आप सभी ने सुना होगा कि गर्भवती महिला को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। यहां तक कि डॉक्टर भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं परंतु आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल पेट में पल रहे बच्चे को मां से ही पोषण मिलता है। ऐसे में अगर महिला के शरीर में पानी की कमी आ जाए तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी काफी समस्या हो सकती है।
अगर एक गर्भवती महिला के शरीर में भ्रूण आवरण द्रव्य या एमनियोटिक फ्लूयड (Aminiotic Fluid) या पानी की कमी हो जाती है तब ऐसी स्थिति में मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अगर आप भी मां बनने वाली हैं तो आपको भी इन बातों की जानकारी होनी चाहिए। तो आइए जानते हैं कि एक गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी से होने वाले नुकसान (pregnancy mein kam pani pine ke nukshan) जो कि इस प्रकार है।
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क्योंकि अगर महिला कम पानी पीती है तो उसे कब्ज की समस्या हो सकती है और अक्सर गर्भवती महिलाओं के शरीर में सूजन की भी शिकायत होती रहती है। इसलिए उन्हें पानी पीते रहना चाहिए क्योंकि पानी पीने से उनके शरीर में से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर से सूजन कम होकर उन्हें ऊर्जा मिलती रहती है।
गर्भावस्था के दौरान आपको आम दिनों से ज्यादा पानी पीना चाहिए क्योंकि पानी से ही आपकी गर्भनाल विकसित होती है। गर्भनाल से ही आपके शिशु को सारे पोषक पदार्थ मिल पाते हैं और इससे एमनीओटिक थैली भी बनती है। यह थैली गर्भावस्था के अंतिम चरण में बनती है।
गर्भावस्था में अगर महिला के शरीर में पानी की कमी होती है तो ऐसे में महिला को कब्ज की समस्या हो सकती है जिससे कई अन्य समस्याएं भी जन्म लेती है। इससे आपको पेशाब की भी समस्या हो सकती है क्योंकि पानी की कमी से आपको पेशाब कम आएगा जिससे आपका पेट अच्छे से साफ नहीं होगा।
इसके अलावा पानी ज्यादा पीने से यह आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यदि शरीर में पानी की कमी आ जाती है तो आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं निकलेगे जिससे आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
अगर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कम पानी पीती हैं तो उन्हें अपने शरीर में सूजन की वजह से भी दर्द हो सकता है क्योंकि पानी की कमी शरीर में सूजन को बढ़ाती है और जो महिलाएं इस दौरान पानी की मात्रा का सही सेवन करती हैं तो उनके शरीर में सूजन की समस्या कम होती है और साथ ही आप में ऊर्जा भी बनी रहती है।
गर्भावस्था में पानी की कमी से महिला का जी मिचलाता है और इसके कारण आपको चक्कर आने लगते हैं व सिर भारी होने लगता है। पानी की कमी से आपकी त्वचा और नाक भी सूखने लगते हैं और आप अपने आप को कमजोर और थकी हुई महसूस करती हैं। इसके लिए आपको रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए और तरल पदार्थ में नारियल पानी भी पीना चाहिए।
पानी की कमी के कारण शिशु का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है। अगर गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी है तो शिशु की किडनी सही ढंग से काम नहीं कर पाती है जिससे शिशु को किडनी और यूरिन की समस्या का खतरा हो सकता है। पानी की कमी से उसका भरपूर पोषण नहीं हो पाता है।
पानी की कमी होने से शिशु के फेफड़े, पाचन तंत्र और उसके नाजुक अंगों का पूर्ण विकास नहीं होता है। इसके कारण शिशु का संपूर्ण विकास बाधित हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में पानी की कमी होने से गर्भनाल सूखने लगती है और यही गर्भ नाल शिशु को सारे पोषक तत्व पहुंचाती है। पानी की कमी से आपका शरीर भी दर्द करता है और शिशु की त्वचा को पूरी नमी भी नहीं मिल पाती है जिससे शिशु के त्वचा सिकुड़ने लगती है। इसके अलावा पानी की कमी के कारण कई बार शिशु के जन्म में भी देरी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं में पानी की कमी होती है उनके गर्भ में शिशु को हिलने डुलने मे बहुत समस्या आती है। ये शिशु गर्भ में आसानी से घूम नहीं पाते हैं। पानी की कमी के कारण आपके शरीर में एमनीओटिक द्रव की सप्लाई कम होती है।
गर्भावस्था में पानी की कमी के कारण कई बार महिलाओं में गर्भपात होने का भी खतरा बना रहता है। इसके अलावा यदि आपके शरीर में पानी की मात्रा कम होती है तो गर्भ नाल जो शिशु को खाना और ब्लड सप्लाई के लिए जिम्मेदार है वह सही ढंग से काम नहीं कर पाती है।
प्रेगनेंसी में कितना पानी पीना चाहिए?
डॉक्टरों के अनुसार एक औसत गर्भवती महिला को दिन में करीब करीब आठ से दस गिलास यानि डेढ़ से दो लीटर पानी पिना चाहिए। आप इसमें दो गिलास दूध या जूस भी जोड़ सकती हैं। यानि आठ गिलास पानी और दो गिलास दूध या फिर जूस।
इसकी मात्रा में कमी होने पर आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आप अपनी गर्भावस्था के समय शुरू से ही अपना पूरा-पूरा ध्यान रखें और रोजाना सही मात्रा में और सही समय पर पानी पिए जिससे आपके शरीर में पानी की कमी ना हो और आपको और आपके शिशु को किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े।
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