गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को पेट दर्द, मरोड़ और पीड़ा का सामना करना पड़ता है। अगर आपकी गर्भावस्था में कोई दिक्कत नहीं है और यह बिल्कुल सही चल रही है तो पेट में दर्द और मरोड़ होना चिंता का कारण नहीं माना जाता है। पहली तिमाही में पेट दर्द या फिर दूसरी तिमाही में पेट का दर्द अलग अलग कारणों से हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे गर्भ बढ़ता है वैसे-वैसे बढ़ते गर्भ को सहारा देने के लिए अस्थिबंध और उत्तको पर खिंचाव पड़ता है।
इसी कारण से जब गर्भवती महिलाएं हिलती-डुलती है तो उन्हें शरीर के एक हिस्से में या दोनों हिस्सों में दर्द होता है।
अगर आप गर्भवती है तो गर्भावस्था के दौरान पहले 3 महीने में पेट दर्द होना सामान्य बात है। इसलिए इस अवस्था में पेट दर्द होने पर घबराएं नहीं।
अधिकतर गर्भावस्था के पहले 3 महीने में गर्भाशय के आकार के बढ़ने के कारण पेट दर्द की समस्या होती है। गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान पेट दर्द अगर ज्यादा हो तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।
दूसरी तिमाही में पेट दर्द होना भी सामान्य है लेकिन अगर यह दर्द 3 महीने के बाद भी होता है तो यह चिंता का कारण है। पेट दर्द के साथ-साथ कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान छद्म संकुचन भी होने लगता है।
छद्म संकुचन से पेट दर्द की समस्या बढ़ जाती है। इस अवस्था में पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियां अपने आप ढीली होकर टाइट हो जाती हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान आपको ब्लीडिंग के साथ-साथ पीरियड्स जैसा दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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पेट के बाईं ओर निचले हिस्से में जो दर्द होता है वह मांसपेशियों में खिंचाव के कारण होता हैं और इसका गंभीर लक्षण यह भी हो सकता है कि पेट में मौजूद फैलोपियन ट्यूब में कोई नुकसान हुआ हो। ऐसे में अगर फैलोपियन ट्यूब फट जाए तो शिशु व माँ दोनों की जान को खतरा हो सकता है। अगर आपके पेट के बाईं ओर निचले हिस्से में लंबे समय दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से, किडनी में संक्रमण, पित्ताशय में सूजन आदि के कारण हो सकता है। अगर आपको भी पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर से मिले।
गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के कारण महिलाओं को जोड़ो, नसों और मांसपेशियों में पहले की अपेक्षा अधिक प्रभाव पड़ता है। इस कारण पेट के आसपास के हिस्से में हल्का-हल्का दर्द महसूस होता है। प्रेगनेंसी में पेट दर्द (stomach pain during pregnancy) होना कई बार सामान्य होता है।
गर्भ में पल रहे शिशु के आकार बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं के गर्भाशय का झुकाव एक तरफ होता जाता है। कभी-कभी महिलाओं के दाई तरफ झुकाव के कारण उनके लिगामेंट में संकुचन और एंठन होने लगती है।
इसी कारण गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द दाई तरफ ज्यादा उठता है। चलिए जानते हैं कि प्रेगनेंसी के समय पेट में दर्द क्यों होता है और पेट में दर्द (pregnancy mein pet dard ke karan) के कारण।
#1. गर्भावस्था में पेट दर्द गर्भाशय के बढ़ने से भी होता है। जैसे-जैसे दिन नजदीक आते जाते हैं वैसे-वैसे गर्भाशय बढ़ने लगता है और इसी वजह से मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है जिससे पेट दर्द का एहसास होता है।
#2. यह दर्द खांसने, छींकने या फिर एकदम से खड़ा होने की वजह से भी हो सकता है लेकिन यह दर्द कुछ समय के लिए ही होता है।
#3. कई बार एसिडिटी, कब्ज और पेट में मरोड़ होने के कारण भी दर्द होने लगता है। इसके लिए डरने की कोई बात नहीं है।
#4. ज्यादा देर भूखा रहकर फिर एक दम से ज्यादा खा लेने से भी पेट दर्द होता हैं।
अगर पेट दर्द ज्यादा देर तक बना रहता है तो फिर निश्चित रूप से गर्भवती महिला को डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। ऐसे में महिलाओं के पेट में ऐठन, कमर में दर्द, हल्का बुखार, योनि से खून बहना, उल्टियां होना, जी घबराना, पेशाब में दर्द आदि लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।
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#1. अगर आपके पेट में दर्द हो रहा हो तो उसके दूसरी तरफ के हिस्से की तरफ होकर लेट जाएं। दर्द से राहत मिलेगी।
#2. रात को धीरे-धीरे व हल्का खाना खाए।
#3. गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द होने पर हमेशा गुनगुने पानी से नहाएं।
#4. कुछ समय के लिए कामकाज करना बंद कर दें और आराम से बैठ जाए।
#5. करवट लेकर सोने से भी पेट दर्द में थोड़ा आराम मिलता है।
#6. नशीली चीजों का सेवन करने से परहेज करें।
#7. एक बोतल में गर्म पानी भरकर उस बोतल को सूती कपड़े में लपेटकर पेट के जिस हिस्से में दर्द हो रहा हो उस हिस्से की सिकाई करें।
#8. रोजाना व्यायाम करें। व्यायाम के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
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