शिशु का जन्म माता-पिता दोनों के लिए खुशियों के उत्सव के समान होता है। अपने हाथों में नवजात शिशु को पा कर माँ अपनी हर पीड़ा और दर्द भूल जाती है, वहीं अपने शिशु का चेहरा देखकर पिता की पूरे दिन की थकान दूर हो जाती है। बच्चे के जन्म के बाद का कुछ समय माता-पिता के लिए एक पहेली के समान और बेहद अहम होता है। इस समय बच्चे के बारे में और उसमे होने वाले बदलावों के बारे में जानना हर माता-पिता के लिए जरूरी है ताकि वो बच्चे की देखभाल अच्छे से कर सकें। जानिए अपने नए बच्चे के बारे में कुछ ऐसी बातें (Newborn Baby Facts), जिन्हें जानना आपके लिए आवश्यक है।
#2. सिर और शरीर के बाल (Baby’s Head and Body Hair) पैदा होते ही शिशु के शरीर पर बहुत से बाल होते हैं। कई बच्चों के टांगों या कलाई के साथ-साथ कान और माथे पर भी बाल होते हैं लेकिन समय के साथ-साथ यह बाल झड़ जाते हैं। इसके लिए शिशु की मालिश की जाती है। जन्म के समय बच्चे के सिर पर चाहे कितने भी घने बाल हों लेकिन कुछ समय के बाद वो बाल भी निकल जाते हैं और नए बाल आते हैं। माता-पिता को इस बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है अगर आपके बच्चे के शरीर पर बहुत बाल हैं तो चिंतित न हों क्योंकि समय के साथ यह बाल भी निकल जायेंगे। Also Read: How to Remove Hairs from newborn baby body #3. गर्भनाल (Umbilical Cord) गर्भनाल यानी वो नाल जिससे गर्भ में बच्चा अपनी माँ से जुड़ा होता है। जन्म के बाद इस नाल को काट दिया जाता है। गर्भनाल शिशु का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भनाल को कभी भी जबरदस्ती अलग करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए न ही उसे गीला करें या तेल आदि लगाएं। जन्म के कुछ समय के बाद यह नाल खुद ही झड़ जाती है। झड़ने के समय इसमें खून हो सकता है इसलिए डरने की आवश्यकता नहीं है लेकिन अगर कोई समस्या हो तो डॉक्टर की राय ले लेनी चाहिए। #4. जानें शिशु के नाजुक अंगों के बारे में (Delicate organs of the Newborn Baby) नवजात शिशु बेहद कोमल होता है इसलिए उसे पकड़ते, नहलाते या दूध आदि पिलाते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए लेकिन सबसे अधिक नाजुक होता है शिशु का सिर खासतौर पर उसके सिर का बीच वाला हिस्सा और दूसरा उसके पीछे वाला भाग। इसलिए शिशु के सिर का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है। अगर शिशु के सिर के पिछले भाग का सही से ख्याल न रखा जाए तो उसका आकार बदल सकता है। #5. शिशु की त्वचा का रुखा होना (Baby's Dry Skin) जन्म के समय नवजात शिशु की त्वचा बहुत रूखी होती है जिसे देख कर ऐसा लगता है जैसे निकलने वाली हो। लेकिन उसे स्वयं उतारने की कोशिश न करें क्योंकि तेल या क्रीम आदि से मालिश करने से उसकी यह त्वचा स्वयं निकल जाती है और उसकी जगह नयी त्वचा ले लेती है। ऐसे ही शिशु के शरीर पर जन्म के समय कई लाल रंग के निशान होते हैं खासतौर पर उसके गले या पीठ पर, वो भी जैसे-जैसे समय गुजरता है खुद ही दूर हो जाते हैं।
#6. शिशु का रोना (Baby’s Cry) नवजात शिशु का रोना स्वभाविक है। सभी बच्चे रोते हैं और इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है। कुछ शिशु तो पूरी-पूरी रात रोते हैं, शिशु के बेवजह रोने के कारण माता-पिता परेशान हो जाते हैं लेकिन यह बेहद सामान्य है। दरअसल छोटा बच्चा बोलना नहीं जानता इसलिए वो अपनी समस्याएं रो कर बताता है या ऐसा भी कह सकते हैं कि रो कर वो अपनी उपस्थिति का अहसास कराता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवजात शिशु को रोना नहीं आता। छोटा शिशु केवल चीख़ता चिल्लाता है। उसके आँसू तीन हफ्तों के बाद बनना शुरू होते हैं। Also Read: How to Calm Crying Kids in Hindi #7. सोने का समय (Time of Sleep) जन्म के बाद शिशु के सोने का समय भी बेहद अजीब होता है। कई शिशु पूरा दिन सोये रहते हैं और पूरी रात जागते हैं तो कभी शिशु पूरा दिन जागता है और पूरी रात सोता है। कई बार शिशु थोड़ी-थोड़ी देर में जाग जाता है लेकिन कई बार तीन से चार घंटे तक सोया रहता है। समय के साथ-साथ शिशु के सोने का समय बदलता रहता है। शुरू में कई शिशु कम सोते हैं लेकिन कुछ समय के बाद उनके सोने का समय बढ़ता जाता है। #8. रंगों की पहचान (Identification of Colors) बच्चों को रंग बेहद पसंद होते हैं लेकिन जन्म के दो या तीन हफ्ते तक शिशु केवल सफेद और काला रंग ही देख सकते हैं मतलब उन्हें हर एक चीज़ सफेद या काली दिखती है। इसके बाद बच्चा इस रंग को सबसे पहले देखता है वो है लाल रंग। शिशु आठ से नौ महीने के होने पर अलग-अलग रंगों को पहचानना शुरू कर देता है और रंगों के प्रति उनकी समझ बढ़ती है। #9. शिशु का हंसना (Baby’s Laughter) शिशु पैदा होने के एक महीने बाद मुस्कुराना शुरू करता है। शिशु अलग-अगल आवाजों या आकृतियों को देख कर मुस्कुराता है। माँ की आवाज़ और हल्का संगीत भी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकती है। एक शोध के अनुसार शिशु दिन में लगभग तीन सौ बार हँसते हैं। अपने प्यारे शिशु के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने के लिए आपको अलग-अलग आवाजें निकालनी होंगी या अपने हावभाव से शिशु को हंसाए। #10. शिशु का मल (Baby’s Stool) शिशु के पहले मल को मेकेनियम कहा जाता है जो गहरे हरे या काले रंग का होता है। इसकी किसी तरह की गंध नहीं होती। जैसे- जैसे शिशु माँ का दूध पीना शुरू करता है वैसे-वैसे बच्चे के मल के रंग में परिवर्तन आता है। लगभग 6 या 7 दिन के बाद शिशु पीले रंग का मल त्याग करता है यह मल बदबूदार होता जाता है। नवजात शिशु दिन में तीन से लेकर सात से आठ बार भी मल त्याग कर सकता है। जब तक शिशु ठीक से दूध पी रहा है, एक्टिव है तो वो दिन में चाहे कितनी बार भी मल त्याग करे, चिंता की कोई बात नहीं है। शिशु का मल इस बात पर भी निर्भर करता है कि वो माँ का दूध पी रहा है, फार्मूला दूध ले रहा है या अन्य कोई दूध पी रहा है। तो यह कुछ ऐसे तथ्य (Newborn Baby Facts) थे जो हर माँ बाप को अपने नवजात बच्चों के बारें में पता होनी चाहिए। Also Read: Bachcho ki Dast ko Dur Karne ke Upay क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।null