बच्चों के विकास का एक अहम पल उनका चलना होता है। चलने की शुरुआत बच्चे पहले घुटनों के बल चल कर करते हैं। हालांकि क्रमिक विकास की यह अवस्था बच्चे के बिस्तर पर पांव चलाने से ही शुरु हो जाती है। इसके बाद बच्चों के घुटने मजबूत होते हैं और वह घुटनों के बल चलना शुरु करते हैं। इसे अंग्रेजी में क्रॉल करना कहते हैं। बच्चे अमूमन छह माह के बाद क्रॉल करना शुरु कर देते हैं लेकिन अगर इसके बाद भी बच्चे घुटनों के बल ना चलें तो यह दिक्कत हो सकती है। आज हम आपके लिए बच्चों के घुटनों के बल (Ghutane ke bal) चलने में देरी व उससे जुड़ी अन्य जानकारी लेकर आएं हैं।
बच्चे कब घुटनों के बल चलना शुरु करते हैं? (When Baby Start Crawling in Hindi)
अमूमन बच्चे छह माह के बाद घुटनों के बल चलना शुरु कर देते हैं। बच्चे शुरुआत में केवल हाथ पांव हिलाते हैं, संतुलन बनाते हुए आगे पीछे होते हैं और धीरे-धीरे घुटनों के बल चलते हैं। कुछ बच्चे जल्दी तो कुछ देर से चलते हैं। अगर बच्चे आठ महीने के बाद भी घुटनों के बल चलना शुरु नहीं करते हैं तो आपको उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बच्चों के घुटनों के बल ना चलने के कारण (Reasons for Delayed Crawling in Hindi)
कई बच्चे आठ माह के बाद भी घुटनों के बल नहीं चलते। यह बच्चों में अलग-अलग विकास दर के कारण भी हो सकता है। लेकिन बच्चों के घुटनों के बल ना चलने के कुछ प्रमुख कारण निम्न भी हो सकते हैं जिन पर आपको अवश्य ध्यान देना चाहिएः
#1. सही तरीके से टमी टाइम ना देना
बच्चों को पेट के बल लिटाने से वह हाथ पांव मारना सीखते हैं। इसे टमी टाइम कहते हैं। बच्चे के शारीरिक विकास व मोटर स्किल को विकसित करने के लिए यह बहुत अहम होता है। कई बार यह बेसिक गलती माता-पिता से हो जाती है और वे बच्चे को टमी टाइम नहीं देते हैं।
#2. लगातार गोद में रखना
अगर आप हर समय बच्चे को गोद में लेकर रखेंगी तो हो सकता है वह घुटनों के बल चलना जल्दी ना सीख पाए। बच्चों के शारीरिक विकास व हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी हैं कि वह अपने हाथ-पांव चलाएं। अगर बच्चा अपनी टांगों व बाजुओं का प्रयोग नहीं करेगा तो हो सकता है कि वह जल्दी चलना ना शुरु कर पाए।
#3. कमजोर हड्डियां
बच्चे अपना कौशल अलग-अलग ढंग से विकसित करते हैं। कुछ बहुत जल्दी ऐसा कर लेतें हैं तो वहीं कुछ को इसमें समय लगता है। अगर बच्चा छह माह के बाद भी उठना या आठ माह के बाद भी घुटनों के बल ना चलना शुरु करे तो आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यह एक संकेत हो सकता है कि बच्चे की हड्डियां कमजोर हैं या उसे कोई समस्या है।
#4. हड्डियों में कर्व या मुड़ाव होना
जन्म के समय बच्चों की हड्डियां मुलायम होती हैं। अगर यह थोड़ी मुड़ी हुई लगे तो डरे नहीं, कुछ समय के बाद मालिश से यह सीधी हो जाती हैं। पर अगर आठ माह के बाद भी हड्डियां सीधी ना हो तो डॉक्टर की सलाह लें। ध्यान रखें कि कभी भी बच्चों के हाथ या पांव की मालिश बहुत जोर से ना करें। यह हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर हड्डियां बेंड यानि मुड़ी हुई लगे तो पहले डॉक्टर की सलाह लें और फिर कोई काम करें।
#5. सेरेब्रल पाल्सी या बच्चों का लकवा
सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy) बच्चों में होने वाली बीमारी है जिसके कारण उनकी हड्डियों व मांसपेशियों का सही विकास नहीं हो पाता हैं। यह बच्चों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। दरअसल सेरेब्रल पाल्सी या बच्चों का लकवा जन्म के समय हुए किसी आघात, फिटल स्ट्रोक, प्रसव के समय ऑक्सीजन की कमी या नवजात शिशु के गिरने के कारण होता है। इसलिए अगर आपका बच्चा आठ माह तक भी घुटनों के बल नहीं चल पाता हैं तो कृप्या डॉक्टर से अवश्य दिखाएं और इस बीमारी पर राय लें। सही समय पर इसका पता लग जाने से इसका इलाज आसान हो जाता है।
कब डॉक्टरों को दिखाना होता है जरूरी
छह माह तक बच्चे अमूमन बैठना व आठ माह के बाद घुटनों के बल चलना शुरु कर देते हैं। अगर आपका बच्चा हाथ-पांव की मूवमेंट नहीं कर रहा हैं या अपना वजन नहीं संभाल पाता हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर आपके बच्चे के साथ निम्न बातें होती हैं तो आपको डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिएः
- अगर बच्चा छह माह के बाद भी हाथ-पांव को सही से नहीं मूव कर पाता हैं।
- अगर वह हाथ से किसी चीज को पकड़ नहीं पाता हो।
- अगर वह सहारा देकर बैठने के बाद भी लुढ़क जाता हो।
- आठ माह के बाद भी अगर बच्चा घुटनों के बल नहीं चलता हैं।
- जन्म के समय अगर बच्चे को मस्तिष्कघात हुआ हो या प्रसव के समय बच्चे को ऑक्सीजन की कमी हुई हो।
- छह माह से पहले बच्चे को सिर पर कोई बड़ी चोट लगी हो।
- अगर छह माह के बाद भी बच्चे के हाथ पांव की हड्डियों में मुड़ाव हो।
बच्चों को घुटनों के बल चलना सिखाने के लिए क्या करें
#1. बच्चों को प्रोत्साहित करें
छह माह के बाद शिशु को घुटनों के बल चलने के लिए प्रोत्साहित करें। आप उसके पसंदीदा खिलौनों को उससे कुछ दूरी पर रखें। फिर बच्चे को पेट के बल लिटा दें और उसे सरकने के लिए कहें। इससे बच्चा पहले धीरे-धीरे सरकना शुरु करेगा और फिर घुटनों व कोहनी की मदद से क्रॉल करने लगेगा।
#2. टमी टाइम को मिस ना करें
बच्चे के शुरुआती विकास के लिए टमी टाइम काफी अहम होता है। इसके लिए बच्चे को तीन से चार माह के बाद ही पेट के बल लिटाना शुरु करें। शुरुआत में केवल एक या दो मिनट तक ही उसे पेट के बल लिटाएं और फिर धीरे-धीरे यह समय बढ़ाएं। इससे वे मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिनकी जरुरत उसे घुटनों के बल चलने के लिए होती है।
#3. ज्यादा देर तक गोद में ना रखें
शिशु को ज्यादा समय गोद में न उठाए। अधिकांश घरों में शिशु को कोई ना कोई हमेशा गोद में उठाकर रखता है ऐसे में आपका शिशु जमीन पर कम समय बिताएगा। घर के सदस्यों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए। शिशु को नए कौशल सीखने का पर्याप्त समय दें, मगर हमेशा उस पर नजर बनाएं रखें।
#4. मालिश अवश्य करें
बच्चों के पांव व हाथ की मालिश बहुत जरूरी होती है। यह हड्डियों को टोन करने व मजबूती प्रदान करने में सहायक होती है। आप बच्चे की मालिश के लिए चाहे किसी भी तेल का प्रयोग करें बस यह ख्याल रखें कि मालिश अच्छे से दिन में कम से कम दो बार अवश्य करें। मालिश इतने हल्के हाथों से भी ना करें कि उससे कोई फायदा ना हो और इतनी जोर से भी ना करें कि बच्चा रोने लगे।
#5. कैल्शियम व अन्य पोषक तत्वों का रखें ध्यान
छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराएं। इस दौरान आप अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। आप कैल्शियम युक्त चीजों का सेवन अधिक करें। अगर छह माह के बाद भी बच्चे के हाथ व पांव कमजोर लगे तो डॉक्टर की सलाह लें और साथ ही इसके लिए आप कैल्शियम की ड्रॉप्स शुरु कर सकते हैं।
#6. चोट से बचाएं
कई बार बच्चे चोट लगने के कारण घुटनों के बल चलने से कतराते हैं। आप शुरुआत में बच्चों को बेड पर अपनी देखरेख में चलना सिखाएं। जब बच्चा बेड पर घुटनों के बल चलने लगे तो आप उसे जमीन पर उतारें। बच्चों के घुटनों की त्वचा बेहद नाजुक होती है, इसलिए शुरुआत में आप फर्श पर चादर या दरी बिछा सकती हैं। बच्चे को अगर आप बेड पर चला रही हैं तो उसकी सुरक्षा की पूरी तैयारी करके रखें व साथ ही उसे अपनी निगरानी में भी रखें।
सीधा चलना भी शुरु करते हैं बच्चे
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन कई बच्चे घुटनों के बल चलने के स्थान पर सीधे खड़ा होकर चलना ही शुरु कर देते हैं। दरअसल ऐसे केस में बच्चे घुटनों के बल चलने की अपेक्षा सहारा लेकर खड़ा होना जल्दी सीखते हैं। जब बच्चा जल्दी खड़ा होता है तो वह चलना भी जल्दी शुरु कर देता है। इस स्थिति में भी कई बार बच्चे 12 महीने या उससे भी लेट चलना शुरु करते हैं।
यहां यह अवश्य ध्यान में रखें कि बच्चों का घुटने के बल चलना पूरी तरह से उनकी क्षमता पर निर्भर करता है। कई बच्चे जल्दी तो कई कुछ अधिक समय लगाते हैं। अगर बच्चे की मोटर स्किल्स यानि हाथ पांव चलाने की आदत छह माह से पहले अच्छे से बन गई है तो वह घुटनों के बल भी चलना सीख जाते हैं। कुछ बच्चे देर से चलना सीखते हैं, पर आठ माह के बाद भी बच्चे घुटनों के बल चलना ना सीखें व किसी चीज को पकड़कर खड़ा ना हो तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
(यह जानकारी प्रेगा न्यूज द्वारा प्रायोजित है।)
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