क्या आपको पता हैं बच्चे अपनी माँ के गर्भ में भी हँसते व रोते हैं?

क्या आपको पता हैं बच्चे अपनी माँ के गर्भ में भी हँसते व रोते हैं?

अभी तक के अध्ययन में डॉक्टरों द्वारा पता चला है कि बच्चे मां के गर्भ में हंसने, रोने और आंखें झपकाने आदि गतिविधिया करते हैं| वैसे तो बच्चे पेट में और गतिविधियां भी करते हैं जैसे अंगड़ाई लेना, हिचकी लेना इत्यादि| बॉडी स्कैनर द्वारा ली गई तस्वीरें दर्शाती है कि बच्चा जन्म लेने से पहले ही मां के गर्भ में चेहरे के हाव-भाव सीख लेता है|

पहले के अध्ययन से पता चला था कि बच्चे जन्म लेने के बाद अपनी मां से चेहरे से हाव-भाव सीखते हैं| सामान्यता बच्चे जन्म देने के 6 हफ्ते बाद तक हंसना सीखते हैं और इससे यह पता चलता है कि बच्चा मां के गर्भ में कितने शांत व चिंता मुक्त होते हैं|

डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को गर्भ में बच्चे के चेहरे के हाव भाव व आँखे झपकाने का पता नहीं चलता है| 2 डी स्कैनर से बच्चों की आंखों का कोर्निया घूमता दिखता है परंतु 4 डी स्कैनर से आप बच्चों की आंखें झपकते भी देख सकते हैं| बच्चे मां के पेट में सांस लेते हैं परंतु कोई हवा नहीं होती है, आंखें भी झपकाते हैं परंतु कोई रोशनी नहीं होती है, इसका मतलब यह है कि वे जन्म लेने की तैयारी कर रहे हैं|

हालांकि हंसना यह नहीं दर्शाता है कि बच्चा अभी जन्म लेगा बल्कि गर्भ में यह उनके खुश होने का एक तरीका है और वे तब खुश होते हैं जब उनकी मां खुश होती है| अपनी माँ की मुस्कान से शिशु की आंखें चमक उठती है और गाल उभर आते हैं, यह सब बातें बताती है कि बच्चा मां के गर्भ में चिंता मुक्त वातावरण में है|

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बच्चा पेट में क्या-क्या हरकत करता हैं?

क्या आपको पता हैं बच्चे अपनी माँ के गर्भ में भी हँसते व रोते हैं?

बच्चे कुछ हरकते ऐसी करते हैं कि मां महसूस कर सकती हैं और कुछ हरकते ऐसी करते हैं जिन्हें मां महसूस नहीं कर सकती हैं| आइए जानते हैं इन्हें|

#1. 7 से 8 सप्ताह के बीच तक आपका शिशु मां के गर्भ में सामान्य गतिविधियां करना शुरू कर देते हैं जैसे कि एक तरफ मुड़ना और चौंकाना आदि| लेकिन आप इसका अनुभव थोड़े समय के बाद ही कर पाती हैं क्योंकि वे अभी आकार में छोटे होते हैं व आपको इसका अहसास नही हो पाता हैं|

#2. 9 सप्ताह के आसपास में बच्चे हिचकी लेना शुरू कर देते हैं और 10 वें सप्ताह में वे अपना सिर झुका व घुमा सकते हैं और अपना झबड़ा खोल व फैला सकते हैं|

#3. 11 वें सप्ताह में बच्चे जम्हाई या अंगड़ाई भी लेना शुरू कर देते हैं और 14 वे सप्ताह में वे अपनी आंखें घुमा सकते हैं| इन गतिविधियों को आप अल्ट्रासाउंड या स्कैन के दौरान देख सकती हैं|

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#4. जैसे-जैसे मां के गर्भ में बच्चे के सप्ताह गुजरते हैं वैसे-वैसे ही आपके शिशु की गतिविधियां भी धीरे-धीरे बढ़ने लगती हैं| आप यह जान सकती हैं कि आपका बच्चा दिन में अधिक गतिशील रहता हैं या फिर अपने हाथ-पैर की हलचल और कलाबाजियों का प्रदर्शन वह शाम को ज्यादा करता हैं| शिशु शाम के समय ही सबसे ज्यादा हरकतें करते हैं|

#5. 24 से 28 वे सप्ताह में आप अपने बच्चों की हिचकियां महसूस कर सकती हैं| आपको शिशु की हिचकियां धक्का लगना जैसा महसूस कराती हैं| एमनियोटिक थैली में अब करीब 750 मिलीलीटर द्रव्य होता हैं और इससे शिशु अपनी मर्जी से चारों तरफ घूमता रहता हैं|

#6. आप यह भी महसूस कर सकती हैं कि अचानक हुई आवाज से शिशु उछलने लगता हैं क्योंकि वो इससे अचानक से चौंक जाता हैं|

#7. 29 से 32 सप्ताह में बच्चा आकार में बढ़ने लगता हैं इसलिए उसके बढ़ने के साथ-साथ गर्भ में उसे जगह कम पड़ने लगती हैं जिसके कारण शिशु की हलचल में काफी तेजी आने लगती हैं| वह अपनी मां के साथ अपने सारे काम शेयर करते हैं| यदि माँ हंसती व खुश होती हैं तो वह भी खुश होता है और अगर मां रोती है तो वह भी उदास होता हैं या रोने लगता हैं|

#8. कहते हैं कि जब शिशु गर्भ में होता हैं तो मां को धार्मिक और अच्छी बातें सुननी व करनी चाहिए क्योंकि गर्भ में भी शिशु सब सुन सकता हैं| आप इस समय अच्छे संगीत भी सुन सकती हैं लेकिन ध्यान रखिये कि ज्यादा तेज़ आवाज़ में ना सुने क्योंकि इससे शिशु को तकलीफ हो सकती हैं|

#9. 36 सप्ताह तक होते-होते बच्चों की हाथ-पैर की गतिविधियां बढ़ जाती हैं| कई बार तो आप शिशु के नन्हें पैरों की मार से दर्द भी महसूस करती हैं| वह पैर मारकर आपको अपने होने का अहसास करवाना चाहता हैं और कभी-कभी जगह कम पड़ने के कारण भी वह ऐसा करता हैं|

#10. जन्म से कुछ समय पहले तक आमतौर पर सभी शिशु सिर के बल होकर नीचे की ओर जन्म से पहले की मुद्रा में आ जाते हैं और ऐसे समय में आपको बच्चे के आने की बहुत ज्यादा बेसब्री हो जाती हैं|

क्या आपको पता हैं बच्चे अपनी माँ के गर्भ में भी हँसते व रोते हैं?

माँ के गर्भ में हंसना और रोना उनकी अपनी माँ से जुड़ा होता है| जब माँ बहुत खुश होती है तो उसका सकारात्मक असर पड़ता है और वह भी हंसते हैं और यदि वह गर्भावस्था में दुखी रहती है या रोती है तो इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है जो कि नकारात्मक होता है क्योंकि अगर माँ दुखी है तो बच्चा भी दुखी होकर रोयेगा| इसलिए गर्भवती महिलाओं को हर हाल में खुश रहने की सलाह दी जाती है जिससे बच्चा भी स्वस्थ व तंदुरुस्त पैदा हो|

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वैसे देखा जाए तो शिशु आमतौर पर जन्म के बाद मुस्कान नहीं करते हैं बल्कि वह रोते हैं| हंसना वे 6 सप्ताह के बाद ही सीखते हैं लेकिन प्रोफेसर स्टुअर्ट कैंपबेल ने कहा है कि बॉडी स्कैनर का उपयोग करके पकड़े गए चित्रों से यह पता चलता है कि गर्भ में पल रहे शिशु चेहरे की कुछ प्रतिक्रिया बनाते हैं जिससे उनके हंसने व रोने की कला बनती है| यह पकड़े गए चित्रों से साफ पता भी चलता है|

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