दिल्ली प्रदूषणः कैसे कर रहा है आपके बच्चे को प्रभावित

दिल्ली प्रदूषणः कैसे कर रहा है आपके बच्चे को प्रभावित

क्या आपके बच्चे को आज लगातार खांसी-जुकाम रहता है? क्या उसकी आंखों से आजकल पानी आना शुरु हो गया है? क्या जिन सफेद कपड़ों को आप छत पर सूखने के लिए छोड़ती हैं वह थोड़ी देर बाद काले लगने लगते हैं? क्या आपका बच्चा आजकल खेलने के बाद ज्यादा भारी सांसे लेता है? अगर हां तो इन सबका कारण है दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर। आपको खबर भी नहीं होगी कि यह प्रदूषण आपके प्यारे बच्चों को किस कदर नुकसान पहुंचा सकता है? यह बढ़ता प्रदूषण उस छुपे चोर कि तरह है जो कब स्वास्थ्य के खजाने को लूट ले जाएगा किसी को पता ही चलता।

प्रदूषण हमारे देश की मुख्य समस्याओं में से एक है और इस मामले में देश की राजधानी दिल्ली सबसे आगे है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर स्तर तक पहुँच चुका है, जिसमें नियंत्रण के लिए सरकार कई नए निर्णय ले रही है। सर्दियों का मौसम आते हैं वायु प्रदूषण का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है। इस प्रदूषण का असर बच्चों पर अधिक पड़ रहा है यही नहीं यह प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर रहा है। दिल्ली में रह रहा हर एक बच्चा साँस के माध्यम से हवा नहीं बल्कि ज़हर अपने अंदर ले जा रहा है।

आंकड़ों से जानें क्यों है खतरनाक दिल्ली की हवा आपके बच्चे के लिए (Pollution Facts)

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में भारत में पांच साल से छोटे करीब एक लाख बच्चों की मौत खराब हवा और सांस की अन्य बिमारियों के कारण हुई। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब एक लाख से ज्यादा बच्चे इस खराब हवा की चपेट में आने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं तो हालात कितने बुरे हैं। यह आंकड़ा हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी बहुत बुरा है। प्रदूषण का यह स्तर आपके पांच साल से छोटे बच्चों के लिए एक साइलेंट किलर है।

 

क्या है दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण ? (Reason for rising pollution in Delhi)

एक स्टडी के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या हर साल चार लाख बढ़ जाती है। साल 1951 में इसकी जनसंख्या 17 लाख थी जो साल 1991 में बढ़कर एक करोड़ हो गयी। यहाँ हर साल दूसरे राज्यों से लाखों लोग रोजगार की तलाश में या पढ़ाई आदि के लिए यहाँ आते हैं और इसके बाद वो यही के हो कर रह जाते हैं। आबादी का बढ़ना यहाँ के प्रदूषण का एक कारण है इसके अलावा कुछ अन्य मुख्य कारण भी हैं जिसके कारण दिल्ली का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। दिल्ली में बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं।

1) पराली के जलने से निकला धुआँ (Smoke from Parali)

दिल्ली हरियाणा और पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों से जुड़ा हुआ है और सर्दियों के आते ही पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी धान की फसल को काटते है। इस सुखी फसल को ऊपर से काटा जाता हैं और फसल के नीचे वाले हिस्से वो खेतों में ही जला देते हैं जिसे पराली कहा जाता है। इसे जलाने से भयंकर वायु प्रदूषण होता है जो सबसे अधिक दिल्ली को प्रभावित करता है।

2) पटाखे (Crackers)

सर्दियां आने पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है और दिवाली के समय चलाए जाने वाले पटाखे भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं।

3) गाड़ियों का प्रदूषण (Vehicle’s Pollution)

दिल्ली के 41 प्रतिशत प्रदूषण का कारण दिल्ली में चलने वाली गाड़ियां हैं। डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण की बड़ी वजह है। इसके साथ ही दिल्ली और उसके आसपास की फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआँ और घर में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे AC से निकलने वाला धुआँ आदि भी वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।

 

पिछले साल दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी ने पूरे शहर में कुछ उपकरण लगाए थे ताकि शहर की वायु की गुणवत्ता की निगरानी की जाए लेकिन उसके परिणाम चौंका देने वाले थे। दिल्ली के कुछ इलाकों में प्रदूषण इस प्रकार था।

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दरअसल हवा में PM (पर्टिकुलेट मैटर ) 2.5 और PM 10 के कण होते हैं जिनके कारण वायु प्रदूषण होता है। इनमें PM 2.5 हवा के सबसे छोटे कण होते हैं जो अगर मनुष्य के शरीर में चले जाए तो उसका परिणाम बेहद भयंकर हो सकता है। दिल्ली की हवा में PM 2.5 के कण सबसे अधिक पाए गए हैं। PM 2.5 का हवा में सामान्य लेवल 60 एमजीसीएम होना चाहिए जो दिल्ली में 300 से 400 तक पहुँच चुका है जो सामान्य से कई गुना अधिक है ऐसे ही PM 10 का स्तर भी सामान्य से बहुत ज्यादा है।

 

वायु प्रदूषण से बच्चों को होने वाली समस्याएं (How Does Pollution Affect Your Child’s Health?)

प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ता है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों के मुकाबले कम होती है ऐसे में अगर बच्चा प्रदूषित वातावरण में रहता है तो उसे साँस लेने में परेशानी हो सकती है और यह समस्या जीवन भर उसका पीछा नहीं छोड़ती, इसके साथ ही अत्यधिक खांसी भी बच्चों को परेशान कर सकती है। साँस का तेज चलना या सांस लेते समय सिटी की आवाज़ आना भी प्रदूषण से प्रभावित बच्चों के लक्षण हैं। प्रदूषण भरे वातावरण में सांस लेने के कारण बच्चों में अस्थमा तथा साँस संबंधी बीमारियों का जोखिम अधिक बना रहता है।

दिमाग पर असर (Effect on Brain)

प्रदूषण खासतौर पर वायु प्रदूषण बच्चे के शरीर को ही नहीं बल्कि इसके दिमाग को भी प्रभावित करता है। इस के कारण बच्चे का दिमाग सही से विकास नहीं कर पाता जिससे कई मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। एक शोध में भी यह भी पाया गया है कि जो बच्चे साफ़ हवा में साँस लेते हैं उनका दिमाग प्रदूषण में रहने वाले बच्चों से बेहतर तरीके से काम करता है। इस शोध में यह भी बताया गया है कि प्रदूषण से बच्चों के मस्तिष्क के टिशू को हानि पहुँचती है जिसका प्रभाव बच्चे की पढ़ाई पर पड़ता है।

खराब फेफड़े (Effect on Lungs)

वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों के फेफड़ों पर पड़ता है। वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों के विकास को रोकता है जिसका प्रभाव फेफड़ों की कार्यक्षमता पर पड़ता है।

एलर्जी (Allergy)

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और लगातार प्रदूषण में रहने से उनकी यह क्षमता नष्ट हो सकती है जिसके कारण बच्चों को कई घातक रोगों का सामना करना पड़ सकता है जैसे आजकल छोटी उम्र में ही बच्चों को एलर्जी हो जाती है। अगर इन रोगों का सही इलाज न हो तो पूरी उम्र इन से छुटकारा नहीं मिलता। इसके साथ ही बच्चों को आँखों में जलन, नाक का बहना, छाती में दर्द य जुकाम जैसी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक (Dangerous to Womb)

डॉक्टरों के अनुसार इस बढ़ते प्रदूषण का असर न केवल बच्चों पर बल्कि बच्चे गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होता है। इस प्रदूषण की वजह से गर्भ में शिशु का विकास सही से नहीं हो पाता, शिशु का वजन कम होता है या कभी-कभी इस प्रदूषण के कारण गर्भपात का भी खतरा बना रहता है।

 

 

बच्चों का कैसे करें बचाव (How to Protect Children from Pollution)

बच्चे को घर में रहने दें (Keep them Inside)
सुबह और शाम को वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होती है ऐसे में अपने बच्चे को जितना हो सके घर में ही रखें। अगर घर से बाहर निकलना ही हो तो दोपहर और शाम के बीच में जाने दें, जिस समय धुप निकली हो। बाहर जाते समय ध्यान रहें वो पूरी तरह से कवर हो।

 

मास्क का करें प्रयोग (Use Masks)

अपने और अपने परिवार के हर सदस्य के लिए अच्छे मास्क खरीदें और उन्हें लगा कर रखें खासतौर पर अगर बाहर जाना हो। सस्ते मास्क की जगह ऐसे मास्क को लगाएं जिनमें कार्बन फिल्टर लेयर हो और जो अच्छे से उनके नाक, मुँह या चेहरे को अच्छे से ढक दें। आप एन 95 मास्क (N 95 Mask) का ही प्रयोग करें जो 95 प्रतिशत एयर पार्टिक्ल्स को दूर करने में सक्षम है। सके साथ ही अपनी आँखों को भी ढक कर ही बाहर निकलें।

 

खाने का रखें ध्यान (Healthy Food)

बच्चों को पौष्टिक खान खिलाएं जैसे हरी सब्जियां या फल खासतौर पर जिनमें विटामिन A और विटामिन C हो। ऐसा खाना बच्चे का प्रदूषण से बचाव कर सकता है। ऐसा माना गया है कि ब्रॉक्ली का नियमित सेवन करने से बच्चे या वयस्क फेफड़ों की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों को अधिक प्रभावित करता है ऐसे में उससे बचाव के लिए उसे ब्रॉक्ली खाने को दें। इसके साथ ही बच्चे के शरीर में पानी की कमी न होने दें, उनके शरीर को हाइड्रेट रखें। बच्चों को ऐसी चीज़ें खिलाएं जो उन्हें आसानी से पच जाएं, बाहर का कुछ भी न खाने दें।

 

एयर फ़िल्टर (Air Filter)

अगर आप चाहे हो कोई एयर फ़िल्टर भी खरीद सकते हैं जो आपके घर की हवा को साफ़ करके आपके बच्चे को हानिकारक वायु से बचाएगा।

 

पौधे (Plants)

पौधे प्रदूषित हवा को साफ़ करते हैं इसलिए अपने घर में इंडोर प्लांट्स लगाएं जैसे मनी प्लांट, पीस लिलि, फैलेमिंगो फ्लॉवर आदि। इनसे भी प्रदूषण का प्रभाव कम होगा।

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