माता-पिता के लिए सबसे खुशी की बात तब होती हैं जब उसका बच्चा इस दुनिया में आता हैं और बहुत ही सुंदर और गोल-मटोल पैदा होता हैं। पर अगर वही बच्चा कम वजन और किसी अन्य परेशानी के साथ पैदा होता हैं तो माँ के लिए एक चिंता का विषय बन जाता हैं। माता-पिता की सभी चिंताओं में से एक हैं, जब बच्चों में जन्म के समय कम वजन (Janam ke Samay Kam Vajan ka karan) होता हैं।
जन्म के समय कम वजन का अर्थ हैं कि जो बच्चा जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम वजन का पैदा हुआ हो। एक अध्यन के अनुसार प्रत्येक 500 बच्चों में से लगभग तीन बच्चे का जन्म 2.5 किलो से कम होता हैं। इसका कारण क्या हैं आपने कभी सोचा या जानने की कोशिश की हैं? अगर नहीं तो आइये जानते हैं जन्म के समय बच्चे का कम वजन होने के कारण (Causes for Low Birth Weight) ताकि हम अपने बच्चे एक अच्छे वजन और स्वास्थ्य के साथ इस दुनिया में लाये और आगे चल कर कई बीमारियो से बचा सके।
बच्चों में जन्म के समय कम वजन होने का कारण हैं समय से पहले जन्म लेना जिसे हम प्रीमेच्योर (Premature) बेबी भी कहते हैं। जो बच्चे 37 सप्ताह से पहले पैदा होते हैं उन्हे समय से पहले कहा जाता हैं। चूंकि ये बच्चे माँ के गर्भ में अपना समय और विकास पूरा नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें प्रसवोपरांत नवजात गहन देखभाल कक्ष (एन.आई.सी.यू.) में डॉक्टर अपनी देखरेख में रखते हैं।
बच्चों के जन्म के समय कम वजन (Low Birth Weight) होने का कारण भ्रूण संक्रमण भी हो सकता हैं। विभिन्न परजीवी संक्रमण जो माँ को हो उससे बच्चे पर भी असर पड़ता हैं जैसे की रूबेला, चिकनपॉक्स, साइटोमेगागोवायरस और टॉक्सोप्लाज्मोसिस और जिससे बहुत सारी समस्या होने लगती हैं। बच्चे के विकास में परेशानी होने लगती हैं जिससे जन्म के समय बच्चे का वजन कम होता हैं। इसके अलावा, इन संक्रमणों से बचने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं भी बच्चे के जन्म के समय वजन को प्रभावित कर सकती हैं।
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अगर माँ को प्लेसेंटा previa या prreeclampsia जैसे विभिन्न प्लेसेंटल परेशानी होती हैं, जिससे आवश्यक पोषक तत्वों गर्भ में नहीं जा पाते, जिसके कारण बच्चे के जन्म के समय कम वजन हो सकता हैं। यदि गर्भ में रक्त का संचार सही से नहीं हो पाता तो भी शिशु में बहुत सी विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अगर एक गर्भवती महिला के गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं, तो बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम से भी कम हो सकता हैं। जब गर्भाशय में एक से अधिक बच्चे होते हैं, तो वे गर्भाशय पर अधिक तनाव डालते हैं और उन्हें पोषक तत्व भी सही से नहीं मिल पाते है।
गर्भवती महिलाओं को उचित मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक आराम की आवश्यकता होती हैं, खासकर जब वे प्रसव पीड़ा के करीब होती हैं। गर्भावस्था के दौरान, एक महिला के शरीर में समय के साथ बहुत से बदलाव होने लगते हैं जिससे वो ज्यादा जल्दी थक जाती हैं या फिर उन्हे तनाव होने लगता है। कई गर्भवती महिलाएं अपनी नौकरियां नहीं छोड़ती या फिर डिलीवरी के समय तक काम करती रहती हैं। यह काम महिला के शरीर पर दबाव डाल सकता हैं, इससे साधारण प्रसव में सहायता तो मिलती हैं पर कभी-कभी इस तनाव से बच्चे के विकास पर या वजन पर भी असर पड़ सकता हैं, इसलिए आपको तनाव से दूर रहने की आवश्यकता हैं।
गर्भावस्था के दौरान शराब, नशीली दवाओं और धूम्रपान नहीं लेने की सलाह दी जाती हैं। पर अगर कोई गर्भवती महिला शराब या नशीली दवाओं का सेवन करती हैं, तो यह भ्रूण के पूर्ण विकास पर असर डाल सकती हैं और कुछ जन्म दोष भी पैदा कर सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में भी शराब की खपत करने से भ्रूण के विकास में परेशानी होती हैं। जिससे बच्चे के जन्म के समय वजन कम होना एक कारण बन सकता हैं।
बच्चों के विकास के लिए गर्भवती महिला को आवश्यक पोषक तत्वों को लेने की आवश्यकता होती हैं। जैसे की विटामिन सी मांसपेशियों, हड्डियों और बच्चों के दांतों को विकसित करने में मदद करता हैं और फोलिक एसिड मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी बनाने में मदद करता हैं और इसी तरह एक स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी, मसूर और अनाज में समृद्ध आहार को लेना महत्वपूर्ण हैं। पर जो महिला गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्व का सही से सेवन नहीं करती हैं तो उन्हे भी जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे को जन्म होता हैं।
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गर्भाशय ग्रीवा बच्चे को अंदर सुरक्षित और इन्फेक्शन से दूर रखता हैं। कभी-कभी गर्भाशय ठीक से बंद नहीं हो पाता हैं और जैसे ही बच्चे का आकार बढ़ता हैं, गर्भाशय पर तनाव पड़ने लगता हैं, जिससे समय से पहले दर्द और प्रसव की संभावना बढ़ जाती हैं जिससे बच्चे समय से पहले पैदा हो सकते हैं।
हालांकि, डॉक्टर इस स्थिति का इलाज करते हैं जिसे सिर्क्लेज कहा जाता हैं और गर्भवती महिला को आराम करने का सुझाव भी देते हैं। कभी-कभी गर्भाशय की असामान्यताओं और फाइब्रॉएड भी इसका कारण हो सकते हैं।
बच्चे के जन्म के समय वजन कम होने का कारण माँ के स्वास्थ्य संबंधी समस्या का होना भी हो सकता हैं। महिलाएं, जिनमें रक्तचाप, थायराइड , मधुमेह, गुर्दे की समस्या या हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारी होती हैं, अक्सर समय से पहले डिलीवरी का अनुभव करती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सख्त आहार का पालन करने और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए अत्यधिक सलाह दी जाती हैं। ऐसी महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार काम करना चाहिए।
यदि किसी गर्भवती महिला को पहले प्री-टर्म डिलीवरी हो चुकी हैं, तो दूसरी डिलीवरी में भी इसकी संभावना अधिक हो सकती हैं। इतिहास स्टडीज ने दिखाया हैं कि समय से पहले या कम वजन वाले बच्चे का जन्म अगर किसी महिला को पहले हो चुका हैं तो दूसरे बच्चे में भी इसकी संभावना अधिक हो सकती हैं।
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जन्म के समय कम वजन होने से हर बच्चे पर कई तरीके से प्रभावित कर सकता हैं। किसी को इससे कोई परेशानी भी नहीं होती हैं और किसी बच्चे को इससे कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं। यह निर्भर करता हैं कि कम वजन होने का कारण क्या हैं और क्या बच्चे का जन्म समय से पहले हुआ हैं। जैसे कि:
आपने बहुत बार देखा होगा कि कम वजन वाले बच्चे ज्यादा बुद्धिमान नहीं होते, स्कूल और अन्य श्रेत्रों में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं होता या फिर उनमें कुछ अन्य समस्या जैसे की व्यवहारिक और मानसिक समस्या होती हैं। पर यह कहना मुश्किल हैं कि भविष्य में ये बच्चे कैसा प्रदर्शन करेंगे। कुछ अध्ययनों से पता चला हैं कि कम वजन वाले बच्चे भी अच्छे वजन वाले बच्चे की तरह ही अच्छा प्रदर्शन करते हैं। तो ऐसी मुश्किल का सामना हम क्यो करे। ऐसी परेशानी होने से पहले ही गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य और खानपान का ध्यान रखना चाहिए जिससे ये परेशानी देखने को न मिले।
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