अगर आप भी पहली बार करवा चौथ का व्रत कर रही हैं तो आपको निम्न बातों का ज्ञान होना आवश्यक है। सरगी क्या होती है, करवा चौथ की पूजा विधि क्या है, क्या प्रेगनेंसी में करवा चौथ का व्रत कर सकते हैं आदि कई सवालों का जवाब जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े।
साल 2019 में करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर, वीरवार के दिन रखा जाएगा। ये व्रत ज्यादातर उत्तर भारत जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि जगहों पर विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।
करवा चौथ दो शब्दों से मिल कर बना है, करवा और चौथ। इसमें ‘करवा’ का मतलब है मिटटी से बना हुआ बर्तन और ‘चौथ’ का मतलब है चौथा दिन। करवा चौथ को कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं मिट्टी के बर्तन में गेंहू रखती हैं और उन्हें बहुत अच्छे से सजाते हैं। बाद में औरतें एक-दूसरे से मिल कर इन करवों को एक-दूसरे को देती हैं।
ये व्रत महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए निर्जला यानि बिना अन्न और जल का व्रत रखती हैं। करवा चौथ को कई जगह करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी का करवा चौथ में विशेष महत्व होता है। सरगी (Sargi) में मिठाई, फल और मेवे होते हैं, जो उनकी सास उन्हें देती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन पूजा करने के लिए कई जगह बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित किया जाता है और उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। हालांकि कई लोग तस्वीर के माध्यम से भी पूजा करते हैं।
पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। कहते हैं कि करवा चौथ का व्रत कथा के बिना पूर्ण नहीं माना जाता। इसके बाद पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है जो जगह-जगह के हिसाब से बदलते रहते हैं।
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हिंदू धर्न्म के अनुसार महिलाओं को इस दिन अच्छे से तैयार होकर सांयकाल में भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कर्तिकेय, गणेश एवं चंद्रम की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
साल 2019 में का करवाचौथ का पूजा, व्रत और चांद निकलने का मुहूर्त निम्न होगा-
करवाचौथ का व्रत सामान्य व्रत से मुश्किल माना जाता है क्योंकि इसमें आपको पानी भी नहीं पीना होता है। इसलिए आपको ये व्रत रखते हुए अपनी सेहत का भी ख़ास ख्याल रखने की जरुरत होती है, व्रत रखते हुए निम्न बातें ध्यान रखें:
व्रत की तैयारी व्रत के एकदिन पहले से ही शुरू कर दें क्योंकि जरुरी है कि आप खुद को इसके लिए पहले से ही तैयार करें।
जी हाँ, क्योंकि आप अगले पूरे दिन पानी नहीं पियेंगी इसीलिए एक दिन पहले अच्छे से पानी, नींबू पानी आदि पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें।
पहले दिन ज्यादा चीनी या शुगर से बना खाना ना खाएं क्योंकि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने से भूख ज्यादा लगती है और व्रत करने में तकलीफ हो सकती है ।
व्रत से एक रात पहले सुनिश्चित करें कि खाने में कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट उर्जा प्रदान करते हैं। फाइबर युक्त कार्बोहायड्रेट खाएं जैसे कि कार्बोहाइड्रेट का चुनाव ध्यानपूर्वक करें – ज्वार, राई, जई, बाजरा और गेहूं आदि।
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व्रत में सूरज निकलने से पहले सरगी खायी जाती है इसलिए सरगी के समय अच्छे से खाएं। यह ध्यान रखे कि खाने में फल जैसे कि केला, संतरा, अनार, पपीता इत्यादि हों क्योंकि फल फाइबर से भरपूर होते हैं। सरगी के समय होममेड पनीर भी खा सकते हैं। जिससे एक लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी।
व्रत के समय अपने आप को व्यस्त रखे ताकि आपको भूख या प्यास ना लगे। हमारा शरीर 48 घंटों के लिए भोजन के बिना कार्य कर सकता है लेकिन गर्म तापमान में पानी के बिना डिहाइड्रेशन बहुत तेजी से हो सकता है।
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हालाँकि पारंपरिक रूप से भी व्रत को चाँद देखने के बाद पानी पीकर ही पूरा किया जाता है। साथ ही इसका सेहत के दृश्य से भी अहम् फायदा है, बिना पानी पिए आंत अधिक एसिड बनाती है जिससे शरीर सुस्त हो जाता है। इसलिए सबसे पहले पानी पीकर व्रत खोलना अच्छा है।
पूरे दिन व्रत के कारण आपके रक्त में ग्लूकोस की मात्रा कम हो जाती है। अच्छा यह रहेगा कि आप ऐसा भोजन करें जिसमें कार्बोहाइड्रेट हो।
शरीर में ग्लूकोस की मात्रा कम होने के कारण व्रत खोलते ही आपको मीठा खाने या अचानक से ज्यादा खाने का मन कर सकता है पर ध्यान रहे कि एकदम ज्यादा ना खाएं ये सेहत को नुक्सान पहुंचा सकता है।
साथ ही अगर आपको किसी भी तरह की मेडिकल समस्या है या आप प्रेग्नेंट हैं तो डॉक्टर से पूरी तरह सलाह लें और परेशानी होने पर संपर्क करें। अमूमन गर्भावस्था के दौरान और अगर आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो व्रत के स्थान पर आप केवल पूजा कर सकती हैं। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए आप अच्छे से व्रत रख सकती हैं और अपनी सेहत का भी ध्यान रख सकती हैं।
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