नियमित टीकाकरण ना सिर्फ बच्चों को बीमारियों से दूर रखता है बल्कि यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) को भी बढ़ाने में मदद करता है। जन्म के समय टीका लगवाने में छोटी सी लापरवाही भी बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। कई बार हम सोचते हैं कि समय निकलने के बाद आखिर टीका कैसे लगवाएं? या कई बार टीका लगवाने के बाद बच्चों को बुखार हो जाता है जिसके उपाय भी हम सर्च करते हैं।
तो चलिए आज के इस अंक में हम भारतीय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम द्वारा बताएं गए नवजात बच्चों के जरूरी टीकों (Newborn Baby Vaccination Chart) और टीका लगवाने के फायदों (Benefits of Vaccination) के बारें में जानें।
सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार भारत में निम्न बीमारियों के लिए टीके लगाए जाते हैं:
बच्चों को इनमें से कब और कौन से टीके किस तरह लगाने चाहिए इसके लिए निम्नलिखित टीकाकरण तालिका (Newborn Tikakaran Talika) अवश्य देखेंः
कई जगह यह देखने को मिलता है कि प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों की तुलना में अधिक टीके लगाएं जाते हैं। किसी भी संदेह के लिए हम यह साफ कर दें कि सरकारी अस्पतालों के टीके भी बच्चों के लिए पूरे होते हैं।
अगर प्राइवेट अस्पताल में कोई टीका बच्चे को लग रहा है और वह टीका सरकारी अस्पताल में मौजूद नहीं है तो इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपको फिर भी किसी प्रकार की शंका हो तो आप डॉक्टर से सलाह करके बाहर से वह टीके लगवा सकते हैं।
बच्चों के लिए कौन से टीके आवश्यक हैं और इनके बारें में किसी भी प्रश्न को जानने के लिए भारत सरकार के इस पीडीएफ (Indian Government Vaccination Chart PDF in Hindi) को अवश्य पढ़ें और डाउनलोड करेंः Indian Government Vaccination Chart PDF
टीका लगवाने के बाद बुखार आना बेहद सामान्य बात है। बीसीजी के टीके के बाद बच्चों की बांह पर एक गांठ या निशान आते हैं, यह भी सामान्य होता हैं। हालांकि गांठ में दर्द अगर कुछ दिन बाद भी बना रहे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। टीका लगवाने के बाद बच्चों की पीड़ा कम करने के आसान उपायः
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इम्यूनिटी को बढ़ाए
नवजात बच्चों की इम्यूनिटी बेहद कमजोर होती है। टीके बच्चों के शरीर को संक्रमण से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। जब बच्चों को कोई बिमारी या संक्रमण होता है तो यह टीके शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करते हैं। यह एंटीबॉडीज बच्चों के शरीर में जीवनभर रहकर उसे जीवनभर उस बीमारी व संक्रमण से बचाते हैं।
जीवनरक्षक
अगर आपके बच्चे को किसी बीमारी का टीका लगा हुआ है, तो उसे दोबारा वह बीमारी होने की संभावना काफी हद तक कम होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि आपके बच्चे के शरीर ने उस बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडीज का उत्पादन पहले ही कर लिया है।
बीमारी को फैलने से रोके
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर होने के साथ-साथ टीकाकरण नवजात बच्चों मे होने वाली बीमारी को फैलने से भी रोकता है। अगर आपके घर परिवार में सभी को टीके लगे हुए हो तो बच्चों को चेचक और पोलियो जैसी बीमारी का खतरा बेहद कम रह जाता है।
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नवजात शिशु को टीके इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाते हैं। हालांकि पोलियो की खुराक बच्चों को मुह के द्वारा दी जाती है जिसे ओरल वैक्सीन कहते हैं। मोटे तौर पर समझा जाए तो टीकाकरण तीन तरह के होते हैं जो निम्न हैंः
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम (National Immunization Schedule India) के अनुसार नवजात शिशु को जन्म से लेकर कुछ वर्षों तक तपेदिक (टी.बी) डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खाँसी), टिटनेस, खसरा (मीजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) के टीके लगवाने आवश्यक हैं।
यह शिशु के शरीर में उक्त बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षण क्षमता को विकसित करता है। यह टीके लगवाना बच्चों के लिए अनिवार्य किया गया है।
कई बार समय के साथ टीकों का प्रभाव कम होने लगता है। इसे बरकरार रखने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। यह बूस्टर खुराकें प्राथमिक टीकों के बाद ही लगने चाहिए।
कई बार किसी प्रदेश या क्षेत्र में किसी बीमारी का प्रकोप बढ़ने लगता है जैसे हाल में स्वाइन फ्लू या जीका वायरस आदि जिनसे बचने के लिए भी सरकार सार्वजनिक टीकाकरण अभियान चलाती है। इन बीमारियों से बचने के लिए बच्चों को यह टीके अवश्य लगवाने चाहिए। सार्वजनिक टीकाकरण और इसकी सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण पोलियो है।
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यदि किसी बच्चे का कोई टीका या खुराक छुट गया है तो टीकाकरण फिर से शुरू करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं से शुरू करें जहाँ से खुराक छूट गयी है। उदाहरण के लिएः यदि किसी बच्चे को 5 माह की उम्र में बी.सी.जी., डी.पी.टी.-1, हेपेटाइटिस-बी-1 व ओपीवी-1 की खुराक दी गई है, वह 11 माह बाद फिर आता है तो उसे डी.पी.टी.-2, हेपेटाइटिस-बी-2, ओपीवी-2 और खसरे की खुराक दें।
डी.पी.टी.-1 से पुनः शुरू न करें। अगर कोई टीका छुट भी जाए तो आप उसे अगली बार जितना जल्दी हो सके लगवा लें।
नोटः अगर कोई टीका छुट या रह गया हो तो इसे अपनी आशा वर्कर या डॉक्टर से छुपाएं नहीं, तुरंत इसकी जानकारी दें। आजकल बाजार में कई प्रकार के कॉम्बिनेशन इंजेक्शन भी मौजूद होते हैं जिसे आप डॉक्टर की सलाह पर लगा सकते हैं।
टीके अगर समय पर लगे तो बेहतर हैं अगर किसी कारण रह जाए तो घबराएं नहीं और तुरंत डॉक्टर से इसके बारें में बात करे।
याद रखें बच्चों को बीमारियों की नजर से बचाने के लिए टीका लगवाना बेहद आवश्यक है।
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