बच्चों का हकलाना और इसे दूर करने के घरेलू उपाय

बच्चों का हकलाना और इसे दूर करने के घरेलू उपाय

हकलाना विशेष रूप से छोटे बच्चों में आम बात है। अधिकांश छोटे बच्चों में हकलाना बिना किसी उपचार के दूर हो जाता है परंतु जब यह हकलाने की समस्या बड़े बच्चों या व्यस्को में हो तो यह जल्दी से दूर नहीं होती है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की लगभग 1.5 प्रतिशत आबादी इस विकार से प्रभावित होती है। हकलाने का इलाज हर पीड़ित शख्स के लिए अलग-अलग होता है। जरूरी नहीं है कि अगर कोई उपाय आप पर काम कर रहा हो वह किसी बच्चे पर भी करें। इसके लिए पीड़ित की आयु, अवस्था और कई अन्य कारक महत्वपूर्ण होते हैं। हकलाने को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय (Home Remedies for Stammering or Haklana in Hindi) भी हैं। आइयें इस लेख में हम हकलाने से संबंधित सभी आयामों पर नजर डालें। यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि हकलाने का क्या कारण होता है। अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कई कारणों के संयोजन से होता है जैसे शारीरिक न्यूरोलॉजिकल, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण। स्पष्ट रूप से हकलाने का इलाज एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होता है। Read: ज्यादा चिड़चिड़े बच्चों को संभालने के 10 टिप्स

हकलाना क्या है? (What is Stammering in Hindi)

जब कोई व्यक्ति रुक-रुक कर या अटक कर बोलता है तो उसे हकलाना कहा जाता है। अधिकांश लोग हकलाने और तुतलाने को समान मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। इन दोनों में बहुत अंतर होता है। हकलाने की समस्या में एक प्रकार की अनैच्छिक रुकावट होती है या यूं कहे एक शब्द को बोलने के लिए बोलने के दौरान काफी जोर लगाना पड़ता है। यह समस्या आम तौर पर तब होती है जब आप बी, डी, जी और टी से संबंधित शब्द बोलते हैं।

हकलाने की उम्र (Age for Stammering)

हकलाने (Haklane) की समस्या आम तौर पर बचपन में देखने को ज्यादा मिलती है। यह समस्या 3 साल से 7 साल के बीच होती है परंतु हकलाना तब चिंता का विषय बन जाता है जब यह समस्या 10 वर्ष की उम्र तक भी ठीक नहीं होती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक 4 बच्चों में से एक बच्चा इस समस्या से पीड़ित होता है।

हकलाने का प्रभाव (Effects of Stammering in Hindi)

अगर बच्चा बचपन में हकलाता है तो कोई बड़ी बात नहीं होती है परंतु अगर वह बड़ा हो जाता है और तब भी हकआता है तो यह गंभीर समस्या बन जाती है। अगर हकलाना लंबे समय तक रहता है तो बच्चों पर सामाजिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है। हकलाने से बच्चों का आत्म-विश्वास भी कम होता रहता है और साथ ही बच्चे स्कूल में, दोस्तो और समाज के बीच मजाक का विषय भी बन जाता है।

हकलाने के लक्षण (Symptoms of Stammering in Hindi)

हकलाने में बच्चे बोलते समय अपनी बात को अटक कर या थोड़ी देर में रुककर बोलता है क्योंकि बोलते समय बच्चों की ध्वनी अवरुद्ध हो जाती है। इतना ही नहीं वह पूरा वाक्य बोलने में थोड़ा समय भी लगाता है। जब वह बोलने का प्रयास करता है तब इस प्रयास में उसके होंठ, जीभ एवं जबड़े भी हिलते रहते हैं, मुंह खुला का खुला रह जाता है लेकिन आवाज नहीं निकलती हैं। इस समय बच्चे कई बार बोलते समय आंखों को तेजी से मिचते भी हैं। Read: बच्चे को प्रकृति से जोड़ने के 5 अनूठे तरीके व उसका महत्त्व

हकलाने के कारण (Causes of Stammering in Hindi)

#1. कभी-कभी नर्वस सिस्टम में खराबी आ जाने से बोलचाल में हकलाहट आ जाती है तो कभी-कभी अचानक कोई सदमा लगने से भी बच्चे हकलाने लगते हैं। #2. बोलने के अंगों की मांसपेशियों को नियंत्रण करने में असमर्थता या फिर उन अंगों में बाधा पहुंचाना भी इसका एक कारण है। #3. न्यूरोमस्कुलर संबंधित समस्याएं भी इसका एक मुख्य कारण है। #4. होठों को चलाने में कठिनाई का अनुभव करना। #5. तनाव, चिंता, उत्तेजना और घबराहट के कारण भी बच्चे हकलाने लगते हैं। #6. कुछ बच्चे बचपन से ही हकलाते हैं। अगर घर में कोई हमउम्र का या फिर कोई बड़ा व्यक्ति हकआता है तो उसकी नकल उतारते-उतारते बच्चों को इसकी आदत पड़ सकती है। #7. हकलाहट वंशानुगत के कारण भी बच्चों में हो सकती है।

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हकलाहट को दूर करने के लिए कुछ टिप्स (Tips to Stops Haklana)

विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक समस्या है कोई बीमारी नहीं है। आइए जानें कुछ टिप्स के बारे में जिससे बच्चों के हकलाने की समस्या को दूर किया जा सकता है: #1. हकलाना दूर करने के लिए आप अपने बच्चों को किसी स्पीच थैरेपिस्ट की ट्रेनिंग लेने को भेजें। इसका लगातार अभ्यास करने से बच्चों में हकलाहट कम हो सकती है। #2. परिवार का सहयोग हकलाहट के उपचार में बहुत सहायक हो सकता है। परिवार के सदस्यों को बच्चों का तनाव दूर रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। #3. जब कोई बच्चा हकआता है तो उसके साथ कठोरता से पेश नहीं आ करके, प्यार से पेश आए तो ज्यादा बेहतर रहता है। #4. हकलाने वाले बच्चे की बात पूरे धैर्य पूर्वक होकर सुननी चाहिए। #5. किसी और को शब्द या वाक्य पूरा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बच्चों को ही उस शब्द या वाक्य को पूरा करने का प्रयास करने देना चाहिए। #6. बच्चों में आत्मविश्वास और हिम्मत दोनों ही बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए। #7. जब भी बच्चा घबराहट महसूस करें तब उसे गहरी सांस लेकर अपने आप को शांत बनाए रखने के लिए कहना चाहिए। माता पिता को चाहिए कि इस अवस्था में बच्चे के साथ कोई जोर जबरदस्ती ना करें बल्कि घर का वातावरण शांत और खुशी का रखें। बच्चे को अपनी बात कहने के लिए प्रेरित करें और इन सब बातों के साथ-साथ कुछ घरेलू उपचार भी है जो हकलाने की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसे भी पढ़ें: बच्चो को स्कूल भेजते समय माँ को इन 5 बातो का जरुर ध्यान रखना चाहिए

बच्चों में हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Stammering in Hindi)

अगर बच्चे में आत्मविश्वास व धैर्य हो तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसमें समय अवश्य लग सकता है परंतु ठीक होने का यह सही रास्ता हो सकता है। आइयें जानें हकलाने को दूर करने के कुछ घरेलू उपाय (Home Remedies for Stammering in Hindi)। #1. बच्चे को प्रतिदिन दो गिलास गुनगुना पानी सुबह-सुबह खाली पेट पीना चाहिए। #2. हकलाहट को दूर करने के लिए व्यायाम एक अच्छा उपाय है। व्यायाम के द्वारा बोलने में काम आने वाले अंग जैसे जीभ, होंठ, जबड़े, फेफड़े और गले को ताकत मिलती हो, ऐसे व्यायाम हर रोज अपने बच्चे को करवाने चाहिए। #3. सात गिरी बादाम और सात काली मिर्च को पीसकर अच्छे से उसकी चटनी बना लें। अब इसमें थोड़ी सी मिश्री डालकर मिला ले। इसे हर रोज खाली पेट अपने बच्चे को चटाने से हकलाने की समस्या दूर हो सकती है। #4. दिन में दो बार दो काली मिर्च मुंह में रखकर अपने बच्चों को चूसने के लिए दें। यह उपाय थोड़ा लंबा है परंतु इससे हकलाने की समस्या ठीक हो सकती है। #5. प्रतिदिन अपने बच्चों को एक हरा ताजा आंवला चबाने को दें। अगर वह प्रतिदिन एक आवंला चबाता है तो उसकी यह समस्या दूर हो जाएगी। #6. आप अपने बच्चों को शेर की तरह दोनों हाथ आगे रखकर जोर से दहाड़ लगवाए। यह उससे प्रतिदिन 20 से 30 बार करवाएं। इससे उसका गला साफ हो जाएगा और हकलाने की समस्या से काफी राहत मिलेगी। #7. वच मीठी, कुठ मीठी, असगंध और छोटी पीपल समान मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से 1 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन एक चम्मच शहद में मिलाकर अपने बच्चे को चटाए। दिन में एक बार इसका उपयोग करने से हकलाना ठीक हो सकता है। #8. एक चम्मच सौंफ को कूटकर एक गिलास पानी में उबालें। जब यह पानी उबलकर आधा रह जाए तब इसे छानकर इसमें मिश्री और एक कप गाय का दूध मिलाकर अपने बच्चे को पिलाये। रोजाना रात को सोते समय इसे करने से हकलाने की समस्या से राहत मिलती है। #9. तेज आवाज में बोल-बोल कर कुछ लिखा हुआ अपने बच्चे को पढवाए। साथ में उसे यह जल्दी-जल्दी पढ़ने की कोशिश भी करवाए। चाहे वह कुछ शब्दों को गलत ही बोले परंतु आप उसकी गति पर ध्यान दें। यह आप उसे अपने सामने खड़ा करवाकर या आईने के सामने खड़े करवाकर अभ्यास करने को कहें। दो-तीन महीने इस प्रकार का अभ्यास करने से किसी भी शब्द पर अटकना कम हो सकता है। #10. प्रतिदिन 10 से 15 बार ॐ शब्द का उच्चारण सुबह व शाम अपने बच्चे को करवाएं। इसके लिए पहले अपने बच्चे का मन शांत करें और फिर उसे पालथी मारकर बैठने को कहे। उसके बाद उसके दोनों हाथ सीधे पैर के घुटने पर टिका दे और फिर आंखें बंद करके गहरी सांस दिलवाए। उसके बाद जितना लंबा हो उससे ॐ शब्द का उच्चारण करवाए। आप अपने बच्चे को यह कोशिश करवाए कि ॐ का उच्चारण नाभि से शुरू होकर उसके गले तक हो। इससे हकलाने की समस्या को दूर करने में बहुत राहत मिलती है। Read: यह 10 बातें बच्चों को आज से ही सिखाना शुरु करें हकलाने की समस्या किसी बच्चे में हो या बड़े में, हम सब का कर्तव्य है कि हमें उसकी इस समस्या का परिहास ना करके बल्कि उसकी हिम्मत और आत्मविश्वास को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। यही समस्या का सबसे बड़ा उपचार है। क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने| यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे|

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