा खाना खायेगा तब उसे अपने आप सजा भी मिल जाएगी और वह अनुशासन में भी रहना सीख जाएगा।
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जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं तब वे अपने आसपास के लोगों से और अपने दोस्तों के साथ एक अच्छा संबंध बना लेते हैं व दिन का ज्यादातर समय वे उनके साथ ही बिताते हैं। अगर आप अपने बच्चों का उनके दोस्तों के साथ थोड़े समय के लिए मिलना जुलना बंद कर दे तो यह आपके बच्चे के लिए सजा के बराबर ही होगा।
जैसे कि आप उन्हें किसी की बर्थडे पार्टी या कोई डांस पार्टी में ना लेकर जाए और उन्हें बताएं कि यह उनकी गलती की सजा है। इससे उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा परंतु अगर आपके बच्चे पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है तो आप अपनी योजना को बदलें।
नोट: आप इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने बच्चे को ज्यादा दिन के लिए उसके दोस्तों से अलग ना करें। ऐसा करने से बच्चे आप से ही रूठ जाएंगे और इससे उनके मानसिक विकास पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अगर आपके बच्चे खुद चल कर अपने आप माफी मांगते हैं तो सामने वाला उसे जरूर माफ कर देगा। जैसे कि आपका बच्चा पड़ोस में किसी बच्चे को कोई नुकसान पहुंचाता है या फिर उसकी कोई चीज ले लेता है तो आप उसे लेकर जाए और उसे उस बच्चे से माफी मांगने को कहें।
इससे आपके बच्चे को अपनी गलती का एहसास होगा। आप चाहे तो उस बच्चे के नुकसान की भरपाई अपने बच्चों को करने के लिए कहे जैसे कि अगर उस बच्चे का खिलौना टूट गया है तो आप अपने बच्चे को अपना खिलौना उसे देने के लिए कहे।
जब बात बच्चों को सजा देने की आती है तो सबसे पहले बात शारीरिक दंड देने की आती है। कुछ माता-पिता की राय यह होती है कि अपने बच्चों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। परंतु पुराने ख्याल के कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासित रखने के लिए उन पर हाथ उठाना और मारने पीटने पर ही विश्वास रखते हैं।
अगर आप अपने बच्चों को शारीरिक दंड देना चाहते हैं तो आप उनके किसी गंभीर अपराध के करने पर ही उन्हें शारीरिक दंड दे। परंतु अगर आप उनकी छोटी-छोटी गलती पर भी उन पर हाथ उठाते हैं तो आपके बच्चे अनुशासित होने की जगह और बिगड़ जाएंगे और वे आप से नफरत करने लगेंगे।
नोट: हर माता-पिता का खुद का निर्णय होता है कि अपने बच्चे को क्या सजा दे परंतु सिर्फ शारीरिक दंड पर ही निर्भर रहना एक सही निर्णय नहीं है। ऐसा करने से आपके बच्चे गुस्सैल बन जाएंगे।
आप अपने बच्चों को डांटे परंतु डांटते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि आप गलती से भी किसी गाली का प्रयोग ना करें। इससे आपके बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और वह भी गाली गलौज करना सीख जाएंगे।
इससे आपके बच्चों को ही नुकसान होगा। अगर आप अपने बच्चे क डांटते समय गाली-गलौज करेंगे तो वे खुद को नुकसान पहुंचाएंगे, चीजों को तोड़फोड़ देंगे या वे इस कारण तनाव में भी जा सकते हैं।
आप अपने बच्चों को गलत व्यवहार और सही व्यवहार क्या होता है, यह अवश्य समझाएं। जब आपका बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है तब आप उन्हें सही और गलत का अंतर समझाएं। यह समझाएं कि कोई चीज क्यों गलत है, किसी के साथ भी गलत व्यवहार करना क्यों सही नहीं है और किसी गलती को दोहराने पर सजा को स्वीकारना इत्यादि।
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आप अपने बच्चे को यह समझाएं कि कई बार छोटी-छोटी गलतियां करने पर व उसे ना मानने पर भी वह बड़ी सजा का रूप ले लेती है जिससे बच्चे को ही नुकसान पहुंचता है।
अगर वे किसी से सही तरह से पेश नहीं आते हैं या बहुत गुस्सा करते हैं तो उन्हें एक चेतावनी देकर छोड़ दे और बोले कि अगली बार ऐसा हुआ तो उन्हें इसकी सजा मिलेगी। आप अपनी इस बात पर अटल भी रहे। बच्चे तो गलती करते हैं परंतु आपका यह काम है कि उन्हें दोबारा ऐसी गलती करने रोके।
कभी-कभी आपके बच्चे का दुर्व्यवहार अगर आप सही नहीं कर पाते हैं तो उस समय आप किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना ना भूले। ऐसी समस्याएं आसान सजा देने से या फिर अनुशासन सिखाने से सही नहीं हो पाती हैं। कभी कभार बच्चे को चिकित्सीय मदद, परामर्श या फिर सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
नीचे दिए गए कुछ ऐसे गलत व्यवहार जिन पर विशेषज्ञ की सलाह की जरूरत होती है, वे इस प्रकार हैं:
इन सभी से बच्चे को सही राह पर लाने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह की आवश्यकता होती है जो कि माता-पिता नहीं दे पाते हैं।
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