टाइफाइड होने पर कैसा हो बच्चों का आहार

टाइफाइड होने पर कैसा हो बच्चों का आहार

हमारे देश में हर साल बहुत से संक्रामक रोग होते हैं जिनमें एक संक्रामक रोग है टाइफाइड जिसे मियादी बुखार या मोतीझर बुखार भी कहते हैं। यह बुखार आंतों को ज्यादा प्रभावित करता है तो इसे आंतरिक बुखार भी कहते हैं।

यह संक्रामक बीमारी लीवर से संबंधित होती है जो सालमोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) नामक जीवाणु से फैलता है। एक अहम बात यह है कि इस बीमारी में अक्सर बच्चों को कुछ भी खाने के बाद उल्टी हो जाती है इसलिए जरूरी है कि टाइफाइड होने पर बच्चों की डाइट का विशेष ख्याल रखा जाए। इस ब्लॉग के माध्यम से हम बच्चों की डाइट (Kids Diet Plan During Typhoid) पर ही विशेष ध्यान देंगे।

यह बुखार 2 साल से लेकर बड़ों तक में हो सकता है। बच्चों में यह बुखार को एक खतरनाक बीमारी के रूप में माना जाता है। ज्यादातर यह बुखार लंबे समय तक चलता है। तो आइए जानते हैं टाइफाइड होने पर बच्चों का आहार (Kids Diet Plan During Typhoid) कैसा होना चाहिए क्योंकि इस बुखार के होने पर परहेज और खान-पान का कुछ ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है।

 

टाइफाइड होने पर बच्चों का आहार (Kids Diet Plan During Typhoid in Hindi)

#1. टाइफाइड होने पर पसीना, उल्टी, दस्त की वजह से आपके बच्चे के शरीर में तरल पदार्थ की कमी होने लगती है। इसलिए आप बच्चों को तरल पदार्थ अधिक मात्रा में दे जैसे कि फलों का रस, सब्जियों का सूप आदि। आप आधे घंटे में कुछ ना कुछ तरल पदार्थ अपने बच्चे को देती रहें। आपको डॉक्टर ओ.आर.एस (ORS) सॉल्यूशन को देने की भी सलाह दे सकते हैं ताकि बच्चे के शरीर में पानी की कमी पूरी हो सके।

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#2. टाइफाइड बुखार होने से बच्चों में चिड़चिड़ापन होने लगता है जिसके कारण उन्हें कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती है। ऐसे में बच्चे में ऊर्जा का स्तर बना रहे और वे ठीक रहे इसके लिए आप अपने बच्चों को खाने-पीने का पूरा ध्यान रखें। आप उन्हें समय-समय पर कुछ ना कुछ खाने को देती रहें ताकि उसे जरुरी पोषण मिलता रहे।

 

#3. टाइफाइड होने पर बच्चों के शरीर में खून की कमी होने लगती है। इसलिए बच्चों को पालक का सूप या जूस बनाकर जरूर दें। पालक में आयरन अधिक होने से खून की कमी पूरी होती है। ताजी हरी सब्जियों का सेवन इस बीमारी में फायदेमंद होता है। ताजे फलों जैसे कि सेब, संतरा आदि का सेवन भी अपने बच्चे को अवश्य कराएं। अगर आपका बच्चा छोटा है तो आप इनका जूस या प्यूरी बनाकर भी उन्हें दे सकती हैं।

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#4. पानी देते समय यह ध्यान रखें कि पानी को फिल्टर करके फिर उसे ठंडा करके ही अपने बच्चे को दे क्योंकि यह बीमारी पानी के माध्यम से ज्यादा फैलती है इसलिए इस चीज का पूरा ध्यान रखें। पानी में ग्लूकोस मिलाकर भी दिया जा सकता है।

 

#5. आप बच्चों को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर भी दे सकती हैं।

 

#6. मूंग दाल जल्दी पच जाती है और टाइफाइड होने पर बच्चों को ऐसे आहार दे जो जल्दी पच सके। इसलिए आप उन्हें मूंग की दाल की या फिर खिचड़ी बना कर दें।

 

#7. टाइफाइड होने पर आप अपने बच्चों को नारियल पानी अवश्य पिलाएं।

 

#8. यदि आपका शिशु स्तनपान करता है तो आप उसे थोड़ी-थोड़ी देर में जितना हो सके स्तनपान करवाएं। इससे आपके बच्चे में रोगों से लड़ने की शक्ति उत्पन्न होती है।

 

#9. घर का बना हुआ साफ गर्म और पोष्टिक आहार बच्चों को दें। टाइफाइड होने पर बच्चों को बाहर का बासी व खुला हुआ खाना खाने को ना दे। स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखें। बच्चों को खाना खिलाने से पहले अच्छे से हाथ को धो लें और फिर ही उसे खाना खिलाएं।

 

#10. आप बच्चों को दलिया, उपमा, पोहा, मूंग दाल, साबूदाना खिचड़ी, हरी सब्जियां आदि सब कुछ अवश्य दें।

 

#11. तले और अधिक मिर्च मसाले वाले आहारो का सेवन इस समय अपने बच्चे को ना करवाएं।

 

#12. ज्यादा गैस बनाने वाले आहार भी आप अपने बच्चे को ना दें।

 

#13. आप बच्चों को खड़े अनाज जैसे चावल, मक्का आदि ना दें। आप उन्हें पपीता व शकरकंद भी ना दे।

 

#14. टाइफाइड होने पर बच्चों को भारी भोजन अथवा बासी भोजन कभी  ना दें।

टाइफाइड सामान्यतया दूषित पानी और भोजन के कारण फैलता है और इसके लक्षण बच्चों में मुश्किल से पहचाने जाते हैं। वैसे भी इसके लक्षण सात से आठ दिन बाद नजर आने लगते हैं। टाइफाइड की शुरुआत हल्का-फुल्का बुखार से होती है जो धीरे-धीरे उच्च ज्वर तक पहुंच जाता है। वैसे यह बुखार सामान्य नहीं रहता है, यह सुबह कम होता है और जैसे-जैसे दिन बढ़ता है वैसे-वैसे इसका ज्वर भी बढ़ने लगता है।

 

टाइफाइड ऐसे स्थानों पर पाया जाता है जहां पर प्रदूषित पानी होता है और गंदगी होती है। बच्चा जब मल त्याग करता है तो बैक्टीरिया पानी में मिल जाते हैं और फिर मक्खियों के इन पर बैठने से इस बीमारी को फैलने में मदद मिलती हैं। टाइफाइड बुखार से बचाने के लिए दो तरह की वैक्सीन दी जाती है जिसमें पहले तरह की वैक्सीन इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है और यह 9 से 12 महीने के शिशु को दिया जाता है। इसके बाद दो बूस्टर खुराक बच्चे को 2 साल और 4 साल से 6 साल का होने पर दी जाती है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप साफ सफाई का और बच्चों के खान-पान का भी पूरा-पूरा ध्यान रखें।

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छह माह से कम के बच्चों में टाइफाइड (Tyhpoid Below Six Month Baby)

यहां यह ध्यान दें कि अगर बच्चा छ्ह माह से कम का है तो बच्चे को बार-बार स्तनपान कराना अनिवार्य है। छह माह से कम के बच्चों को टाइफाइड होने पर डॉक्टर की जल्द से जल्द राय लेनी चाहिए। अक्सर टाइफाइड का पता बुखार होने के छह दिन के बाद पता चलता है इसलिए अगर आपके बच्चे को छह दिन से अधिक बुखार हो तो डॉक्टर से टाइफाइड के विषय में अवश्य राय लेनी चाहिए।

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