गर्भावस्था के दौरान मन का उतार-चढ़ाव यानी गर्भावस्था में मानसिक असंतुलन (Mood Swing During Pregnancy) का होना बहुत ही सामान्य है जैसे एक पल में खुश होना और दूसरे ही क्षण दुखी होना, छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना और गुस्सा करना इसके कुछ लक्षण हैं। गर्भावस्था में हाव-भाव का बदलना कभी-कभी गर्भवती स्त्री के साथ-साथ परिवार वालों को भी चिंतित कर देता है। ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान 20 प्रतिशत स्त्रियां मानसिक उतार चढ़ाव के कारण परेशान रहती है। आज हम इस विषय के बारे में अधिक जानेंगे और यह भी जानेंगे कि इस स्थिति से कैसे बाहर आएं?
आजकल के व्यस्त जीवन में बातचीत की कमी कोई नई बात नहीं है। लोग निजी कामों में और सोशल मीडिया पर इतना व्यस्त रहने लगे हैं कि एक दूसरे से बात करने में उन्हें कोई रूचि ही नहीं रह गयी है। गर्भावस्था में इस कारण से भी स्त्री के स्वभाव और मानसिक उतार चढ़ाव हो सकता है। गर्भावस्था में स्त्री अपने पार्टनर से अधिक कम्यूनिकेशन की उम्मीद रखती है लेकिन जब वो उसकी उम्मीदों के अनुसार नहीं हो पाता हैं तो मानसिक बदलाव होना स्वभाविक है।
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गर्भावस्था में स्त्री की भावनात्मक स्थिति बेहद कमजोर होती है| ऐसे में उसे भावनात्मक और शारीरिक रूप से अपने साथी की जरूरत होती है। बात चाहे रोज़ाना के काम की हो या भावनात्मक रूप से सहयोग देने की, महिला अपने साथी से मदद की उम्मीद रखती है। लेकिन इस समय स्त्री को समझ पाना हर किसी पुरुष के बस में नहीं होता। इस समय महिला को बात-बात पर गुस्सा आना भी बहुत सामान्य है। पुरुष इस बात को नकारात्मक रूप में ले लेता है जिसके कारण दोनों में तकरार हो सकती है।
गर्भवती स्त्री के जीवन में गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने बहुत मुश्किल (Pregnancy Issues) होते हैं क्योंकि उसे शारीरिक बदलावों से भी गुजरना पड़ता है। इस दौरान बात-बात पर परेशान होना, चिंता करना आदि समस्याओं से भी स्त्री गुजरती है। ऐसे में वो अकेले रहना चाहती है जिसके कारण परिवार के साथ उसके संबंध में खटास आ सकती है। परिवार के लोग यह समझ सकते हैं कि वो किसी काम में दिलचस्पी नहीं ले रही है। स्त्री की इस स्थिति को कम ही लोग समझ पाते हैं। दोनों और से सही से बॉन्डिंग न हो पाने की वजह से महिला का मानसिक उतार चढ़ाव बढ़ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव भी महिला के मानसिक उतार चढ़ाव के जिम्मेदार हो सकते हैं। महिला को इस दौरान जल्दी थक जाना, पेट का बढ़ना, उल्टी होना, सूजन आदि समस्याओं से गुजरना पड़ता है। अचानक आए इन परिवर्तनों को महिला स्वीकार नहीं कर पाती, इसके कारण से यौन संबंधों पर भी प्रभाव पड़ता है। पुरुष इस समय महिला को उतना ध्यान नहीं दे पाता हैं जितना पहले देता था। इस बात का भी महिला के जीवन पर प्रभाव पड़ता है जिससे उसमें मानसिक बदलाव आते हैं। इसके साथ ही महिला को उस समय किसी छोटी सी बात पर चिड़चिड़ापन महसूस होता है, वो दूसरों के साथ-साथ खुद की स्थिति और बदलाव पर भी चिढ़ जाती है। इस दौरान महिला और उसके पति में दूरी आने की सन्भावना रहती है जिसके कारण स्त्री का आत्मविश्वास कम होने लगता है।
ऐसा माना गया है कि गर्भावस्था के दौरान 10 प्रतिशत महिलाएं डिप्रेशन में चली जाती हैं और यह होता है मानसिक उतार चढ़ाव के कारण। जब महिला अपने पेट में शिशु को रखती है तो वो खुश होती है किंतु इतने महीने एक शिशु को पेट में रखना कोई आसान बात नहीं है। ऐसे में वो अपने पति से यह उम्मीद रखती है कि वो हमेशा उसके साथ रहे क्योंकि वो बच्चा अकेले महिला का नहीं है बल्कि पुरुष की भी इसमें बराबर की ज़िम्मेदारी है। हम अक्सर यह देखते हैं कि पुरुष इस स्थिति को बहुत ही सामान्य मान कर स्त्री पर कम ध्यान देते हैं। उनका मानना यह होता है कि सब महिलाएं इस स्थिति से गुजरती है ऐसे में उनके पार्टनर का गर्भवती होना उनके लिए कुछ नया या महत्वपूर्ण नहीं होता। पुरुषों की इस सोच के कारण महिलाएं मानसिक उतार चढ़ाव से गुजरती हैं।
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अगर घर का माहौल खुशनुमा होगा तो स्त्री को मानसिक उतार चढ़ाव से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में स्त्री उन लोगों से मिले जिनकी उपस्थिति उन्हें अच्छी लगती है और जिनके साथ वो अच्छा महसूस करती हैं। दोनों पति-पत्नी अगर मजाकिया या हंसमुख स्वभाव के होंगे तो यह चरण उनके लिए किसी जादू की तरह होगा जहाँ वो अपने आने वाले बच्चे के सपने संजोयेंगे और भविष्य की योजनाएं बनाएंगे। इसके साथ परिवार के लोगों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जानबूझ कर स्त्री को परेशान न किया जाए बल्कि उसका खास ख्याल रखें। गर्भवती स्त्री को भी अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए।
गर्भावस्था में महिला को खुद को व्यस्त रखना चाहिए ताकि उसका ध्यान इधर-उधर न जाए। जैसे कि किताब पढ़े या अपने पसंद की मूवी व प्रोग्राम देखें। अगर आपको पेंटिंग, सिलाई कढ़ाई या अन्य कोई शौक है तो इस समय आप उसे भी पूरा कर सकती हैं। अपनी पसंद का काम करते-करते गुनगुनाना आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भी अच्छा महसूस कराएगा। याद रखें जैसा बोयेंगे वैसा ही काटेंगे, अगर आप दुखी रहेंगी तो बच्चे पर असर पड़ेगा और अगर खुश रहेंगी तो बच्चा भी वैसा ही होगा।
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व्यायाम गर्भावस्था में मानसिक उतार चढ़ाव से बचने में भी मदद करता है| इसलिए आप इस दौरान भी व्यायाम जारी रखें। हाँ इस समय व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय लेना न भूलें। योग भी आपको मानसिक उतार चढाव से बचा सकता है। इससे आप शांत और खुश महसूस करेंगे।
गर्भावस्था में अक्सर महिलाएं अपने आपको घर या कमरे में बंद कर लेती हैं और शारीरिक बदलावों के कारण बाहर निकलने से हिचकिचाती हैं लेकिन असल में उन्हें इससे विपरीत करना चाहिए। इस दौरान आप बाहर जा कर लोगों से मिलें। अगर आप अन्य गर्भवती या माँ बन चुकी अन्य महिलाओं से मिलती हैं तो आपको उनके अनुभव और राय के बारे में जानने को मिलेगा। इससे आपकी भी कई समस्याओं का समाधान होगा और आप अच्छा महसूस करेंगी। अन्य और नए लोगों से मिल कर आप खुश रहेंगी जिससे आप मानसिक उतार चढ़ाव से अच्छे से निपट पाएंगी।
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