बच्चे को जन्म के बाद ब्रेस्टफीडिंग करवाना है या नहीं ये पूरी तरह से नई माँ का निर्णय होता है। ये निर्णय कई अन्य चीजों पर भी निर्भर करता है। जैसे कि महिला का स्वास्थ्य, उसकी जीवन शैली, स्तनों में दूध की मात्रा आदि। फिर भी अगर एक महिला हर स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्तनपान करवाने में सहज है, समर्थ है तो डॉक्टर्स ब्रेस्टफीडिंग की सलाह देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पहले छ: महीनों तक माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोतम आहार है। इसके अलावा एएपी (अमेरिकन बाल रोग अकादमी) के अनुसार माँ का दूध विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है और पहले 6 महीनों तक माँ का दूध पीने से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास बहुत अच्छे से होता है।
जब भी आपको लगे कि शिशु स्तनपान करना चाहता है, तो उसे स्तनपान कराएं। जितनी देर तक वह स्तनपान करना चाहे, उसे करने दें। इसे बेबी लेड फीडिंग या डिमांड फीडिंग कहा जाता है। और यह अधिकांश बच्चों के मामलों में सही काम करता है।
शुरुआती दिनों और हफ्तो में बच्चा दिन और रात में बार-बार उठकर दूध पीता है क्योंकि नवजात शिशु का पेट बहुत छोटा होता है और वो एक बार में बहुत कम दूध पी सकता है। वह आपका स्तनदूध आसानी से पचा लेता है और जल्दी ही भूखा हो जाता है। इसलिए वह बार-बार स्तनपान करना चाहता है।
जन्म के शुरुआती कुछ दिनों बाद अधिकांश शिशु पूरे दिन में 8 से 10 बार स्तनपान करते हैं। इसके अलावा भी डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपको शिशु को कितनी बार स्तनपान करवाना चाहिए। आमतौर पर हर दो या तीन घंटों में स्तनपान करवाने की सलाह दी जाती है, फिर चाहे इसके लिए शिशु को गहरी नींद से जगाकर स्तनपान क्यों न करवाना हो।
नवजात बच्चे को स्तनपान इस तरह से फायदा करता है-
और साथ ही ध्यान रखें कि नवजात बच्चों को स्तनपान करवाने से केवल बच्चों को ही नहीं माँओं को भी बहुत लाभ होते हैं। जिसमें से सबसे बड़ा है कि स्तनपान महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम करता है।
ब्रेस्टफीडिंग कैसे बचाता है ब्रेस्ट कैंसर से
रिसर्च के अनुसार जो महिलाएं बच्चों को स्तनपान करवाती हैं उनमें प्री या पोस्ट मेनोपॉजल कैंसर का खतरा कम हो जाता है, और इसके अलावा अगर आप 6 महीने से ज्यादा बच्चे को दूध पिलाती हैं तो ये कैंसर बचाव में और सहायक है।
जो माँएं 12 महीने से ज्यादा बच्चों को स्तनपान करवाती हैं उनमें ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का खतरा अन्य के मुकाबले 28 % तक कम हो जाता है।
इसका मुख्य कारण है कि लगभग सभी महिलाओं को स्तनपान के समय हॉर्मोन्स में बदलाव आता है, जिसके कारण स्तनपान के समय मासिक धर्म चक्र में देरी हो जाती है ऐसा होने से महिलाएं एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन शरीर में निर्मित नहीं होते हैं, यही हॉर्मोन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर कोशिका के विकास को बढ़ावा देता है, इस प्रकार स्तनपान करवाने वाली माँओं में कैंसर का रिस्क कम रहता है।
इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग आपके ब्रेस्ट के खराब या क्षतिग्रस्त उत्तकों को भी हटाता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान महिला के साथ साथ बच्चों में भी कैंसर होने का खतरा कम होता है।
स्तनपान न केवल स्तन कैंसर के जोखिम को कम करता है, बल्कि मां को उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बिमारियों से भी दूर रखता है।
स्तनपान करवाने से माँ को फायदे
इन सब के अलावा और भी बहुत सी चीजें हैं जिन में स्तनपान माँ की मदद करता है।
इसलिए जितना हो सके बच्चों को माँ का दूध जरूर पिलायें, ये माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी भी है और फायदेमंद भी।
(यह लेख प्रेगा न्यूज द्वारा प्रायोजित है। Mankind’s प्रेगा न्यूज एक प्रमुख प्रेगनेंसी डिटेक्शन कार्ड है। अधिक जानकारी के लिए लॉग इन करेंः www.preganews.com)
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