जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तो वह समय उस महिला के लिए बहुत महत्वपूर्ण और संवेदनशील होता है। इस दौरान गर्भवती महिला को अपना पूरा ध्यान रखना होता है क्योंकि पहले 3 महीने में गर्भपात होने का डर अधिक होता है। कई बार तो पूरी सावधानियों के बाद भी गर्भपात (Garbhpaat or Abortion in Hindi) की समस्या का सामना करना पड़ता है।
जब महिला गर्भ धारण करती है तो उसकी छोटी सी चूक बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है जैसे कि गलत भोजन का सेवन करना, कोई दवाइयों का रिएक्शन या फिर शारीरिक स्वास्थ्य का ठीक ना होना इत्यादि।
परंतु गर्भावस्था के दौरान व प्रसव से पहले कुछ लक्षणों के माध्यम से गर्भपात होने के संकेत मिलते हैं। आप इन संकेतों के माध्यम से गर्भपात होने का अंदेशा लगा सकती है और आप समय पर इस परिस्थिति से अपना बचाव भी कर सकती हैं। तो आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में जो गर्भपात जैसे खतरे के बारे में आपको सूचित करते हैं। वैसे तो गर्भपात के कई लक्षण होते हैं परंतु इनमें गर्भपात के निम्न लक्षण (Garbhapat ke Lakshan) प्रमुख है जो इस प्रकार है:
योनि से लगातार रक्त स्राव या अत्यधिक खून बहना इसका लक्षण हो सकता हैं। यह भूरे या गहरे लाल रंग का होता है। इससे योनि में रुक-रुक कर खून बहने लगता है और खून बहने की मात्रा गर्भावस्था के सप्ताह पर निर्भर करती है।
खून बहने के पीछे हमेशा गर्भपात होना जरूरी नहीं है परंतु कुछ खास तरह से खून बहना जैसे बहुत ज्यादा मात्रा में खून बहना या खून भूरा या गहरा लाल होना या अचानक खून बहने लगना गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं।
जब पेट के निचले हिस्से में योनि के पास वाले हिस्से में अचानक से तेज दर्द उठता है तो यह गर्भपात की संभावना को ज्यादा बढ़ा देता है। अगर ऐसा कुछ होता है तो अपने डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। महावारी जैसी एंठन या दर्द भी गर्भपात की निशानी हो सकती हैं।
कई बार गर्भावस्था के दौरान योनि से खून के साथ-साथ बलगम, उत्तक या द्रव आने लगता है तो यह भी गर्भपात का एक गंभीर लक्षण है। इसमें खून के साथ सफेद और गुलाबी रंग के थक्के से निकलते हैं जो गर्भवती महिला के लिए चिंता का विषय है। यह गर्भाशय की थैली फटने का लक्षण हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान दूसरी तिमाही में जहां वजन बढ़ना चाहिए उस समय यदि वजन बढ़ने की बजाये घटने लगता है या घटना शुरू कर दे तो यह गर्भपात का एक लक्षण माना जाता है।
स्तनों में असहजता होना जैसे उनका ढीला पड़ना भी गर्भपात की ओर संकेत करता है।
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गर्भावस्था के शुरुआती अवस्था में किसी भी कारण से भ्रूण के नष्ट होने को गर्भपात कहते हैं। गर्भावस्था के पहले 3 महीने बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। कई बार प्रारंभिक गर्भपात के कारणों का पता भी नहीं चलता है और गर्भावस्था के पहले 13 सप्ताह के दौरान गर्भपात सबसे आम है। गर्भपात होने के कई कारण (Garbhapat ke karan) हो सकते हैं जो निम्न है:
#1. कई बार मां का शरीर भ्रूण को विकसित करने में असमर्थ रहता है जो गर्भपात का कारण बनता है।
#2. महिलाओं की बच्चेदानी में कोई कमी होने के कारण या माँ को कोई रोग जैसे मधुमेह, थायराइड या किडनी रोग भी गर्भपात का कारण बन सकता है।
#3. शुरुआती गर्भपात में संक्रमण जैसे रूबेला, लिस्टेरिया या क्लैमाइडिया भी गर्भपात का कारण हो सकते हैं।
#4. महिला की आयु पर भी गर्भपात निर्भर करता है। यदि महिला की उम्र 35 साल या उससे अधिक है तो गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
#5. धूम्रपान, शराब या नशीली दवाइयों इत्यादि का ज्यादा उपयोग भी इसका कारण बन सकता है।
#6. गर्भावस्था के दौरान ज्यादा कैफीन का उपयोग भी बहुत नुकसान पहुंचाता है व गर्भपात का कारण बन सकता है।
#7. महिला का अपने स्वास्थ्य व खानपान पर ध्यान ना देना भी इसका एक कारण हो सकता है।
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आमतौर पर गर्भपात को रोकना मुश्किल होता है क्योंकि यह एक सामान्य प्रक्रिया नहीं है परंतु थोड़ी सी सावधानी बरतकर हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं। इसलिए गर्भपात की संभावना कम करने के लिए स्वयं को गर्भावस्था के लिए समय से पहले तैयार करना भी आवश्यक है।
#1. खाने में पोष्टिक व संतुलित आहार ले।
#2. गर्भधारण के बाद धूम्रपान व शराब का सेवन करने से बचे।
#3. कैफीन का कम से कम मात्रा में प्रयोग करे।
#4. गर्भधारण के लिए अपने शरीर को पूरी तरह से पहले से तैयार रखे।
#5. अपने पेट की मालिश करे।
#6. प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले पोषक तत्व अधिक मात्रा में ग्रहण करे।
#7. संपूर्ण आराम व तनाव से दूर रहना गर्भपात से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।
#8. प्रतिदिन हल्का व्यायाम करे।
#9. खुद का शारीरिक और मानसिक तौर पर पूरा ध्यान रखे।
#10. गर्भधारण करने के बाद अपने डॉक्टर को नियमित रूप से जांच करवाएं।
गर्भपात शब्द सुनना बहुत बुरा लगता है और किसी स्त्री को गर्भपात होता है तो उस घर का पूरा माहौल तनावग्रस्त और उदास हो जाता है। अगर बार-बार गर्भपात होता हो या गर्भपात होने की आशंका हो तो नीचे दिए गए कुछ उपायों को अपनाना चाहिए। गर्भाशय को बचाने के लिए आयुर्वेद में बहुत कारगर उपाय बताए गए हैं।
जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता है उन्हें नियमित तौर पर लौकी का जूस या सब्जी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा सिंघाड़े का सेवन भी बहुत लाभदायक होता है।
जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात होता है तो उनकी कमर में धतूरे की जड़ का चार उंगली का टुकड़ा उबनी धागे में डालकर बांधे और 9 माह पूरे होने के बाद खोल दे।
100 ग्राम अनार के ताजा पत्ते पीसकर पानी में छान कर पिलाने से और पत्तों का रस को पेंडू पर लेप करने से गर्भस्राव रुक जाता है।
ढाक का पत्ता गर्भधारण करने में बहुत उपयोगी है। गर्भधारण के पहले महीने एक पत्ता, दूसरे महीने दो पत्ते, इसी प्रकार नौवें महीने में 9 पत्ते लेकर एक गिलास दूध में पकाकर सुबह व शाम को लेने चाहिए। यह एक बहुत ही कारगर उपाय है।
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शिवलिंगी के बीजों का चूर्ण और पुत्रजीवक गिरी दोनों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच सुबह शौच के बाद खाली पेट और नाश्ते से पहले और रात्रि के भोजन करने के 1 घंटे बाद गाय के दूध के साथ सेवन करे।
12 ग्राम जौ के आटे को 12 ग्राम काले तिल और 12 ग्राम मिश्री पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से गर्भपात से राहत मिलती हैं।
महिला का गर्भ धारण करते ही रोजाना आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलेठी को 250 ग्राम दूध में उबालकर पीने से गर्भपात से राहत मिलती है। यदि महिला को प्रसव पीड़ा तेज हो रही हो तो इसी प्रकार सौंठ पीने से पीड़ा कम होती है।
अंकुरित दाल, अनाज, बादाम, पिस्ता, किशमिश और सूखे मेवे विटामिन ई के अच्छे स्त्रोत है। इसलिए गर्भवती महिला को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। काले चने का काढ़ा इसमें बहुत लाभदायक है। नींबू पानी और नमक से विटामिन मिलता है इसलिए गर्भवती महिला को शिकंजी पीनी चाहिए।
यदि गर्भपात होने का भय हो तो तुरंत पीसी हुई चौथाई चम्मच फिटकरी एक कप दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय जब-जब दर्द हो तो हर दो 2 घंटे में एक खुराक दे।
अगर गर्भपात होने का डर हो या बार बार गर्भपात होता हो तो उनको गर्भ धारण करते ही 62 ग्राम सौंफ और 31 ग्राम गुलाब का गुलकंद पीसकर पानी मिलाकर एक बार रोजाना पीना चाहिए। साथ ही पूरे गर्भकाल में सौंफ का अर्क पीने से गर्भ स्थिर रहता है।
इन सब उपायों के साथ-साथ हर गर्भवती महिला को अपने खान-पान का पूरा-पूरा ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
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