जब कोई पुरुष पहली बार पिता बनता हैं तो उसकी जिंदगी पूरी तरह बदलने लगती हैं। इसकी वजह यह हैं कि एक तो कुछ साल पहले ही पत्नी के रूप में उसकी जिंदगी में एक नया व्यक्ति आ चुका होता हैं फिर जल्द ही ऐसा दूसरा इंसान भी संतान के रूप में आ जाता हैं, इससे उसका खुद पर बढ़ती जिम्मेदारियों और खर्चों से चिंतित होना स्वाभाविक बात हैं। लेकिन उसका मन भी यह सोचकर बहुत खुश होता हैं कि वह पापा बनने वाला हैं, दुनिया में उसे कोई पापा और उसकी पत्नी को माँ बुलाने वाला आने वाला है। यह सोच-सोच कर उसका मन सातवें आसमान पर होता हैं| इतनी खुशी होने के बावजूद आदमी के जीवन में बहुत सारे बदलाव आते हैं। जब शिशु 3 या 4 महीने के होते हैं तो उन्हें लगता है कि उनका महत्व कम हो गया हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी पत्नी सारा दिन बच्चे की देखभाल में लगी रहती हैं| कई बार नींद पूरी ना होने के कारण उनमें थकान, उदासी आदि रहती हैं। कई बार तो कई पुरुष इस वजह से तनाव में भी में चले जाते हैं। तो जानिए एक पुरुष में क्या-क्या बदलाव आते हैं।
आजकल छोटे परिवारों का जमाना हैं, इसलिए बच्चों को संभालने के लिए दादी, बुआ, ताई या चाची तो होती नहीं, ना ही जरूरत पड़ने पर डॉक्टर वगैरा के पास जाने के लिए घर में कोई दूसरा पुरुष होता हैं। ऐसे में सारी जिम्मेदारी पति-पत्नी को ही निभानी पड़ती है और इसमें उनकी आजादी और मस्ती पूरी तरह छीन जाती है। युवा दंपती अचानक आए इस बदलाव से घबरा जातें हैं और परेशान हो जाते हैं। पहले जो पुरुष मौज-मस्ती करते थे अब उनके हाथ में डायपर, दूध की बोतल या बच्चो के खिलौने मिलते हैं। छुट्टी वाले दिन वह अब बाहर घूमने जाने की बजाये घर पर ही आराम करना चाहते हैं। कई पुरुषों को लगता हैं कि उनकी पत्नी को उनकी परवाह कम हो जाती है और उनका पूरा ध्यान अपने शिशु पर ही होता है। ऐसे में पति अपने आप को घर में अकेला महसूस करने लगता हैं।
गर्भ में बच्चा आने के बाद पति का खुद पर बढ़ती जिम्मेदारियाँ और खर्चों को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक बात हैं। अगर माँ कामकाजी भी हैं तो प्रेगनेंसी के दौरान व उसके बाद उनको आराम की ज़रूरत होती हैं जिस कारण उनको ऑफिस से लम्बी छुट्टियाँ लेनी पड़ती हैं| जिससे परिवार का सारा आर्थिक बोझ पिता के ऊपर आ जाता हैं और साथ में नए बच्चे की जिम्मेदारी भी| यह आगे चलकर कई बार आर्थिक तनाव का कारण बन जाता हैं।
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घरवाले और रिश्तेदार सभी लोग महिला और बच्चे का ख्याल रखने में लगे रहते हैं। ऐसे में पुरुष के स्वास्थ्य पर किसी का ध्यान नहीं जाता। साथ ही पुरुषों की कई बार तो दोस्तों के साथ सोशल लाइफ भी कट जाती हैं जो उन्हें अंदर से चिरचिरा बना देती हैं| सामान्यतया पुरुषो को मजबूत समझा जाता हैं इसलिए ना तो कोई उनकी मनोस्थिति को समझता है और ना ही कोई सपोर्ट करता हैं।
जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें दिन में सोने और अक्सर रात को जगने की आदत होती हैं। जिससे शिशु के जागने या फिर रोने के कारण पिता की नींद पूरी नहीं हो पाती हैं क्योंकि रात में बच्चे कभी पेशाब करते हैं तो कभी उन्हें भूख लगती हैं तो कभी रोते हैं। अकेले औरत को संभालने में दिक्कत होती है इसलिए पति को भी अपनी पत्नी के साथ जागना पड़ता है और फिर सुबह ऑफिस में उन्हें नींद आती हैं| इस कारण कई बार कई पुरुषों को मानसिक तनाव भी हो जाता हैं।
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शादी के बाद एक औरत का मुख्य आकर्षण उसका पति ही होता हैं। परंतु जब औरत माँ बन जाती हैं तो उसके मानसिक व शारीरिक गतिविधियों में एकदम से काफी बदलाव आता हैं। कई बार यह बदलाव पुरुष सहन नहीं कर पाते हालांकि वे अपने शिशु से बेहद प्यार भी करते हैं। परंतु फिर भी उन्हें अपनी पत्नी से यही शिकायत रहती हैं कि वह अब बदल गई हैं| जिस कारण वे जीवन को बहुत बोरिंग समझने लगते हैं क्योंकि औरत का मुख्य आकर्षण अब उसके लिए उसका बच्चा हो जाता हैं| इसलिए पुरुष ऐसे बदलाव से परेशान हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल का सामना करना पड़ता हैं।
भले ही प्रेगनेंसी को महिलाओं का मामला माना जाता है परंतु यह महिला और पुरुष दोनों की सम्मिलित जिम्मेदारी होती हैं| इसलिए जैसे महिलाएं एक सफल और जिम्मेदार माँ बनने के लिए तत्पर है ठीक उसी प्रकार पुरूष को भी एक सफल समझदार और जिम्मेदार पापा बनने के लिए निम्न बातों पर अमल करना चाहिए:
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#1. परिवार के सदस्यों, मित्रों और सहयोगियों से बातचीत करें| उनसे भावनात्मक सहयोग लेकर कुछ कार्यों में भी हाथ बटाने की मदद मांगे।
#2. अगर पत्नी भी जॉब करती है तो दोनों मिलकर ऑफिस के काम और घर के कामों के बीच संतुलन बनाए।
#3. तनाव में आने की जगह अपनी पत्नी के सहायक बने और इस स्थिति को समझदारी से हैंडल करें जैसे बच्चे की नैप्पी बदलना, बच्चे को बोतल से दूध पिलाना, उनको टीका लगाना आदि|
अगर पति-पत्नी दोनों मिलकर इस स्थिति को सहजता, समझदारी, प्यार और आपसी मेल से हैंडल करते हैं तो यह समय तनाव की बजाय खुशनुमा और सुखद हो जाएगा।
पिता बनने के बाद जीवन किस प्रकार बदल जाता है इसकी एक मिसाल समझने के लिए नीचे दिए गए चित्रों पर भी ध्यान दें, ह्यूमर से भरे यह पिक्स जिंदगी की संजीदगी को बयां करते हैंः
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