बच्चों के लिए घर पर होली के प्राकृतिक रंग बनाने की विधि

बच्चों के लिए घर पर होली के प्राकृतिक रंग बनाने की विधि

प्राकृतिक रंग या नेचुरल कलर आजकल काफी डिमांड में हैं। छोटे बच्चों के साथ अगर होली खेलनी हैं तो यह और भी अधिक लाभकारी हो जाते हैं। आजकल बाजार में काफी भारी मात्रा में केमिकल युक्त रंग आते हैं जो बच्चों की स्किन पर रेशैज का कारण बन सकते हैं। सिर्फ बच्चों पर ही नहीं आपकी स्किन पर भी इन केमिकल युक्त रंगों का बुरा प्रभाव पड़ता है। केमिकल युक्त रंगों से स्किन के अलावा बालों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। आइयें आज के इस अंक में जानें कि केमिकल युक्त रंगों से बच्चों की स्किन पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है और होली पर इको फ्रेंडली प्राकृतिक रंग कैसे बनाएं (How to make natural holi colour at home)?   होली जिंदगी में रंग भरने का त्यौहार है इसे बदरंग ना बनाएं। होली के मौके को और बेहतरीन बनाने के लिए आप प्राकृतिक या इको फ्रेंडली रंगों (Holi Ke Rang) का प्रयोग कर सकते हैं जो बाजार में आसानी से मिलते हैं। अगर आप घर पर भी बनाना चाहें तो यह बेहद आसान है। आइयें जानते हैं घर पर कैसे बनाएं प्राकृतिक रंग (Natural Holi Color at Home)।  

घर पर प्राकृतिक होली के रंग बनाने की विधि (How to Make Natural Holi Colour at Home in Hindi)

प्राकृतिक हरा रंग बनाने की विधि (Eco Friendly Green Colour -Holi) नेचुरल हरा रंग बनाने के लिए आप मेंहदी का प्रयोग कर सकती हैं। अगर सूखा रंग बनाना है तो मेंहदी पावडर में आटा मिला लें। इसे पानी में मिलाकर भी आप किसी पर डाल सकती हैं। दस चम्मच मेहंदी पावडर को पांच लीटर पानी में घोलें और बच्चों की पिचकारी में डालें। आप चाहें तो धनिया, पालक और पुदीने की पत्तियों को पीसकर पानी में घोल सकती हैं। इसे छानना ना भूलें। इसे भी पढ़ेंः बच्चों के लिए होली के व्यंजन नेचुरल पीला रंग बनाने की विधि (Natural Holi Colour) पीला रंग घर पर काफी आसानी से बनाया जा सकता है। गेंदे के फूल की पत्तियों को कुछ दिन पहले धूप में अच्छे से सूखा लीजिएं। फिर इसे पीस लीजिएं। अगर आवश्यकता लगे तो इसमें बेसन या हल्दी मिलाया जा सकता है। ध्यान रखें हल्दी पावडर घर का पिसा हुआ ही हो क्योंकि पैकेट वाले हल्दी में कई बार एक तीखापन होता है जो त्वचा पर जलन पैदा करता है। आप पीले रंग के लिए मुल्तानी मिट्टी या चंदन पावडर भी प्रयोग में ला सकते हैं। सबसे बेहतर है कि आप हल्दी में मुल्तानी मिट्टी और टेल्कम पावडर मिला लें। गीले रंग के लिए आप हल्दी पावडर को पानी में मिला सकती हैं। संतरी रंग बनाने की विधि (Natural Orange Colour) टेसू (पलाश) के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर बहुत ही सुन्दर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण भी टेसू के फूलों से होली खेलते थे। टेसू के फूल और होली का बेहद पुराना रिश्ता रहा है। संतरी रंग पाने के लिए आप केसर का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसके लिए केसर की कुछ पत्तियों को 2 चम्मच पानी में भीगने के लिए छोड़ दें। फिर उन्हें पीस लें। अपने इच्छानुसार गाढ़ा रंग पाने के लिए धीरे-धीरे पानी मिलाएँ, ताकि ज़्यादा पानी से रंग फीका या हल्का न हो जाए। यह थोड़ा महंगा लेकिन खूशबू से भरपूर एक रंग बनता है। होली के लिए कैसे बनाएं लाल रंग (How to Make Natural Red Holi Colour at Home) प्राकृतिक लाल रंग पाने के लिए आप सूखे लाल चंदन को इस्तेमाल कर सकती हैं। यह लाल रंग का पावडर होता है। जासवंती के फूलों को सूखाकर भी आप लाल रंग बना सकती हैं। लाल चंदन पावडर आसानी से बाजार में मिलता है। इसे भी आप लाल रंग के स्थान पर इस्तेमाल कर सकती हैं। दो चम्मच लाल चंदन पावडर को पांच लीटर पानी में उबाले फिर इसमें इच्छानुसार पानी मिलाकर बच्चों को दें। यह पिचकारी या गुब्बारों में भरने के लिए बेहतर है। अनार के छिलके को सूखाकर या भिगोकर भी आप लाल रंग बना सकती हैं। अनार के छिलके को कम से कम आधा घंटा उबाले और फिर देखिए कितना प्यारा रंग तैयार होता है। एक और बात, सुगंधित लाल रंग चाहिए तो चुकंदर को मिक्सी में पीसकर पानी में मिला दीजिएं। इससे लाल सूर्ख रंग या गाढ़ा गुलाबी रंग मिलता है। इसे भी पढ़ेंः बच्चों के लिए मेवे से बनने वाले 12 व्यंजन प्राकृतिक गुलाबी रंग (Homemade Pink Holi Color) आप गुलाबी रंग के लिए चुकंदर का इस्तेमाल कर सकती हैं। एक चुकंदर को काटकर या पीसकर एक लीटर पानी में रात भर भिगोएं और सुबह इस घोल को अच्छे से उबालकर गाढ़ा कर लें। इसमें जरूरत अनुसार पानी मिलाकर इससे होली खेलें।  

केमिकल युक्त होली के रंगों के बुरे प्रभाव (Harmful Effects of Chemical based Holi Colors)

यह बुरे प्रभाव आपको अपने बच्चों को अवश्य बताने चाहिए ताकि इससे होने वाले दुप्रभावों को समझ सके। होली के दौरान बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त रंगों व गुलालों में लेड ऑक्साइड, डिजल, क्रोमियल आयोडिन (Chromium Iodine) या कॉपर सल्फेट (Copper Sulphate) भी मिला हो सकता है। इसके कारण आपको और आपके बच्चे को निम्न समस्याएं हो सकती हैंः त्वचा समस्याएंः ऐसे रंग स्किन रैशेज का कारण बन सकते हैं। इनसे कई बार चेहरे पर जलन होने लगती है। अगर रंग काफी पूराना है तो यह स्किन रिएक्शन भी कर सकता है। इसके कारण चेहरे पर लाल चकते हो सकते हैं। आंखों की समस्याः केमिकल युक्त रंग अक्सर आंखों में जलन पैदा करते हैं। इससे शाम तक आंखें लाल हो जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन हर साल कई लोगों की आंखों की रोशनी इन रंगों के कारण खत्म हो जाती है। हमारा निवेदन है कि केमिकल युक्त विशेषकर लाल या काले रंगों का प्रयोग आंखों पर बिल्कुल ना करें। सांस संबंधी समस्याः इन गुलाल व रंगों में मौजूद लेड (Lead in Holi Colour) सांसों की समस्या को बढ़ा देता है। इससे अस्थमा आदि होने का खतरा रहता है। नोटः अगर गुलाल केमिकल युक्त है तो उसमें आटा या बेसन (पीले गुलाल में) मिलाकर उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। किसी भी शर्त पर बच्चों को पेंट या किसी ऐसी चीज से होली ना खेलने दें जिससे उनके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचे। इसे भी पढ़ेंः होली के रंग छुड़ाने के आसान तरीके क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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