कंगारू केयरः जब लगता था अपनी जान को हाथ लगाने से भी डर

कंगारू केयरः जब लगता था अपनी जान को हाथ लगाने से भी डर

एक मां के लिए सबसे मुश्किल समय होता है जब वह अपने बच्चे को बीमार या अस्पताल में देखती है। मैं जया अविरल मिश्रा आज आपके साथ शेयर करना चाहूंगी अपनी स्टोरी कैसे मैंने पांच महीने तक अपने को कंगारू केयर के सहारे रखा और आज कैसे मेरा बेटा एक स्वस्थ जीवन जी रहा है?

 

सब कुछ हुआ एकदम

प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही में प्रवेश करते हुए भी मुझे कोई समस्या नहीं थी। सातवां महीना निकला और फिर आया आठवां महीना मेरी असली परीक्षा इसी महीने हुई। प्रेगनेंसी के आठवें महीने को शुरु हुए अभी तीन ही दिन हुए थे। डॉक्टर के अनुसार सब नॉर्मल था, मैं काम भी कर रही थी घर के सारें।

लेकिन अचानक 27 अक्टूबर की रात 11 बजे सोने के बाद हल्का कमर दर्द शुरु हुआ। जो रात होने के साथ बढ़ता ही गया। रात को तकरीबन 1 बजे मुझे काफी ज्यादा ब्लीडिंग हो रही थी। घर में सिर्फ सास और जेठानी थी। जल्दी से मुझे अस्पताल ले जाया गया जहां पता चला कि मेरा बेबी कॉर्ड से अलग हो गया है और जल्द से जल्द बेबी को निकालना पड़ेगा।

एक घंटे में यानि 28 अक्टूबर 2017 की रात करीब 3 बजे बेबी को ऑपरेशन करके बाहर निकाला गया। मेरे बेटे का वजन जन्म के समय मात्र 1.3 Kg था। पहले 10 दिन उसे बच्चों के आईसीयू यानि NICU में रखा गया। फिर एक महीने वार्ड में। एक महीने के बाद भी मेरे बेटे का वजन सिर्फ 200 ग्राम ही बढ़ा था।

 

जब पहली बार अपने बेटे को देखा और टच किया

कुछ पल होते हैं जब हमें बहुत ज्यादा चोट लगी हो तब भी होंठों की मुस्कराहट आंखों के रास्ते पानी बहकर निकल पड़ते हैं। मेरे बेटे के जन्म के पांचवे दिन जब मैंने उसे पहली बार देखा और छुआ तो कुछ ऐसा ही मेरा हाल था। इतनी छोटी सी जान को हाथ में लेना भी दूभर था वहां ब्रेस्टफीड करना तो बहुत दूर की बात थी। लेकिन मैं उसे कंगारू मदद केयर हर दिन देती थी।

कंगारू केयर क्या है (Kangaroo Care Kya Hai?) वह इस लेख के अंत में मैंने विस्तार से लिखा है और मेरा यह मानना है कि हर मां को यह तकनीक आनी चाहिए। जब आपके पास अपनी जान को सलामत रखने के काफी कम रास्ते हो तो आपको हर रास्ते का ख्याल रखना चाहिए।

 

एक नई मां के लिए तकलीफों का नया पहाड़

हमारे घर में किसी को भी प्री मेच्योर बेबी का अनुभव नहीं था तो शुरु में मुझे किसी ने नहीं बताया कि ब्रेस्टफीड कैसे कराना है तो मैंने अपने बेबी को अधिकतर फॉर्म्यूला फीड कराया। दो महीने बाद जब मेरे बेटे की पॉटी सफेद आने लगी तो पता चला कि बाइल डक्ट में ब्लॉकेज हो गया है। अब ब्ल्ड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा मेरे शहर में मौजूद नहीं थी जो इलाज के लिए जरूरी थी।

इसे भी पढ़ेंः  प्री-मेच्योर बच्चों की कैसे करें देखभाल?

एक सफर सुरक्षित जीवन की तरफ

इसलिए रात में ही हम मुंबई आकर एडमिट हो गए। यहां भी डॉक़्टरों को एक महीना लग गया यह पता करने में कि आखिर समस्या क्या है। मेरे बेटे का पीलिया बढ़ता ही जा रहा था।

आखिरकार बाहर से डॉक्टर आएं और उन्होंने 18 जनवरी 2018 को ऑपरेशन किया। और मेरा बेटा फरवरी में घर वापस आ सका।

पांच महीने बाद भी मेरे बेटे का वजन सिर्फ और सिर्फ 2.5Kg ही हुआ था। मैं अभी तक उसे कंगारू केयर देती थी और साथ में मैंने इसे ब्रेस्टफीड कराना शुरु कर दिया। आज मेरा बेटा दो साल का हो चुका है और अभी भी मेरा ही दूध पीता है।

क्या है कंगारू मदर केयर या KMM

मैंने अपने बेटे की देखरेख में जिस एक चीज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया वह थी कंगारू मदर केयर। कंगारू मदर केयर वह तकनीक है, जिसमें बच्चे को मां के सीने से चिपका कर रखा जाता है, ताकि मां की शरीर की गर्माहट बच्चे तक ट्रांसफर हो पाए। मां का तापमान बच्चे को मिलने से बच्चे का तापमान स्थिर रहता है और उसे बुखार होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
इसे भी पढ़ेंः  प्री-मेच्योर डिलीवरी से कैसे बचें?

कंगारु केयर के फायदेः

  1. यह बच्चे के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करता है।
  2. जब कंगारू मदर केयर की तहत बच्चा मां के सीने से लगा होता है तो उसे अपनेपन का एहसास होता है।
  3. इसके अलावा उसे जब भूख लगती है तो वह मां की छाती के आसपास ही होता है, वहां उसके लिए स्तनपान करना बेहद सहज हो जाता है।
  4. बच्चे के मानसिक विकास में भी कंगारू मदर केयर तकनीक काफी मदद करता है।
  5. बच्चा जब मां के नजदीक होता है, तो तनावमुक्त होता है और अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। उसकी भूख भी शांत रहती है।
  6. माना जाता है कि केएमसी (Kangaroo Mother Care) पाने वाले बच्चों में मानसिक और शारिरिक विकास अन्य बच्चों के तुलना में ज्यादा होने की संभावना रहती है।

आज मेरा बेटा स्वस्थ है, हां नॉर्मल बच्चों के मुकाबले शायद अभी ग्रोथ में थोड़ा पीछे हो लेकिन मैं और वह दोनों मिलकर जब इतनी बड़ी जंग लड़ सकते हैं तो उम्मीद है ग्रोथ की इस भागदौड़ में भी हम अव्वल ना सही लेकिन हिस्सा जरूर बने रहेंगे।

मैं मॉम्स आपसे बस इतना ही कहना चाहूंगी कि बच्चों के बीमार होने या कोई दिक्कत होने पर टूटना सही नहीं है। होंसला रखें, पढ़ें, सीखे, चीजों को जानें। समझिएं आपके बच्चे के लिए क्या सही है क्या गलत? अगर कुछ गलत हो भी जाए तो जो हो गया हो उसके पीछे रोने से बेहतर है आगे इस गलती को सही करने की दिशा में काम करें। अगर आपका बेबी प्री मेच्योर हुआ है तो मेरे कुछ सुझाव हैंः

  • कभी भी बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के दवा ना दें।
  • कम से कम छह माह तक स्तनपान अवश्य कराएं।
  • कंगारू मदर केयर के बारें में सीखें।
  • डिलीवरी के लिए अस्पताल व डॉक्टर चुनते हुए पूरी जानकारी लें।
  • शुरुआत में बच्चे की सुरक्षा आपके लिए पहला लक्ष्य होना चाहिए।

इसे भी पढ़ेंः बच्चों के दांत निकलने से जुड़ी जानकारी

 

क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

null

null