गर्भावस्था में स्त्री को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना पड़ता है। इस स्थिति में माँ जो भी खाती हैं उसका सीधा प्रभाव शिशु पर पड़ता है। गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? इसको लेकर कई गलतफहमियाँ भी हैं जैसे कहा जाता है कि माँ गर्भावस्था में अगर अधिक चाय पीती है तो होने वाले बच्चे का रंग काला हो सकता है और मछली खाने से शिशु के शरीर पर सफेद दाग पड़ सकते हैं।
इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है ऐसे में गर्भावस्था में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या खाना फायदेमंद होता है और कौन सी वस्तु खाने से माँ और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है। जानिए गर्भावस्था के समय 10 मुख्य आहारों के बारे में, जो आपको खाने चाहिए।
हरी सब्जियां गर्भावस्था में खाये जाने वाले मुख्य आहारों में से एक है। सब्जियों में विटामिन, खनिज और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जो आपको इस स्थिति में अवश्य लेने चाहिए। हरी सब्जियों जैसे पालक, ब्रोकली, सोया, मेथी में आयरन के साथ-साथ विटामिन और कैल्शियम होते हैं जो शरीर को पोषण देते हैं।
हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करने से गर्भावस्था में होने वाली कब्ज की समस्या नहीं रहती, इसके साथ ही पाचन क्रिया भी सही रहती है व गर्भावस्था में होने वाली कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है| शकरकंद में भी विटामिन A पाया जाता है जिससे शिशु का विकास अच्छे से होता है।
गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए उसे पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलना चाहिए। इसके लिए अपने आहार में दूध या दूध से बनी चीज़ों को शामिल करना बेहद जरूरी है जैसे कि दही, घी, मक्खन आदि। इसके साथ ही महिलाओं को भी इस समय कैल्शियम को ज़रूरत होती है ताकि उनकी हड्डियां मजबूत हो और गर्भ में शिशु की हड्डियों का निर्माण भी सही से हो सके। लेकिन ध्यान रखे कि इस दौरान कच्चा दूध न पीएं। लेकिन पहले 3 महीने दूध ना ले|
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अपने आहार में दालों को शामिल करना भी बेहद आवश्यक है जैसे कि सोयाबीन, मूंग की दाल, चना दाल आदि। दालें प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत हैं और गर्भावस्था में शिशु के विकास के लिए प्रोटीन जरूरी होता है।
इसके साथ ही दालों में फाइबर, विटामिन B9 ,आयरन और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। जो महिलाएं मांस, मछली का सेवन नहीं करती हैं उनके लिए अपने आहार में दालों को शामिल करना बहुत जरूरी हो जाता है। अंकुरित दालों को अपने आहार में शामिल करके अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ लौह तत्व भी पाए जा सकते हैं।
फल विटामिन, खनिज और फ़ाइबर का अच्छा स्त्रोत होते हैं इसके साथ ही इनके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती। कुछ फलों को लेकर भ्रांतियां हैं जैसे पपीता खाने से गर्भपात का खतरा रहता है या केले के सेवन से कब्ज हो सकती है। संतुलित मात्रा में किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से शरीर में कोई हानि नहीं होती। गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में मौसमी फलों को अवश्य शामिल करना चाहिए।
गर्भावस्था के खाने के साथ-साथ क्या पीना है इसका भी ध्यान रखना चाहिए। पेय पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें जैसे पानी और जूस। ध्यान रखे कि पानी को हमेशा उबाल कर ही पीए और जूस भी ताज़ा हो। डिब्बे में बंद जूस का सेवन न करें क्योंकि इनमें अधिक चीनी होती है जिससे गर्भावस्था में कई रोग हो सकते हैं।
एक दिन में दो से तीन लीटर पानी पीएं। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती, शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं व आप और आपका बच्चा भी कई रोगों से छुटकारा पाता हैं। पहले 3 महीने नारियल पानी ना ले|
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गर्भावस्था में ताज़े फलों को आहार में शामिल करना तो आवश्यक है ही, इसके साथ मेवों का सेवन करके भी आपको पोषक-तत्व प्राप्त हो सकते हैं। काजू, बादाम,खजूर और अखरोट आदि शरीर में प्रोटीन और वसा की कमी नहीं होने देंगे जिससे आप अच्छा महसूस करेंगे। ऐसा भी माना जाता है कि अगर गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में खजूर को रोजाना खाया जाए तो प्रसव में आसानी होती है।
अंडा एक ऐसा आहार है जो गर्भावस्था में उचित पोषक तत्व प्रदान करता है। अंडे में विटामिन, प्रोटीन और अन्य कई पोषक तत्व होते हैं, इसके साथ ही इसमें पाया जाने वाला विटामिन B होने वाले शिशु के दिमाग का विकास करता है| इसलिए गर्भवती स्त्री को इसे अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए जो हड्डियों और मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी है।
अगर आप मांसाहारी हैं तो गर्भावस्था में अपने आहार में मांस मछली शामिल करना प्रोटीन पाने का अच्छा तरीका है। मांस-मछली में भी प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते है जिसकी गर्भावस्था में आवश्यकता होती है। चिकन और बकरे के मीट में विटामिन बी12 पाया जाता है जो गर्भ में पल रहे शिशु के दिमागी विकास के लिए जरूरी है।
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गर्भावस्था में अनाज जैसे गेहूँ,ज्वार, बाजार, मक्का आदि को आहार में शामिल करके भी आप पोषक तत्व पा सकते हैं। सही मात्रा में इनका सेवन करने से वजन संतुलित रहता है और इनसे फाइबर, विटामिन व कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं। यह अनाज आसानी से पच भी जाते हैं।
गर्भावस्था में अधिक चीनी या नमक वाले खाने से परहेज करना चाहिए। इस अवस्था में हमेशा आयोडीन युक्त नमक का ही सेवन करना चाहिए। आयोडीन की कमी का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर अधिक पड़ता है और बच्चे को कई रोग हो सकते हैं। गर्भवती स्त्री को अधिक तला भुना या मसाले वाले भोजन से दूर रहना चाहिए।
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