पहली बार माँ बनना किसी भी महिला के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दौरान उसके मन में भय के साथ-साथ अलग सा उत्साह होता है। वही दूसरी बार माँ बनने का समाचार भी मन में एक अजीब की खुशी लेकर आता है। हालाँकि दूसरी बार माँ बनाते हुए होने वाली माँ के मन में शंका या भय बहुत कम होते हैं। यह बिल्कुल सही है कि पहले बच्चे के जन्म के बाद माँ के जीवन में कई बदलाव आते हैं। लेकिन जब बात दूसरी बार माँ बनने की आती है तो माँ का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना भी बेहद आवश्यक है। पहली या दूसरी बार माँ बनने का अनुभव एक-दूसरे से अलग होता है। आज मैं आपसे ऐसी ही कुछ अनुभव को बाँटना चाहती हूँ। जानिए कैसे अलग होता है दूसरी बार माँ (Dusri Pregnancy) बनना।
गर्भावस्था मे थकान होना स्वभाविक है। इस दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाने के कारण महिला जल्दी थक जाती है। लेकिन ऐसा देखा गया है कि पहली गर्भावस्था के मुकाबले दूसरी गर्भावस्था मे कम थकान महसूस होती है।
दूसरी बार माँ बनने पर पेट दर्द और स्पॉटिंग होना भी बहुत सामान्य है। पहली बार माँ बनने के दौरान भी स्पॉटिंग होती है लेकिन दूसरी बार के मुकाबले कम होती है।
ऐसा भी पाया गया है कि दूसरी गर्भावस्था मे महिला का वजन अधिक बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहली बार माँ बनने के दौरान मांसपेशियों मे खिंचाव आ जाता है। जो दूसरी गर्भावस्था के दौरान और अधिक बढ़ जाता है जिससे दूसरी बार माँ के वजन मे बढ़ोतरी हो जाती है।
इसे भी पढ़ेंः गर्भावस्था का पहला महीना
पहली बार माँ बनते समय माँ के मन मे अजीब सा भय होता है। पहली बार माँ गर्भ मे पल रहे शिशु की सेहत, अपने खानपान और अपनी सेहत आदि को लेकर डरी हुई रहती है ताकि उसे या उसके शिशु को कोई समस्या न हो लेकिन दूसरी बार उसका मन हर तरह की शंका या भय से दूर रहता है। हर चीज़ को लेकर वो आश्वस्त और निश्चिंत रहती है और चिंता से दूर रहती है। पहली बार इन चरणों से गुजरने के कारण उसे हर चीज़ की आदत पड़ जाती है।
पहली बार माँ बनना माँ के लिए उत्सुकता से भरा होता है। पहली बार माँ बनने से न केवल माता-पिता को बेहद खुशी होती है बल्कि इस खबर से अन्य लोग भी उत्साहित होते हैं। इसके साथ ही शिशु की पहली मूवमेंट, पहली किक और आपका पहला अल्ट्रासाउंड बेहद रोमांचक होता है। दूसरी बार गर्भावस्था मे यह उत्साह कुछ हद तक कम हो जाता है। यही नहीं दूसरी गर्भावस्था मे महिला अपने शरीर मे आने वाले परिवर्तन को लेकर भी निश्चिंत रहती है जबकि पहली बार माँ बनने पर यही परिवर्तन उसे परेशान कर सकते है। पहली गर्भावस्था मे पेट का बढ़ना, जी मचलना और खुद का वजन बढ़ना महिला को परेशान व चिंतित कर देता है लेकिन दूसरी गर्भावस्था मे ऐसा नहीं होता।
गर्भावस्था के समय आप शिशु और अपनी सेहत का हर संभव ख्याल रखती है। इसके लिए पहली गर्भावस्था के दौरान वो अपने खाने-पीने, चेक-अप और दवाईयों आदि का पूरा ध्यान रखती है। जबकि दूसरी बार माँ बनते समय माँ अपनी सेहत और अपने बच्चे की सेहत की तरफ इतना ध्यान नहीं देती। इसके साथ ही पहली गर्भावस्था के दौरान माँ प्रेगनेंसी से संबंधित हर जानकारी जुटाती है जैसे आर्टिकल्स और किताबें पढ़ती है, नेट सर्च करती है और अन्य लोगों की राय लेती है आदि। लेकिन दूसरी गर्भावस्था के दौरान उसकी रूचि इन चीज़ों मे भी कम हो जाती है। पहली बार माँ बनने पर महिला उस समय का पूरा आंनद लेती है जबकि दूसरी गर्भावस्था पर वो अपनी स्थिति को सामान्य तरीके से लेती है लेकिन यह भी सच है कि दोनों ही स्थितियों मे होने वाली माँ को एक अलग अनुभव प्राप्त होता है।
इसे भी पढ़ेंः प्रेगनेंसी में आम शारीरिक बदलाव
क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।
null