मलेरिया क्या है और मलेरिया कैसे फैलता है

मलेरिया क्या है और मलेरिया कैसे फैलता है

दुनिया की सबसे घातक और जानलेवा बीमारियों में एक है ‘मलेरिया‘, जिसके कारण हर साल पूरी दुनिया में लगभग बीस लाख लोगों को मौत हो जाती है। मलेरिया अक्षर “माला एरिया” से बना है जो इटली की भाषा का शब्द है और जिसका अर्थ होता है ‘बुरी हवा’।

 

मलेरिया के बारे में सबसे पहले शोध चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन (Alphonse Laveran) नामक वैज्ञानिक ने किया था। मलेरिया आजकल बेहद आम रोग बन चुका है, जिसका प्रभाव बच्चों में अधिक देखने को मिल रहा है। ऐसा पाया गया है कि मलेरिया से पीड़ित व्यक्तियों में 80% बच्चे होते हैं।

 

हमारे देश में मलेरिया के पूरे इंतजाम होने के बावजूद भी इसके मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है। मलेरिया से मुक्ति पाने के लिए सबसे पहले उसके बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि इससे बचा जा सके। आइयें जानते हैं मलेरिया के बारें में पूरी जानकारी (Malaria Information) और यह कैसे फैलता है?

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मलेरिया क्या है और कैसे फैलता है (Malaria Information in Hindi)

मलेरिया क्या है (What is Malaria in Hindi)?

मलेरिया परजीवी रोगाणु के कारण होता है। इन रोगाणुओं को प्लाज्मोडियम (Plasmodium) कहा जाता है। ये रोगाणु बेहद छोटे हैं जिन्हें मनुष्य अपनी आँखों से नहीं देख सकता। प्लाज्मोडियम रोगाणु मादा मच्छर एनोफिलिस (Anopheles Mosquitos) नामक मच्छर के शरीर में पलता और बढ़ता है।

 

मलेरिया सर्दी लगने और बुखार से शुरू होता है। इसके कारण खून की कमी या पीलिया भी हो सकता है। जब मलेरिया (Malaria) अधिक गंभीर हो जाता है तो किडनी फेलियर या अन्य भयंकर समस्याएं हो सकती हैं।

मलेरिया एक ऐसा रोग है जिसके रोगी को अगर सही समय पर इलाज न मिले तो उसकी मौत भी हो सकती है। बुखार या सर्दी के साथ-साथ शरीर में दर्द होना,जी मचलना या उलटी आना आदि भी इसके मुख्य लक्षण हैं। मादा एनोफिलिस मच्छर साफ़ पानी में भी रहता है और वहां विकसित हो सकता है।

 

बरसात के दिनों में यह रोग अधिक देखने को मिलता है क्योंकि बारिश के मौसम में पानी हर जगह पानी जमा हो जाता है जिससे यह मच्छर आसानी से पनपते और बढ़ते हैं जिससे इस रोग के फैलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

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मलेरिया कैसे फैलता है (How Does Malaria Spread)?

#1. मलेरिया प्लास्मोडियम नाम के परजीवी रोगाणु से होता है। यह रोगाणु मादा एनोफेलीज़ जाति के मच्छर में होते हैं। यह मादा मच्छर केवल बारह दिन में ही अपना जीवनचक्र पूरा कर लेता है। जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो प्लास्मोडियम रोगाणु खून की नली के माध्यम से उस व्यक्ति के शरीर में फैल जाता है। ऐसे यह रोगाणु व्यक्ति के लीवर की कोशिकाओं तक पहुँच जाते हैं और इसके बाद से इनकी संख्या बढ़ती जाती है।

 

जब लीवर की कोशिकाओं को हानि होती है तो यह रोगाणु व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) को प्रभावित करते हैं और साथ ही इनकी संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी होती रहती है। ऐसे ही यह रोगाणु हर लाल रक्त कोशिका (RBC) को प्रभावित करते हैं जिससे रक्त कोशिकाएं फटती रहती है और मलेरिया के लक्षण व्यक्ति में दिखाना शुरू होते हैं।

 

रोगाणुओं का लाल रक्‍त कोशिकाओं पर हमला करने और कोशिकाओं के फटने का सिलसिला जारी रहता है। जिससे प्रभावित मनुष्य में मलेरिया के कारण होने वाली समस्याएं बढ़ती जाती हैं।

 

#2. मलेरिया जिन परजीवियों से फैलता है वो मनुष्य की लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाते हैं इसलिए अगर मलेरिया के पीड़ित व्यक्ति का खून किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में चढ़ा दिया जाए तो दूसरा व्यक्ति भी इसका शिकार बन सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर एक सिरिंज दो व्यक्तियों के शरीर में इस्तेमाल कर दी जाए तब भी इस रोग फैलने की संभावना होती है।

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#3. मलेरिया का सबसे अधिक प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। अगर गर्भवती महिला को मलेरिया हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन बहुत कम हो जाता है इसके साथ ही यह भी हो सकता है कि प्रसव के बाद वो बच्चा कई रोगों का शिकार बन जाए। ऐसे बच्चों में खून की भी कमी हो जाती है और एक साल तक उनकी मृत्यु की संभावना बनी रहती है।

 

पांच साल से कम आयु के बच्चे और गर्भवती महिलाएं जल्दी मलेरिया का शिकार बन जाती हैं। हमारे देश में इसके प्रभाव से होने वाली मृत्यु के साथ साथ इसके कारण होने वाली विकलांगता का खतरा भी बढ़ गया है। भारत में यह रोग शहरों के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में अधिक देखने को मिल रहा है। मलेरिया के अधिकतर मामले उड़ीसा, झारखंड और छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से आ रहे हैं।

 

देश को मलेरिया से मुक्त बनाने के लिए कई कार्यक्रम 1953 से शुरू किये गए थे और काफी हद तक इससे मुक्ति पायी जा चुकी थी लेकिन सत्तर के दशक में इस रोग ने फिर से हमारे देश में दस्तक दे दी और अब मलेरिया उन्मूलन को वैज्ञानिकों में बेहद कठिन मान लिया है क्योंकि मौजूदा उपाय मलेरिया के मामलों को कम करने में कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं।

 

ऐसे में मलेरिया से मुक्ति पाने और खुद को इससे बचाने के लिए हमें हर संभव उपाय करने चाहिए और सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि इसके प्रभाव से बचा जा सके इसके साथ ही अगर किसी में मलेरिया के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर की राय लेना अतिआवश्यक है।

 

मलेरिया से बचाव का पहला उपाय है संपूर्ण जानकारी (Malaria information) और दूसरा मच्छरों को पनपने से रोकना।

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