मेरी एक सहेली की गर्भावस्था का अभी आठवां महीना शुरू ही हुआ था कि उसे पेट में ऐंठन के साथ हल्की-हल्की ब्लीडिंग होने लगी। उसने तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क किया। डॉक्टर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत उसका प्रसव करवाया।
आजकल पूरे समय के बाद प्रसव की संभावनाएं भी कम रहती हैं क्योंकि डॉक्टर दी हुई तारीख पर प्रसव करा देते हैं। लेकिन समय से पहले यानी आठवें महीने में प्रसव हो सकता है। अगर प्रसव समय से पहले हो तो ऐसा माना जाता है कि यह शिशु और माँ दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है और इस मामले के अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है। लेकिन अधिकतर डॉक्टर ऐसा नहीं मानते।
आपको बस आठवें महीने में प्रसव के कुछ लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए जैसे मेरी सहेली ने दिया ताकि आप उचित समय पर सही कदम उठा कर किसी भी आपातकालीन या खतरनाक स्थिति से बच सकें। जानिए आठवें महीने में डिलीवरी या प्रसव पीड़ा के लक्षण (Labor Symptoms in Eighth Month in Hindi):
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यह बात तो हम सभी जानते हैं कि माँ बनने का सफर आसान नहीं होता। गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक महिला को कई पड़ावों और समस्याओं से गुजरना पड़ता है। लेकिन ऐसा आवश्यक नहीं कि प्रसव पूरे नौवें महीने में ही हो। ऐसा माना जाता है कि बीस में से केवल एक महिला का प्रसव पूरे समय पर होता है। यानी अधिकतर संभावना यही रहती है कि प्रसव समय से पहले या बाद में हो। आठवे महीने में प्रसव के कुछ सामान्य लक्षण निम्न (8th Month mein Delivery ke Symptoms) हैंः
आठवें महीने में शिशु का शारीरिक विकास हो चुका होता है। ऐसे में महिला के गर्भाशय का आकार भी बढ़ जाता है ताकि उनके शिशु को गर्भाशय में पर्याप्त स्थान मिल सके। गर्भाशय के बढ़ने से गर्भवती महिला के फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और इसके कारण साँस लेने में मुश्किल हो सकती है। अगर आपको भी ऐसा हो रहा हो तो समझ लें की प्रसव का समय नज़दीक है।
आठवें महीने में गर्भवती महिला के स्तनों में दूध का उत्पादन हो जाता है हालाँकि यह पीले रंग का और गाढ़ा हो सकता है। अगर आपके प्रसव का समय नज़दीक है तो आपके स्तनों से पीले रंग का यह पदार्थ निकल सकता है।
शिशु के आकार और वजन के बढ़ने से होने वाली माँ का पेट बढ़ जाता है जिसका दबाव उसकी पीठ पर भी पड़ता है। इसके कारण पीठ में दर्द हो सकता है। अगर आठवें महीने में आपको पीठ में दर्द ज्यादा महसूस हो रहा हो तो समझ लें कि आने वाले दिनों में आपकी डिलीवरी हो जाएगी।
आठवें महीने में झूठी प्रसव पीड़ा को संकुचन के रूप में महसूस किया जा सकता है, जो वास्तविक संकुचन से मिलती जुलती होती है जिसे आप प्रसव में अनुभव करती है। दरअसल यह वो प्रक्रिया है जिससे गर्भाशय सचमुच की प्रसव पीड़ा के लिए तैयार होता है हालाँकि इसमें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर यह पीड़ा लंबे समय से हो रही हो तो आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
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आठवें महीने में गर्भ में शिशु पूरी तरह से विकसित हो गया होता है जिसके कारण उसका वजन भी दो से ढाई किलो तक हो सकता है। अगर आप अपने पेट और वजन में वृद्धि के साथ-साथ नीचे की तरफ दबाव महसूस कर रही हैं तो प्रसव के लिए तैयार रहें।
आठवें महीने में शिशु की गतिविधियाँ भी बढ़ जाती है जिसके कारण शिशु अपनी स्थिति बदलता रहता है उसका सिर नीचे की तरफ और स्थिति नीचे होती है। अगर आठवें महीने में शिशु की गतिविधियों में बढ़ोतरी हो और योनि की और दबाव महसूस हो तो सतर्क हो जाएँ।
आठवें महीने में पहुंचने के साथ ही आपकी गर्भावस्था की मंज़िल केवल कुछ ही कदम की दूरी पर रह जाती है। अगर आठवें महीने में आपके पेट में ऐंठन हो रही हो और यह ऐसी प्रतीत हो रही हो जैसे मासिक धर्म के दौरान या गैस होने के समय होती है तो यह भी जल्दी प्रसव की तरफ एक संकेत हो सकता है।
गर्भावस्था में योनि से सफेद या पानी जैसा स्त्राव होना सामान्य है लेकिन अगर आपकी योनि से पीले या गुलाबी या लाल रंग का स्त्राव हो रहा तो आपको डॉक्टर की सलाह लेने की आवश्यकता है, यही नहीं अगर पानी जैसा स्त्राव भी बहुत अधिक मात्रा में हो रहा हो तो यह भी प्रसव का संकेत है।
आठवें महीने में अगर आपको बार-बार दस्त, उलटी या जी मचलना जैसी स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है तो भी यह जल्दी प्रसव का एक इशारा हो सकता है।
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आठवें महीने में प्रवेश करते ही याद रखें कि अब किसी भी समय प्रसव हो सकता है। ऐसे में नौवें महीने के शुरू होने का इंतजार न करें और पहले से ही अपने प्रसव की योजना बना लें। हो सकता है कि डॉक्टर आपको पहले से ही बता दे कि आपके प्रसव सामान्य होगा या सिजेरियन। लेकिन मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से इसके लिए तैयार रहें।
आठवें महीने में ही अस्पताल के लिए अपना बैग तैयार कर लें। इसमें उन सभी चीज़ों को डाल लें जिनकी प्रसव से पहले और बाद में ज़रूरत पड़ सकती है। अपने, बच्चे के कपड़ों और अन्य चीज़ों को इसमें आवश्यक डालें। पहले एक लिस्ट बनाएं और उसके अनुसार चीज़ें इकट्ठी करें व पैकिंग करें। किसी अनुभवी व्यक्ति की मदद ले सकती हैं।
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प्रसव और उसके बाद का समय वो समय होता है जब आपको दूसरे लोगों की मदद की आवश्यकता पड़ती है। उन लोगों को पहले से ही आठवें महीने में अपनी मदद के लिए बुला लें जिन पर आपको पूरा विश्वास हो और जो इस समय आपकी मदद के लिए तैयार हों। इसके साथ ही डॉक्टर,अस्पताल, एम्बुलेंस आदि का नंबर भी नोट कर के रख लें।
प्रसव के अंतिम चरण में प्रसव और बाद के जीवन के बारे में सोच-सोच कर तनाव और चिंता होना स्वभाविक है। लेकिन तनाव न लें क्योंकि इस दौरान तनाव आपके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए कसरत करें, अच्छा और स्वस्थ खाएं और सकारात्मक सोचें। जल्द ही आपकी जिम्मेदारियां बढ़ने वाली हैं। इसलिए भविष्य की योजनाओं को पूरा करने के बारे में सोचें और गर्भवस्था के इस सुनहरे समय का पूरा मज़ा लें।
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