क्या शिशु को अकेले सोने देना सही हैं?

क्या शिशु को अकेले सोने देना सही हैं?

जब आप अपने परिवार की पीढ़ियों में देखेंगे तो आप जान पाएंगे कि ज्यादातर सभी माएं अपने नवजात शिशु को साथ सुलाना पसंद करती थी परंतु इसके विपरीत इंटरनेट यह बताता है कि शिशु अकेले ज्यादा सुरक्षित सोते हैं। हाल ही में यह स्लोगन जनहित में जारी किया गया था ताकि एस आई डी एस  (SIDS) और एक्सीडेंटल स्मूथरिंग (Accidental Smothering) की बीमारी से बचा जा सके।

 

आपने ऐसे भी सुना होगा कि शिशु को अकेले सोने देने से वे ज्यादा इंडिपेंडेंट बनते है। जो महिलाएं नई-नई माँ बनती है उनके लिए यह सवाल बड़ा कंफ्यूजन कर देने वाला होता है कि वह शिशु को साथ सुलाएं या फिर अकेले? हर मां यही चाहती है कि वह अपने शिशु को बेस्ट से बेस्ट चीज दे तो आपको क्या लगता है कि शिशु को अकेले सोने देना चाहिए या फिर अपनी मां के साथ सोना चाहिए?

 

सिद्धांत क्या कहते हैं?

ऐसे बहुत से अध्ययन है जिनसे यह समझा जा सकता है कि शिशु को अकेले सोने देना चाहिए या फिर अपनी मां के साथ। इसके लिए सी-सेक्शन द्वारा पैदा हुए शिशु पर यह एक्सपेरिमेंट किया गया था। सबसे पहले उन्हें कंबल में लपेट कर अपनी मां की बगल मे सुलाया गया था और दूसरी बार उन्हें मां की छाती पर सुलाया गया था जिसमें उनका अपनी मां के साथ शरीर के जरिए सीधा संपर्क था। आखरी बार शिशु को एक पालने (Bassinet) में अकेले सुलाया गया।

 

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जब शिशु के यह तीनों पैटर्न को ध्यान से देखा गया तो पाया गया कि तीनों पैटर्न में बहुत अंतर है। जो शिशु अकेले सोते थे उनकी स्वायत्त गतिविधियों में बढ़ोतरी पाई गई। उस समय उनका नर्वस सिस्टम ज्यादा सचेत होता था जिससे शिशु को आर ई एम (REM) नींद कम मिलती थी।

 

यह माना जाता है कि जब शिशु अपनी मां के साथ सोते हैं तो उन शिशु में गर्माहट पैदा होती है और वह आराम की नींद सोते हैं। हालांकि ज्यादा शरीर के तापमान का मतलब है ज्यादा स्वायत्त गतिविधियां। तो इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि जो शिशु अपनी मां के साथ सोते हैं, वे ज्यादा आराम से सोते हैं परंतु उनमें स्वाधीनता की कमी होती है। इसलिए शिशु को अकेले सोने देना सही माना गया है।

 

शिशुओं पर कुछ ऐसे टेस्ट भी किए गए जो उनको इनक्यूबेटर (Incubator) में सुलाने में मदद करे। यह देखा गया कि जो शिशु अकेले सोते हैं उनकी कार्डियोवैस्कुलर स्टेबिलिटी कम थी तो इस केस में नवजात शिशु को अकेले सोने देना एक अच्छा विचार नहीं है। यह सारे टेस्ट यह बताते हैं कि सोते समय शिशु को मां से अलग करना एक अच्छा निर्णय नहीं है।

 

पुराने समय से ही शिशु को मां की बगल में सुलाया जाता है। इससे यह भी देखा गया है कि जो माँ किसी कारणवश अपने शिशु को अपने बगल में नहीं सुला पाती है तो उसे शिशु के पिता या कोई अन्य शिशु के साथ सुलाती है। इसलिए यह एक आम बात है और आज भी यही होता है।

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क्या शिशु को अकेले सुनाना एक सुरक्षित और सही विचार है?

ज्यादातर सभी माता-पिता की चिंता का विषय उनके अपने शिशु की सुरक्षा का ही होता है। क्या यह सही है जब आप सो रही हो और आपका शिशु आपके बगल में हो? ऐसा भी तो हो सकता है कि आपके शिशु को आपका हाथ वगैरह लग जाए और शिशु को कोई गहरी चोट लग जाए तो ऐसी कुछ बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए। इसलिये जब आप सो रहे हो और आपका बच्चा आपकी बगल में हो तो आप इन बातों का अवश्य ध्यान रखें।

 

  • आप उस समय अपने शिशु को अपने साथ ना सुलाएं जब आप बहुत ज्यादा थकी हुई हो।
  • आप उस समय भी अपने शिशु को पास ना सुनाएं जब आपने धूम्रपान कर रखा हो या फिर आप नशे में हो या आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो।
  • आप अपने शिशु को छाती पर कभी ना सुलाएं।
  • आप अपने शिशु के साथ ऐसी जगह पर ना सोए जहां उसके गिरने के चांस ज्यादा हो जैसे कुर्सी, सोफा इत्यादि।

 

सबसे अच्छा चुनाव यह हैं कि आप अपने बिस्तर के बगल में एक पालना रख दे।

 

शिशु को अपने कमरे में सुलाना

इसके लिए आप अपने शिशु को प्यार से अपनी छाती पर सुलाएं और ऐसा करते समय आप या तो हल्का सॉफ्ट म्यूजिक लगाएं या फिर खुद ही लोरी गुनगुनाए और जब आपका शिशु सोने वाला हो गया हो तब आप उसे धीरे से उठाकर पालने में सुना दे। उसके बाद थोड़ी देर वही खड़ी होकर देखें कि वह अच्छे से सो गया है या नहीं।

 

आप देखेंगे कि ऐसा करने से आपका शिशु बहुत ही मस्ती और मजे से सो रहा है और जब आपका शिशु अच्छे से सो जाए तब आप खुद को भी आराम देने के लिए थोड़ी देर के लिए सो सकती हैं। शिशु को अलग पालने में सुलाने से आपको भी बेहतर नींद आएगी और आपका शिशु भी अच्छे से सो जाएगा।

 

शिशु को अकेले कब सोना चाहिए?

अब सवाल यह उठता है कि आपको अपने शिशु को अकेले सोने देना कब शुरू करना चाहिए? जब तक आपका बच्चा 4 महीने का नहीं हो जाता तब तक उनकी नींद बहुत कच्ची होती है। इससे उनमें सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम ( एस आई डी एस) का रिस्क कम होता है।

 

जब आपका शिशु बड़ा होने लगता है तो आप पाएंगे कि वह धीरे-धीरे गहरी नींद लेने लगता है और जब वे 6 महीने के हो जाते हैं तो वे सोते समय खर्राटे लेने भी शुरू कर देते हैं और यही सही समय है जब आप अपने शिशु को अकेले पालने में सुलाना शुरू कर सकती है।

 

अगर आप अपने शिशु को अलग कमरे में सुलाना चाहती है तो आप यह कम से कम 9 महीने के बाद शुरू कर सकती हैं। शुरुआत में आप अपने शिशु को दूसरे कमरे मे थोड़ी-थोड़ी देर के लिए सुलाएं। आप अपने शिशु को वैसे ही सुलाएं जैसे आपको ऊपर के स्टेप में बताया गया है।

 

9 महीने से पहले बच्चों को अपने साथ ही सुलाएं। आप चाहे तो बच्चे को पालने या झूले में सुला सकती हैं। ध्यान रखें कि पालना या झूला बेड के पास ही हो।

 

जब आपका बच्चा 12 महीने का हो जाए तब आप उन्हें पूरी रात अकेले सोने दे सकती हैं परंतु उनका पालना जरूर होना चाहिए। आप चाहे तो बेबी मॉनिटर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं जिससे आपको पता चलेगा कि आपका बच्चा कब उठ रहा है और इससे आप अपने शिशु की आवाज भी सुन सकती है।

 

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