नामकरण संस्कार: जानिए इसका महत्त्व व ध्यान रखने योग्य बाते

नामकरण संस्कार: जानिए इसका महत्त्व व ध्यान रखने योग्य बाते

हिन्दू संस्कृति में हर अवसर का अलग महत्व है, यही नहीं यहाँ हर चीज़ के लिए अलग रीति-रिवाज़ है। बच्चे के जन्म से लेकर उसके विवाह तक कई ऐसे अवसर आते हैं जिसे हम उत्सव की तरह मनाते हैं। ऐसा ही एक अवसर है शिशु का नामकरण। नामकरण यानी वो अवसर जब बच्चे का नाम रखा जाता है। इस अवसर पर शिशु का नाम रखने की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। यह शिशु का जन्म के बाद का पहला उत्सव होता है जिसे पूरा परिवार खुशी से कर मनाता है। जानिए बच्चे के नामकरण संस्करण (Naamkaran Sanskar) के बारे में विस्तार से।  

कब किया जाता है नामकरण संस्करण? (When to Do Naamkaran Sanskar)

नामकरण संस्करण बच्चे के जन्म से दस दिन बाद किया जाता है। हालांकि कुछ लोग शिशु के जन्म के सौ दिन के बाद या एक साल बाद भी बच्चे का नामकरण करते हैं। ब्राह्मणों में यह दस दिन बाद, क्षत्रियों में 12 दिन बाद, वैश्यों में 15 दिन बाद और शूद्र में एक महीने बाद किया जाता है। हिन्दू धर्म में 16 संस्करणों को मुख्य माना गया है जिनमें पांचवें संस्कार को नामकरण संस्कार के नाम से जाना जाता है।  

कैसे मनाया जाता है यह उत्सव? (What is Naamkaran Sanskar in Hindi)

नामकरण संस्कार में एक पूजा होती है जिसमें घर के सब लोग शामिल होते हैं। इसमें शामिल होने वाले पंडित जी शिशु की राशि को देखकर एक अक्षर बताते हैं, जिसके अनुसार ही शिशु के माता-पिता उसका नाम रखते हैं। इस दौरान शिशु अपने माता-पिता की गोद में रहता है। आपस में सलाह कर के जो भी नाम चुना जाता है उस नाम को माता-पिता बच्चे के कान में बोलते हैं। कई जगह यह नाम बच्चे की बुआ रखती है। इस तरह से बच्चे का नामकरण संस्कार की पूजा पूरी होती है। इस दौरान बच्चे को शहद चटाया जाता है और इस दिन सूरज के भी दर्शन बच्चे को कराये जाते हैं ताकि बच्चे का तेज़ सूर्य भगवान की तरह हो। इसके साथ ही अन्य देवी देवताओं का भी आशीर्वाद शिशु को दिलाया जाता है ताकि बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहे और उसे जीवन में हर सुख मिले। शिशु का नामकरण को उसके गोत्र और वंश के अनुसार ही किया जाता है। नामकरण में शिशु के दो नाम रखे जाते हैं एक नाम जो प्राथमिक होता है और जो सबको बताया जाता है जबकि एक गुप्त नाम होता है जिसके बारे में केवल माता-पिता को ही जानकारी होती है। इसका कारण बताया जाता है कि ऐसा करने से बच्चा बुरी नजर और बुरी शक्तियों के प्रभाव से दूर रहता है। इसे भी पढ़ें: क्या बच्चों की आँखों में काजल लगाना ठीक हैं?

नामकरण संस्करण का महत्व (Importance of Naamkaran Sanskar in Hindi)

ऐसा माना जाता है शिशु का नामकरण करने से शिशु की आयु बढ़ती है साथ ही वो दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाता है और उसे ख्याति प्राप्त होती है। बच्चे के नामकरण (Naamkaran) इसलिए भी किया जाता है ताकि बच्चे का कोई सार्थक और अच्छा सा नाम रखा जा सके। इसमें पूरे परिवार को शामिल किया जाता है ताकि बच्चे को सबका आशीर्वाद मिल सके। भारतीय परिवारों में अक्सर बच्चों का नाम लंबू, छोटू, गुगु, मोटू आदि रख दिया जाता है। बचपन में तो यह नाम अच्छे लगते हैं किन्तु बड़े होने पर इनसे चिढ़ हो जाती है या कई नामों का तो मज़ाक भी उड़ाया जाता है। इसलिए नामकरण संस्करण के दौरान सोच समझ कर कोई अच्छा नाम रखा जाता है। नामकरण संस्करण (Naamkaran Sanskar) के दौरान शिशु का नाम उसकी राशि के अनुसार रखने से बच्चों के ग्रहों का शिशु पर अच्छा असर पड़ता है।

नामकरण संस्करण करते समय इन बातों का रखें ध्यान

#1. आजकल के आधुनिक युग में माता-पिता बहुत सोच समझ कर बच्चों का नाम रखते हैं क्योंकि अगर बड़े होने पर शिशु को अपना नाम पसंद न आये तो वो शर्म महसूस करेगा। आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से यह काम और भी आसान हो गया है क्योंकि लोग आसानी से कोई अच्छा और अर्थपूर्ण नाम ढूंढ सकते हैं और साथ ही अन्य लोगों की भी मदद ले सकते हैं। इसके साथ ही इंटरनेट पर आपको कई ऐसी किताबें भी मिल जाएंगी जिससे आपके लिए शिशु का नाम खोजना और भी आसान हो जायेगा। #2. शिशु का नाम पसंद करते समय यह ध्यान रखें कि वो आसान हो और साथ ही अर्थपूर्ण भी हो। मुश्किल नाम सब लोगों के लिए बोलना आसान नहीं होगा जिससे शिशु को बिगड़े हुए नामों से बुलाया जायेगा। नाम ऐसा रखें जो बोलने में आसान हो व साथ ही अलग भी हो, ऐसा न हो कि उसी नाम के गल्ली, मोहल्ले या स्कूल में कई बच्चे हों। ऐसे में बच्चे को उसके नाम से नहीं बल्कि सरनेम से जाना जाएगा। इसे भी पढ़ें: बच्चों का मुंडन कब और क्यों करवाएं और इसके 5 लाभ #3. बच्चे का नाम अंकगणित के अनुसार भी रखा जा सकता है। नाम ऐसा रखें जो प्रसिद्ध भी हो और दिल पर अलग ही छाप छोड़े। #4. नामकरण संस्करण के दिन कुछ नामों को पहले से ही चुन लें ताकि उस दिन जब पंडित जी कोई अक्षर निकाले तो आपको तभी नाम न चुनना पड़े। अगर आपने पहले नाम नहीं सोचा होगा तो उस समय जल्दबाज़ी में आपको कोई नाम चुनना पड़ेगा और हो सकता है कि बाद में वो आपको अच्छा न लगे। ऐसा न हो इसके लिए पहले ही माता-पिता नाम की लिस्ट बना लें। #5. शिशु का नाम चुनते समय उसकी राशि का खास ख्याल रखे। इसके साथ ही पंडित जी की राय के बाद ही नाम का चुनाव करें। नामकरण संस्करण (Naamkaran Sanskar) बच्चे के लिए बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए इस दिन बच्चे का कोई सुन्दर नाम रखें इसके साथ ही उसके ग्रहों के बारे में भी जान लें।   क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

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