प्रेगनेंसी के दौरान मुझे मिट्टी खाने की बड़ी इच्छा होती थी, मैंने काफी लोगों को इसके बारे में बताया तो लगभग सबने कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है, और ये इच्छा लगभग सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को होती है। पर धीरे-धीरे मेरी ये इच्छा अजीब होने लगी, मुझे मिट्टी के साथ-साथ और भी अजीब चीजें खाने का मन करने लगा, जैसे पेंट, तारकोल, बर्फ, कागज और ना जाने क्या।
अब मुझे लगा कि कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। मैंने तुरंत अपने पति से ये सब कहा तो हमने अगले दिन ही डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लिया। क्लिनिक पर जाकर डॉक्टर ने मुझे मेरी इस अजीब सी क्रेविंग्स के बारे में समझाया, और बताया कि मुझे पिका सिंड्रोम के आरंभिक लक्षण हैं। हालाँकि डरने की बात नहीं थी पर जल्द ध्यान ना देने पर ये मेरे और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता था।
प्रेगनेंसी में मिट्टी खाने (Pregnancy Mein Mitthi Khane) के अनेक कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं –
डॉक्टर के अनुसार प्रेगनेंसी में अगर मिट्टी के साथ साथ अन्य चीजें खाने की क्रेविंग्स होने का मुख्य कारण पिका सिंड्रोम हो सकता है। इस सिंड्रोम में इस तरह की चीजें खाने की इच्छा होती है जो मुख्यत खाने की चीज नहीं होती हैं और साथ ही इनमें कोई पोषक तत्व नहीं होते हैं। जैसे-
अगर आपको भी ऐसी ही कुछ विचित्र चीजें खाने की इच्छा हो रही है तो इसे बिल्कुल भी नज़र अंदाज़ ना करें वरना ये आपकी और आपके शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकता है।
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कुछ विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था में एनीमिया होना या आयरन की कमी होने के कारण महिलाओं को मिट्टी खाने की इच्छा होती है, मिट्टी में थोड़ी बहुत मात्रा में आयरन होने के कारण ये उसकी पूर्ति करती है।
कई बार कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस में मिट्टी खाने पर अच्छा महसूस होता है तो वो इसे एक आदत बना लेती हैं और मिट्टी खाना शुरू कर देती हैं।
गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने से बच्चे और माँ दोनों पर ही बुरा असर पड़ता है , और समय पर इसका इलाज बहुत जरुरी है।
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मिट्टी खाने का गर्भवती महिला की सेहत पर काफी बुरा असर हो सकता है, इसमें से कुछ प्रभाव निम्न है-
मिट्टी खाने से गर्भवती महिला के पेट में संक्रमण होने का खतरा रहता है। मिट्टी में बहुत से कीटाणु होते हैं जो पेट में जा कर बढ़ना शुरू कर देते हैं और ये पेट के अनेक रोग पैदा कर देता है। साथ ही इससे पाचन शक्ति भी कमजोर होती है और कब्ज आदि की समस्या हो जाती है जो प्रेगनेंसी के समय काफी परेशानी का कारण बन सकता है।
गर्भावस्था में ऐसे भी दांतों का बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि शरीर में लगातार कैल्शियम की कमी होती रहती है , ऐसे में मिट्टी खाने से दांतों के और ज्यादा खराब होने की संभावना रहती है। साथ ही इससे कई बार दांतों की ऊपरी परत भी घिसने का डर रहता है जिससे सेंसिटिविटी की दिक्कत बढ़ जाती है।
मिट्टी खाने से आंते कमजोर हो जाती हैं और ऐसे में उनमें पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता चली जाती है। साथ ही मिट्टी खाने से पूरा दिन पेट भरा रहने का अहसास रहता है और आप खाना नहीं खा पाते हैं।
कभी कभी आप जल्बाजी में या क्रेविंग्स के चलते मिट्टी के साथ-साथ कुछ ऐसी चीजें भी खा सकते हैं जो आपको अंदरूनी घाव दे सकता है।जैसे कांच, पिन आदि।
माँ के साथ साथ भ्रूण में पल रहे बच्चे पर भी मिट्टी खाने का काफी बुरा असर पड़ता है, और कभी कभी ये बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है।
प्रेगनेंसी में मिट्टी खाने से ये बच्चे के शरीर तक पोषण तत्वों को नहीं पहुंचने देती और बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभाव पड़ता है। साथ ही ये शिशु में वजन बढ़ने की गति को कम कर देता है और बहुत सारे मामलों में एक बेहद बीमार शिशु के जन्म के भी ये उतरदायी है।
कभी कभी मिट्टी खाने के कारण आपके शरीर में कुछ आवश्यक तत्वों की कमी होने के कारण ये असमय डिलीवरी का भी कारण बन सकती है।
कई बार ज्यादा मिट्टी खाने के कारण गर्भ में शिशु की हालत बिगड़ सकती है और उसकी जान भी जा सकती हैं
आपको इस आदत से जल्द से जल्द छुटकारा पाने की जरुरत है, क्योंकि ऐसा कोई भी पोषक तत्व नहीं है जिसका विकल्प मिट्टी या अन्य कोई अखाद्य पदार्थ पूरा करे। इस आदत से निजत पाने के लिए आप कुछ उपाय कर सकती हैं जैसे-
इस तरह से आप मिट्टी खाने की अपनी आदत से निजात पा सकती हैं और एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं।
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