इस तरह रूबरू कराएं अपनी बच्ची को पीरियड्स से

इस तरह रूबरू कराएं अपनी बच्ची को पीरियड्स से

पीरियड्स को लेकर भारतीय समाज में आज भी संकोच की भावना रहती है। इस प्राकृतिक चीज को लोग काफी बड़ा टैबू समझते हैं। यही वजह है कि कई माता-पिता अपने बच्चों को शुरुआती दौर में इस चीज से रूबरू नहीं कराते जिसके कारण समय आने पर बच्चों को काफी समस्या होती है। शरीर में आने वाले बदलावों से अगर बच्चे रूबरू रहेंगे तो युवावस्था में होनी वाली समस्याओं से बच सकते हैं। बच्चों को पीरियड्स के बारें में सिखाना भी एक ऐसी चीज है जिससे कई माता-पिता शुरुआती दौर में कतराते हैं।

क्यों जरूरी है बच्चों को पीरियड्स से रूबरू कराना

बच्चों को मासिक धर्म या पीरियड्स से रूबरू कराना इसलिए जरूरी है ताकि बड़े होने पर बच्चे किसी दुविधा में ना रहें। इसके साथ बच्चों को अपने शारीरिक बदलावों के बारें में सब पता हो। अगर आप अपनी बच्ची को इन बदलावों से रूबरू नहीं कराएंगे तो संभव है उसे कहीं और से यह जानकारी मिले। साथ में यह भी ध्यान रखिए कि यह बातें जितना अच्छा एक मां बता सकती है उतना कोई नहींं।

कैसे कराएं अपनी बच्ची को पीरियड्स से रूबरू ( How to explain periods to a child in Hindi)

बने अपनी बेटी की सहेली

अगर आपको अपनी बेटी से सभी चीजों के बारें में बात करनी है तो सबसे पहले उससे दोस्ती का रिश्ता बनाएं। हर छोटी-मोटी बात को अपनी बेटी के साथ शेयर करें। दिन में कुछ समय बात करते हुए बिताएं ताकि वह आपसे किसी चीज़ को छुपाएं ना। दस से बारह साल के दौरान आपको अपनी बेटी के साथ एकदम सेहली जैसा व्यवहार करना चाहिए। इस दौरान लड़कियों के शरीर में काफी बदलाव होते हैं।

Read: बच्चों को कैसे बताएं अच्छे व बुरे स्पर्श के बारे में?

मिथकों को तोड़े और खुलकर करें बात

भारत में अक्सर यह कहा जाता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं अशुद्ध हो जाती हैं जो एकदम गलत है। अपनी बच्ची को समझाएं कि यह एक सामान्य बात है जो हर महीने आती है। अपनी बच्ची को पीरियड्स के दौरान किसी खास चीज को करने से मना ना करें।

पहले से ही करें तैयारी

अमूमन दस से बारह साल की आयु में लड़कियों को मासिक धर्म आने शुरु हो जाते हैं। किसी-किसी केस में यह एक दो साल आगे पीछे हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि अगर आप बच्चों को नौ साल के बाद से ही इन बातों को सिखाने के लिए तैयार रहें। आजक टीवी और प्रिंट मीडिया में पैड और माहवारी से जुड़े कई विज्ञापन आते हैं जो आपकी समस्या को आसान बना सकते हैं। आप इन विज्ञापनों का सहारा ले अपनी बच्ची को माहवारी के बारें में सिखा सकती है।

छोटी-छोटी बातों से करें शुरुआत

अपनी बच्ची को पीरियड्स के बारें में बताने से पहले उन्हें स्त्री शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों के बारें में पहले से बताएं। बच्ची को बताएं कि यह पीरियड्स हर महीने 28 दिनों के अंतराल में आएंगे और जिस महीने ना आएं वह इस बात को जरूर शेयर करें। साथ ही पीरियड्स और प्रजनन के बीच संबंध से भी अपनी लाड़ली को रूबरू कराएं।

 

सिखाएं साफ-सफाई की सही विधि

अपनी लाडली को पीरियड्स के साथ रूबरू कराने के बाद उन्हें सबसे पहले यह बताएं कि वह कैसे इस समय खुद को स्वच्छ रख सकती है? उन्हें पैड, सैनिटरी कैप आदि के बारें में जानकारी दें। साथ ही उन्हें गंदे कपड़े इस्तेमाल के नुकसान से भी रूबरू कराएं।

 

सकारात्मक रूख अपनाने की सलाह दें

अक्सर लड़कियां पीरियड्स के शुरुआती दौर में खून देखकर परेशान या बेहोश तक हो जाती हैं। उन्हें यह समझाएं कि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। पीरियड्स में निकलने वाले खून को लेकर अगर उनके मन में कोई भ्रांति है तो उसे भी दूर करें। साथ ही आप अपनी बच्ची को माहवारी से जुड़े लेख या किताबें भी दे सकती हैं।

Read: छुट्टियों में बच्चो को घर पर ही कैसे व्यस्त रखे?

कुछ काउंटर सवालों के लिए रहें तैयार

पीरियड्स हर बार क्यों आते हैं, अगर नियत दिन पर पीरियड नहीं आए तो इसका मतलब प्रेगनेंसी है, जब इतना खून पीरियड्स के दौरान बह जाता है तो शरीर कमजोर नहीं हो जाता, कहीं इतना अधिक ब्लड बहने से मौत तो नहीं हो जाएगी? ऐसे कई सवाल होते हैं जो अक्सर बच्चे काउंटर करते हैं।

अगर सिखाने में देरी हो जाएं तो भी डरें नहीं

अगर आप अपने बच्ची को पीरियड्स से पहले यह सब बातें ना भी बता पाएं तो भी डरें नहीं। कई बार बच्चे एक साथ इतना सारा खून देकर काफी भयभीत हो जाते हैं। अपनी बच्ची को शांति से समझाएं और उसके मन में बैठे हर डर को दूर करें। पीरियड्स के मूड स्विंग होना आम बात होती है। इसलिए ऐसे समय में बच्ची पर गुस्सा ना करें, डार्क चॉक्टेल्स और आइसक्रीम खिलाएं और साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखें।

इसे भी पढ़ें: बच्चो को स्कूल भेजते समय माँ को इन 5 बातो का जरुर ध्यान रखना चाहिए

क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

null

null