सी-सेक्शन यानी सीजेरियन प्रसव का चलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार आजकल 20 से 25 प्रतिशत मामलों में महिलाएं सी-सेक्शन को प्राथमिकता देती हैं। सी-सेक्शन ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पेट में चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है। इसके लिए गर्भवती महिला को बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया जाता है।
गर्भवती महिला को प्रसव से पहले यही चिंता रहती है कि कहीं उनका सी-सेक्शन प्रसव न हो क्योंकि सी-सेक्शन के बारे में कई मिथक (Myths of C Section in Hindi) या अफवाह फैली हुई हैं। प्रसव से पहले गर्भवती महिला को ध्यान रखना चाहिए कि वो किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें क्योंकि हर महिला का अनुभव अलग होता है। जानिए सी-सेक्शन के बारे में 7 मिथक (Myths of C Section in Hindi) व तथ्य जिनका जानना आपके लिए जरूरी हैं।
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सी-सेक्शन को लेकर फैले मिथक या अफवाहों में से एक यह है कि सी-सेक्शन में दर्द नहीं होता जो बिलकुल गलत है। सच यह है कि सी-सेक्शन प्रसव के दौरान महिला को बेहोश किया जाता है। बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया दिया जाता है।
एनेस्थीसिया का प्रभाव इतना होता है कि उस समय तो महिला को किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होता लेकिन जब इसका असर कम हो जाता है तो दर्द का अनुभव होना शुरू हो जाता है। आमतौर पर प्रसव के लगभग बारह घंटे के बाद महिला को अधिक दर्द होना शुरू हो जाता है और कई बार यह दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए यह मानना बहुत गलत है कि सी-सेक्शन प्रसव के दौरान दर्द नहीं होता।
सी-सेक्शन के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह बच्चे और माँ के स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प नहीं है। सच यह है कि सी-सेक्शन से महिला या बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सी-सेक्शन बच्चे और माता की स्वास्थ्य में होने वाली जटिलताओं के कारण करना पड़ता है लेकिन इससे पहले और इसके बाद माँ व बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
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ऐसा कहा जाता है कि जिस महिला का एक बार सी-सेक्शन हुआ हो उसे हर बार सी-सेक्शन प्रसव से गुजरना पड़ता है लेकिन सी-सेक्शन का प्रभाव भविष्य में होने वाले प्रसव पर नहीं पड़ता। अगर आपका पहला प्रसव सी- सेक्शन से हुआ है तो दूसरी डिलीवरी सामान्य भी हो सकती है।
याद रखें, सी सेक्शन प्रसव की ज़रूरत किसी आपातकालीन स्थिति में ही पड़ती है। सी-सेक्शन का अर्थ यह भी नहीं है कि महिला फिर से गर्भवती नहीं हो सकती बस सी-सेक्शन के बाद माँ को अपना खास ध्यान रखना चाहिए नहीं तो दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
सी-सेक्शन के बाद शिशु को स्तनपान कराने में माँ को शुरू-शुरू में थोड़ी कठिनाई हो सकती है लेकिन माँ उसके बाद अपने शिशु को आराम से स्तनपान करा सकती है। शुरू में किसी की मदद से माँ इस काम को कर सकती है लेकिन उसके बाद वो अपनी आरामदायक स्थिति में बैठकर या लेट कर शिशु को स्तनपान करा सकती है।
यह धारणा बहुत ही आम है कि सी-सेक्शन के बाद महिला की योनि से रक्तस्त्राव नहीं होता क्योंकि इसमें शिशु का जन्म योनि से नहीं होता। सी-सेक्शन में सर्जरी के द्वारा शिशु को बाहर निकाला जाता है और इस दौरान जो खून निकलता है वो सामान्य प्रसव में निकलने वाले खून से लगभग तीन गुना अधिक होता है।
ऐसे में सी-सेक्शन के बाद महिला के शरीर में कमजोरी आ जाती है। लेकिन यह मानना सही नहीं है कि सी-सेक्शन के बाद महिला की योनि से रक्तस्त्राव नहीं होता। दरअसल प्रसव के बाद महिला की योनि से रक्तस्त्राव होने का कारण गर्भाशय होता है।
प्रसव के बाद गर्भाशय प्लेसेंटल से अलग होने के बाद सामान्य होने की और सिकुड़ कर अपने पहले आकार में आने की कोशिश कर रहा होता है। ऐसे में प्रसव चाहे सामान्य हो या सी-सेक्शन दोनों ही सूरतों में महिला की योनि से रक्तस्त्राव होता ही है।
कहते हैं कि सी-सेक्शन के बाद महिला को उठने बैठने, चलने-फिरने में मुश्किल होती है। लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है। हाँ, सी-सेक्शन के बाद महिलाओं को कुछ दिनों तक परेशानियां होती हैं। हालांकि ऐसा नहीं करना चाहिए। सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद शरीर को एक्टिव रखने के लिए चलना फिरना बहुत जरूरी है।
डिलीवरी के बाद उबरने में अधिक समय तो लगता है लेकिन एतिहात बरतने से हर समस्या दूर होगी। शुरुआती कुछ दिन आराम अवश्य करना चाहिए और भारी काम नहीं करने चाहिए।
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ऐसा भी माना जाता है कि सामान्य प्रसव से माँ और शिशु के बीच भावनात्मक और शारीरिक संबंध सी-सेक्शन के मुकाबले अधिक मजबूत होता है लेकिन यह सही नहीं है। सी- सेक्शन (Caesarean Section Delivery) के माध्यम से जिस शिशु ने जन्म लिया हो उसका भी अपनी माँ से उतना ही प्यारा रिश्ता बनता है।
ऐसा भी मिथक है कि सी-सेक्शन से माँ अपने शिशु को त्वचा-से-त्वचा (Skin-to-skin) जुड़ाव को महसूस नहीं कर सकती जो मातृत्व का सबसे बेहतरीन हिस्सा है। इसे अभी पैदा हुए शिशु को माँ अपनी छाती के ऊपर रख कर महसूस करती है। यह प्रक्रिया माँ और शिशु को कई भावनात्मक और शारीरिक फायदे प्रदान करती है। सच बात यह है कि सी-सेक्शन के बाद भी माँ इस प्रक्रिया से अपने शिशु के करीब आ सकती है। हालाँकि शुरुआत में उसे किसी की मदद ले लेनी चाहिए।
सी-सेक्शन के बारे में इतना घबराना नहीं चाहिए। सी सेक्शन से जुड़े मिथकों (Myths of C Section in Hindi) से हमें दूर रहना चाहिए। इस प्रक्रिया से गुजरने वाली माताएं भी वो सब कर सकती हैं जो सामान्य प्रसव से गुजरने वाली माताएं करती हैं बस फर्क यह है कि सी-सेक्शन के बाद महिला को खुद का खास ख्याल रखना पड़ता है।
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