जानिए कब और क्यों करवानी पड़ती है सिजेरियन डिलीवरी ?

जानिए कब और क्यों करवानी पड़ती है सिजेरियन डिलीवरी ?

एक गर्भवती महिला (Pregnant Women) के लिए सबसे बड़ी चिंता यह होती है कि उसका प्रसव सामान्य होगा या सी सेक्शन (Cesarean Delivery)। इस लेख में हम यह पढेंगे कि सी-सेक्शन कराने के मुख्य कारण क्या होते हैं। कभी-कभी हमारी योजना के विपरीत भी हमें सी-सेक्शन को चुनना पड़ता है। इसके बहुत सारे मेडिकल कारण (Medical Reason) भी हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं सी-सेक्शन प्रसव के 10 मुख्य कारण (Common Reasons for C Section Delivery)।

 

सी-सेक्शन प्रसव या सिजेरियन डिलीवरी कराने के 10 मुख्य कारण (10 Most Common Medical Reasons for C Section Delivery)

यहां हम आपको कुछ ऐसी परिस्थितियों के बारें में बता रहे हैं जब सी सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी करवाने की जरूरत पड़ती है या ऑपरेशन से डिलीवरी (Why C-Section Delivery is necessary) क्यों करानी पड़ती है। सी सेक्शन डिलीवरी के दस मुख्य कारणः

 

  • बच्चे की असामान्य स्थिति
  • लेबर पेन की समस्या
  • जुड़वा बच्चे
  • पेट में पानी का कम होना
  • ज्यादा देर तक लेबर पेन का खिंचना
  • पहले सी सेक्शन डिलीवरी का होना
  • गर्भ में ऑक्सीजन की कमी
  • जन्म दोष
  • मां को कोई गंभीर बीमारी जैसे डायबिटीज, अस्थमा या हाई बीपी
  • सिलेक्टिव सी सेक्शन

 

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#1. शिशु की असामान्य स्थिति (Abnormal position of the baby)

ज्यादातर सभी शिशुओं का पहले सिर बाहर आता है और फिर पूरा शरीर बाहर आता है परंतु कभी-कभी स्थिति उल्टी हो जाती है जिसकी वजह से पहले उसका कंधा या पैर बाहर आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में सिजेरियन प्रसव सही रहता है।

 

#2. भ्रूण की बीमारी (Fetal Distress)

भ्रूण की दिक्कत लेबर में एक बड़ी दिक्कत ला सकती है। जिन शिशुओं को प्रसव के दौरान पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती है उस समय यह दिक्कत आती है। तब उस समय इमरजेंसी सी-सेक्शन सबसे सही रहता है। भ्रूण संकट तब आता है जब या तो प्रेगनेंसी लंबे समय तक चले या फिर लेबर (Labour Delivery) में कोई दिक्कत हो।

 

#3. प्रसव पीड़ा में दिक्कत होना (Failure to progress with labour)

लेबर में दिक्कत आने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। जब आपकी गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से फैली हुई नहीं हो, लेबर का धीरे होना या रुक जाना या फिर जब बच्चा सही डिलीवरी पोजीशन में ना हो तब से-सेक्शन करवाया जाता है।

 

#4. प्लेसेंटा प्रेविया (Placenta previa)

प्लेसेंटा प्रेविया वह स्थिति होती है जब प्लेसेंटा गर्भाशय के नीचे होता है और गर्भाशय ग्रीवा को आधा या पूरे तरीके से कवर कर लेता है। हर 200 में से एक महिला को प्लेसेंटा प्रेविया की दिक्कत आ सकती है। ऐसे में डॉक्टर उस महिला को बेड रेस्ट की सलाह देते हैं और निगरानी भी रखते हैं। प्लेसेंटा प्रेविया आधी पूरी या फिर सीमांत रूप में भी हो सकती है। जब प्लेसेंटा प्रेविया आधी या पूरी होती है तब उससे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर सी-सेक्शन प्रसव (Cesarean Delivery) की सलाह देते हैं। जब प्लेसेंटा प्रेविया सीमांत रूप में होती है तब महिलाएं सामान्य प्रसव भी चुन सकती है।

 

#5. गर्भाशय का टूटना (Uterine rupture)

गर्भाशय का टूटना एक गंभीर बीमारी है जो कि गर्भावस्था या फिर लेबर के दौरान होती है और इसमें तुरंत सी-सेक्शन किया जाता है। ऐसा तब होता है जब महिला का गर्भाशय गर्भावस्था या लेबर के दौरान फट जाता है और इसके कारण मां में नकसीर की दिक्कत आ सकती है और साथ ही शिशु की ऑक्सीजन सप्लाई में भी अड़चन ला सकता है। हर 1500 महिलाओं में से एक महिला को यह होने का खतरा रहता है तब ऐसी स्थिति में सी-सेक्शन डिलीवरी सबसे सही विकल्प है।

 

#6. कॉर्ड भृंश (Cord prolapse)

कॉर्ड भृंश तब होता है जब बच्चे की नाल कॉर्ड वेजाइना में चली जाती है जिससे वेजाइनल बर्थ में उसके पिचकने या दबने के चांसेस ज्यादा हो जाते हैं। नाल कॉर्ड वह कॉर्ड होती है जो आपके बच्चे को प्लेसेंटा से जोड़ती है। इस प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक खाना और ऑक्सीजन की सप्लाई होती है और इसके पिचक जाने से बच्चे में खून का भाव कम हो जाता है और स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है। ऐसी अवस्था में सी-सेक्शन प्रसव ही किया जा सकता है।

 

#7. मां को कोई गंभीर बीमारी (Chronic Health Conditions)

जिन महिलाओं में यह बीमारी होती है उन्हें डॉक्टर सी-सेक्शन डिलीवरी की ही सलाह देते हैं। इसमें दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल होती है। इस केस मे वेजाइनल डिलीवरी करना मां के लिए खतरे से खाली नहीं है। अगर मां को एचआईवी जेनिटल हरपस या ऐसा कोई इंफेक्शन हो जो कि वेजाइनल डिलीवरी करते समय बच्चे को भी हो सकता हो तो ऐसे में सी-सेक्शन डिलीवरी ही बेस्ट ऑप्शन है।

 

#8. गर्भाश्य का छोटा होना (Cephalopelvic Disproportion (CPD)

ऐसी स्थिति तब आती है जब मां की गर्भाशय ग्रीवा बहुत छोटी होती है जिससे कि बच्चे का बच्चेदानी से निकलना मुश्किल होता है। या फिर बच्चे का सिर ज्यादा बड़ा हो तो इसके कारण भी वह बच्चेदानी से निकल नहीं पाता है और मां को ज्यादा दर्द या भ्रूण संकट आ जाता है। ऐसी स्थिति में तुरंत सी-सेक्शन डिलीवरी की जानी चाहिए।

 

#9. पहले सिजेरियन ऑपरेशन होना (Previous Cesarean)

हालांकि यह मुमकिन है कि जिन माओं ने पहले से सी-सेक्शन करवा रखा हो उनकी अब नॉर्मल डिलीवरी हो जाए परंतु उनके ज्यादातर चांसेस सी-सेक्शन के ही होते हैं और नॉर्मल डिलीवरी के चांस बहुत कम होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहली बार सी-सेक्शन होने के बाद पेट की मांसपेशियां प्रसव के लिए अतिरिक्त बल लगाने में असमर्थ रहती हैं।

 

#10. जब एक से ज्यादा बच्चे हो (Carrying Multiples)

सी-सेक्शन डिलीवरी की जरूरत तब पड़ सकती है जब आपको जुड़वा बच्चे हो। अगर आपके दो या उससे ज्यादा बच्चे गर्भ में हो तो -सेक्शन ही सही रहता है। ऐसी स्थिति में आप पहले से ही अपने डॉक्टर से सलाह करके चलें। तब उस स्थिति में यह बात मायने नहीं रखती कि आपकी डिलीवरी कैसे हुई है बल्कि यह बात मायने करती है कि आपके बच्चों का स्वास्थ्य कैसा है। इसलिए ऐसी स्थिति में सी-सेक्शन प्रसव ही सही रहता है।

 

#11. खुद सी सेक्शन को चुना (Selective Cesarean Section Delivery)

कई महिलाएं स्वंय सी सेक्शन को चुनती है। ऐसा करने के पीछे नॉर्मल डिलीवरी से होने वाले दर्द से बचना व प्रसव में कोई समस्या आना होता है। जैसे कई बार ब्रीच बेबी जिसमें बच्चे का पॉजिशन अंतिम माह तक सही नहीं होता उसमें कई बार डॉक्टर खुद ही सी सेक्शन डिलीवरी की तारीख दे देते हैं।

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