प्रेगनेंसी की खबर सुन कर खुशी और अच्छा महसूस तो होता ही हैं, साथ ही प्रेग्नंसी के दौरान महिलाओ को कई परेशानियो का सामना भी करना पड़ता हैं जैसे कि उल्टी, सर दर्द, वजन बढ़ना, थकावट इत्यादि। इन सभी में एक परेशानी होती हैं पैर के फूल जाने (swelling in feet) की या फिर पैरो में सूजन की (Swollen Feet during Pregnancy)। गर्भावस्था के दौरान पैर में सूजन होना एक आम बात हैं, इसे हम इडिमा भी कहते है और ये परेशानी खास कर पांचवे महीने के बाद से लगभग 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओ को होना शुरू होती हैं। आइयें जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान पैरों में सूजन के कारण (pairon mein sujan ke karan) और इसके लिए घरेलू उपाय।
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गर्भावस्था के दौरान बढ़ते वजन पर ध्यान देने की जरूरत है। वजन आपके गर्भावस्था पर बहुत प्रभाव डालता है इसलिए जैसा आपके डॉक्टर ने बताया होगा कि वजन कितनी सीमा तक रहना चाहिए, उसके लिए आपको अपने खान-पान पर ध्यान देकर अपने वजन को उसी सीमा में रखने की कोशिश करनी चाहिए। वजन बढ़ने से आपके पैरो पर तनाव बढ़ेगा जिससे आपके पैर में सूजन हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने वजन पर ध्यान दे और और अपने डॉक्टर के बताए हुए तरीके को अपनाए।
ज्यादा देर तक एक ही जगह पर खड़े या बैठे न रहे। अगर आपको ज्यादा काम करना हो तो थोड़ी-थोड़ी देर पर आराम करे। और अगर आप ज्यादा समय से बैठी है तो जितनी बार हो सके अपने पैरों को ऊपर उठाएं और हो सके तो कुशन या तकिये की मदद से अपने पैरो को आराम दे।
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गर्भावस्था के दौरान सीधे और पेट के बल नहीं सोना चाहिए। एक तरफ करवट लेकर (बाए ओर करवट लेकर सोना अच्छा होता है) सोना चाहिए जिससे आपकी किडनी को सही रखने में मदद मिलती है और अपशिष्ट पढ़ार्थ को बाहर निकालने में मदद मिलती है जिससे सूजन कम करने में आसानी होती है।
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गर्भवती महिलाओ को चलना और अन्य हल्के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। जिससे आपका रक्त परिसंचरण बढ़ता है और आपके पेरो की नसो और मांसपेशियो में आराम दिलाता है और साथ ही ये अपशिष्ट द्रवों को पेशाब के रूप में बाहर निकालने में मदद करता है जिससे पैरो के सूजन में आराम मिलता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला को अधिक पानी का सेवन करना चाहिए। कम पानी पीने से सूजन बढ़ जाती हैं इसलिए अपने आहार में पानी और तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाएं और साथ ही अपने आहार में नमक के सेवन को कम करें क्योंकि अतिरिक्त नमक शरीर में सोडियम को बढाता है, जिससे सूजन हो जाती है। इसलिए अपने शरीर से सोडियम और अपशिष्ट द्रवों को बाहर निकालकर सूजन को कम करने में सहायता मिलेगी।
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मालिश से पैरो के दर्द को कम करने में मदद मिलती हैं और साथ ही रक्त-प्रवाह में भी सुधार आता हैं। इससे सूजन और ऐंठन में काफी आराम मिलता है। इसके अलावा, गर्भवती महिला को हमेशा मालिश जापा वाली या उनसे करवानी चाहिए जो जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान शरीर के कौन सी जगहों में मालिश करनी चाहिए व कहां-कहां दबाब देना चाहिए। भूलकर भी किसी अन्य व्यक्ति से मालिश न कराये। आप मालिश सरसो या जैतून के तेल से करा सकती है।
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गर्भावस्था के दौरान घर से बाहर आराम दायक जूते ही पहने, जिससे आपके पैर और पीठ को आराम मिल सके और सूजन कम करने में मदद मिले। आप घर पर भी कोई मुलायम सी ही चप्पल का प्रयोग करे।
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पैर के व्यायाम या खिंचाव करने से पैर की ऐंठन से राहत मिलती है और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। इसे दिन में दो बार कर सकते हैं। आप बैठ कर व्यायाम करे और अपने पैरों को भी खींच सकते हैं और साथ ही थोड़ा बहुत चलने से भी सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
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पैर में सूजन आमतौर पर शरीर में मैग्नीशियम की कमी के कारण होता है। अपने पैरों को गर्म पानी में डुबोने से भी पैर में सूजन और ऐंठन से राहत मिलती है। सिकाई करने के लिए आप गरम पानी में सेंधा नमक मिलाकर सेकने से राहत मिलेगी। इससे मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलेगा। इसके अलावा आप सिर्फ गरम पानी या गरम चीज की पोटली बनाकर भी सिकाई कर सकती है उससे भी राहत मिलगी। आप बर्फ के पानी से भी सिकाई कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान आराम दायक कपड़े पहने। टाइट मोजे या इलास्टिक वाले स्टोकिंस न पहने। साथ ही अपने अंडर गारमेंट्स भी अपने साइज के हिसाब से पहने और ध्यान दे कि ये ज्यादा पेट पे टाइट न हो। क्योंकि अगर ये टाइट होंगे तो रक्त-संचार सही तरीके से नही हो पाता हैं। आप हमेशा सहारा देने वाला पेन्ट पहने जिससे आपका पेट और पैर को सहारा मिलेगा और सूजन और नसो में आराम मिलेगा।
गर्भावस्था के दौरान पैरों में सूजन (preganancy mein sujan) होना आम बात है पर अगर इन सब उपाय अपनाने के बाद भी आपको ज्यादा सूजन, दर्द या ऐंठन हो तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले।
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