प्रेगनेंसी में ना भूले एड्स का टेस्ट करवाना

प्रेगनेंसी में ना भूले एड्स का टेस्ट करवाना

एड्स फैलने का एक मुख्य कारण प्रभावित गर्भवती माँ से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंचना भी है। एड्स एक जानलेवा बीमारी है। जिसके होने से रोगी की प्रतिरोधक क्षमता बिलकुल ख़त्म हो जाती है जिसके कारण उसे कोई भी रोग बहुत आसानी से लग जाता है। एड्स एच.आई.वी.यानी ह्यूमनइम्यूनो डेफिशियेन्सी वायरस के कारण फैलता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है और कुछ सावधानियां ही इससे बचाव कर सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इसका टेस्ट (HIV AIDS Test During Pregnancy) कराना बेहद आवश्यक है, जानिए इस बारे में विस्तार से।

 

क्यों खतरनाक बीमारी है एड्स (Why Aids is Dangerous Disease)
एड्स की तीन स्टेज होती हैं। इसकी शुरुआती स्टेज को ऐक्यूट इन्फेक्शन कहा जाता है। इस स्टेज में सामने आने वाले लक्षण एक आम वायरल जैसे होते हैं जैसे बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना या कमज़ोरी आना आदि लेकिन इसके बाद मनुष्य बिलकुल स्वस्थ हो जाता है। इसकी दूसरी स्टेज को असिम्प्टोमटिक एच आई वी कहा जाता है और इस स्टेज की अवधि कई बार बीस साल भी अधिक हो सकती है और कई बार इस स्टेज में रोगी को कोई भी समस्या नहीं होती है लेकिन रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। इस रोग की आखिरी स्टेज बेहद भयंकर होती है जहाँ रोगी को कोई भी रोग बहुत जल्दी लग जाता है जो उसकी मौत का कारण सकता है। एड्स से बचने की कोई दवाई उपलब्ध नहीं है। कुछ दवाईयां एच आई वी के वायरस को कम कर सकती हैं या इसको बढ़ने से रोकने की अवधि बढ़ा सकती है लेकिन पूरी तरह से यह ख़त्म नहीं हो सकता इसलिए इस रोग को बेहद खतरनाक माना गया है।

 

प्रेगनेंसी में क्यों जरूरी है एड्स का टेस्ट (HIV AIDS Test During Pregnancy in Hindi)

#1. शिशु पर प्रभाव (Effect on baby)
अगर गर्भवती महिला HIV वायरस से प्रभावित है तो उसके गर्भ में पल रहे शिशु तक यह रोग बहुत आसानी तक पहुँच सकता है, इसलिए गर्भधारण करने से पहले या गर्भधारण करने के बाद एड्स का टेस्ट कराना बेहद जरूरी है ताकि शिशु को इसके प्रभाव से बचाया जाए।

#2. दवाईयां (Medicines)
गर्भवती महिला अपना एड्स टेस्ट और समय पर अपना इलाज करा के अपने शिशु को इस बीमारी से बचा सकती है और इसके लिए महिला का जागरूक होना बेहद आवश्यक है। अगर महिला संक्रमित है तो उसे उसके प्रसव तक दवाईयां दी जाती हैं ताकि गर्भ में पल रहे शिशु पर इसका प्रभाव न पड़े। इस दौरान जो दवाईयां दी जाती ही उससे गर्भ में पल रहे शिशु को कोई खतरा नहीं होता और शिशु के लिए सुरक्षित होती हैं।

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#3. प्रसार की कम संभावना (Less chance of spreading)
गर्भावस्था, शिशु को जन्म देते समय या स्तनपान के दौरान यह संभावना अधिक बढ़ जाती है कि पीड़ित महिला से यह संक्रमण शिशु तक पहुंचे और शिशु भी संक्रमित हो। अगर गर्भावस्था के दौरान एच आई वी टेस्ट नहीं कराया जाता है और इस से सम्बन्धित प्रयास नहीं किया जाते हैं तो इसके प्रसार की संभावना 45% तक होती ही लेकिन अगर टेस्ट करवा कर एच.आई.वी की पुष्टि हो जाती ही और पूरे प्रयास किये जाते हैं तो यह दर पांच प्रतिशत से भी कम हो जाती है।

 

#4. स्तनपान (Breastfeeding)
स्तनपान के दौरान भी संक्रमित माँ से यह वायरस शिशु तक पहुँच सकता है इसलिए संक्रमित माँ को गर्भावस्था के दौरान एच आई वी का टेस्ट अवश्य कराना चाहिए ताकि उचित उपाय किये जा सके। अगर माँ संक्रमित है और टेस्ट द्वारा इस बात की पुष्टि हो चुकी है तो एक्सपर्ट्स सेफ ब्रेस्ट मिल्क के प्रयोग की सलाह देते हैं।

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#5. उचित उपचार (Proper Treatment)
अगर आपने गर्भावस्था के दौरान एच.आई.वी. टेस्ट कराया है और उसका परिणाम पाजीटिव है, तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें। इससे गर्भावस्था के दौरान आपको सही देखभाल प्राप्त होगी और एंटी-रेट्रोवायरल दवाइयों से आपका उपचार शुरू हो सकता है जिससे शिशु तक संक्रमण पहुंचने की संभावना काफी कम हो सकती है। अगर गर्भावस्था के अंतिम महीनों में आपको पता चलता है कि आप एच.आई.वी. पाजीटिव हैं, तब भी शिशु को इस संक्रमण से बचाने के लिए आपातकाल उपचार शुरू किया जा सकता है।

 

#6. प्रसव (Delivery)
अगर माँ संक्रमित है और नियमित टेस्ट कराया जा रहे हैं तो माँ में विषाणुओं का स्तर कम है या अधिक, इस बात का आसानी से पता चल जाता है। विषाणुओं के स्तर से कौन सा प्रसव कराना चाहिए, यह निर्धारित किया जाता है। अगर विषाणुओं का स्तर कम है तो प्राकृतिक प्रसव की संभावना रहती है, लेकिन अगर स्तर अधिक है तो सीजेरियन प्रसव कराया जाता है क्योंकि इससे शिशु के संक्रमित होने का जोखिम कम रहता है। यह बात इस पर भी निर्भर करती है कि आपका उपचार सही हो रहा ही या नहीं और उचित उपचार तभी हो सकता है जब गर्भवती स्त्री सही समय पर अपना एड्स का टेस्ट कराएगी।

 

गर्भावस्था के दौरान हर तीन महीने में एच आई वी का टेस्ट कराना अनिवार्य है। माँ के साथ-साथ पिता को भी यह टेस्ट कराना चाहिए ताकि एक स्वस्थ शिशु जन्म ले सके। दुनिया भर में एच आई वी पाजीटिव लोगों के पूरे इलाज के लिए कई शोध किया जा रहे हैं। अगर आप एच आई वी संक्रमित हैं और माँ बनना चाहती हैं तो भी बिना घबराएं मातृत्व का अनुभव कर सकती हैं, बस आपको पूरे इलाज, अच्छे मार्गदर्शन और कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।

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