प्रेगनेंसी का अनोखा और अद्भुत अनुभव स्त्री को संपूर्ण बनाता है। यह नौ महीने स्त्री के लिए मुश्किल होने के साथ-साथ बेहद सुखद भी होते हैं। यही नहीं, इन नौ महीनों में महिला कई मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरती है। गर्भावस्था के नौ महीनों (Pregnancy Stages) को तीन चरणों यानि ट्राईमेस्टर में बाँटा गया है जिसमें पहले तीन महीनों को प्रथम चरण, चौथे से लेकर छठे महीने को दूसरा चरण और सातवें से लेकर नौवें महीने को तीसरा चरण कहा जाता है। ये तीनों चरण बेहद महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें महिला को अपना ख़ास ध्यान रखना चाहिए। अगर आप गर्भवती हैं तो आपको इन तीनों तिमाही व ट्राईमेस्टर के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। आइये जाने सबसे पहले पहली तिमाही (First Trimester of Pregnancy) यानी पहले चरण के बारे में।
गर्भावस्था के पहले चरण में गर्भावस्था के पहले महीने से तीसरे महीने का समय आता है। पहले महीने तो अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के लक्षणों का अनुभव नहीं होता लेकिन कई महिलाएं कुछ अलग बदलाव महसूस करती हैं जैसे कि:
गर्भावस्था के पहले महीने में जो सबसे पहला बदलाव महिला के शरीर में आता है वो है मासिक धर्म का ना आना। यह गर्भावस्था का पहला संकेत है।
गर्भावस्था के पहले चरण में महिला को बहुत अधिक थकावट होती है। थोड़ा काम करने पर ही वो थक जाती है। कई महिलाओं को पहले चरण में बहुत अधिक नींद आती है।
पहले चरण में उलटी आना और जी मचलना भी बहुत सामान्य है। यह सुबह के समय अधिक होता है इसलिए इसे मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है। इसके साथ ही सुगंध को लेकर महिला का शरीर बहुत संवेदनशील हो जाता है जिसके कारण किसी भी सुगंध से महिला को उलटी, चक्कर आना जैसी परेशानियां होती हैं।
गर्भावस्था के पहले चरण में स्तन सामान्य से अधिक सूजे हुए और संवेदनशील हो जाते है इसके साथ ही स्तनों में दर्द भी होता है।
गर्भावस्था के पहले कुछ महीनों में महिलाओं की भूख में भी परिवर्तन आता है। किन्ही महिलाओं को बहुत अधिक भूख लगती है तो कुछ महिलाओं का कुछ भी खाने का मन नहीं करता।
गर्भ में शिशु का विकास पहले महीने से ही शुरू हो जाता है ऐसे में महिला के वजन में भी बहुत परिवर्तन आते है। इस दौरान महिला का वजन बढ़ना भी स्वभाविक है।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में कब्ज की परेशानी हो सकती है। ऐसा हार्मोन्स में बदलाव आदि के कारण होता है। यही नहीं कई महिलाएं अपच और गैस जैसे रोगों का भी सामना करती हैं। इससे बचने के लिए आप शारीरिक रूप से एक्टिव रहें और फ़ाइबर युक्त आहार लें। इसके साथ ही अधिक पानी पीने से कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में शिशु का विकास तेज़ी से हो रहा होता है, इससे गर्भाशय का आकार बढ़ता है। गर्भाशय के बढ़ने से मूत्राशय पर भी दबाव पड़ता है जिसके कारण गर्भावस्था में बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। हालाँकि जैसे-जैसे गर्भाशय का आकार बढ़ता है, वैसे-वैसे यह समस्या बढ़ती जाती है।
अधिकतर महिलाओं को शुरुआत के कुछ महीने योनि से डिस्चार्ज होने की शिकायत रहती है। अगर यह डिस्चार्ज सफेद रंग का हो तो यह बेहद आम है लेकिन अगर यह पीले, हल्का लाल या अन्य किसी रंग का हो और उससे दुर्गंध आ रही हो तो यह चिंता की बात हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
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गर्भावस्था की पहली तिमाही में क्या खाएं (Whats to Eat During First Trimster) और क्या न खाएं, इस बात पर खास ध्यान देना बेहद आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान अधिक लाल रक्त कोशिकाएं बनती हैं जिनके कारण शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह होता है। गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में थकावट अधिक होती है और उसका कारण है अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का बनना। ऐसे में आपको अधिक आयरन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए ताकि आपके शरीर में खून की कमी न हो और आपको अनीमिया न हो। इसलिए आयरन युक्त आहार जैसे अनाज, हरी सब्जियां जैसे कि पालक, चुकंदर, किवि, अनार, अंडे और मांस मछली आदि का सेवन करें।
हार्मोन्स में होने वाले परिवर्तन के कारण महिलाएं पहले तीन महीनों में कब्ज और पाचन तंत्र में समस्या का सामना करती हैं। कब्ज से बचने के लिए फ़ाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें जैसे कि साबुत अनाज, फल, सब्ज़ियाँ आदि। इसके साथ ही पानी और अन्य तरल पदार्थों को भी अवश्य लें।
गर्भावस्था में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त आहार की आवश्यकता अधिक होती है ताकि हड्डियाँ मजबूत हों और मांसपेशियों का अच्छे से विकास हो। इसके लिए दूध और दूध से बनी चीज़ों जैसे कि दही, मक्खन, पनीर आदि का सेवन करे।
फ्लोलिक एसिड युक्त आहार भी गर्भाशय में कई समस्याओं को कम करता है। ऐसे में संतरा, नींबू, आंवला आदि को खाने से फोलिक एसिड प्राप्त होता है और इसके साथ ही यह खट्टे फल पेट की समस्याओं को कम करने में भी सहायक है।
अपने आहार में साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओट्स आदि को अवश्य शामिल करें। यह विटामिन बी और ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत हैं, इसके साथ ही फाइबर युक्त होने के कारण कब्ज की समस्या नहीं होती।
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पहली तिमाही (First Trimster) में अधिकतर महिलाओं को बहुत अधिक नींद आती है। आपको अपने शरीर के संकेतों को समझते हुए पूरा आराम करना चाहिए। अपनी नींद को पूरा करें ताकि आप अच्छा महसूस करें।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में पौष्टिक भोजन ग्रहण करें ताकि आप और आपका बच्चा स्वस्थ रहें। इसके साथ ही शिशु के सही विकास के लिए भी सही और पौष्टिक आहार ग्रहण करना जरूरी है। कच्चे अंडे और मांस, कैफीन युक्त आहार, शराब, सिगरेट, तम्बाकू, जंक फूट जैसी चीज़ों को बिल्कुल भी न खाएं।
अपनी पहली तिमाही से ही जरूरी सप्लीमेंटस अवश्य लें। आपके लिए कौन से सप्लीमेंट्स आवश्यक है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से राय लें और उसके बाद ही उन्हें खाएं। अपनी मर्ज़ी से किसी भी दवाई को खाने से बचे।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपको नियमित रूप से चेक-अप और आवश्यक टेस्ट करवाने चाहिए। ब्लड, यूरिन, अल्ट्रासाउंड और अन्य टेस्टों की मदद से आप गर्भ में पल रहे शिशु के विकास और स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जान पाएंगे। अगर कोई समस्या हो तो समय रहते ही उनका इलाज करना आसान होता है।
प्रेगनेंसी का यह अर्थ नहीं है कि आप आराम करती रहें। अपनी शारीरिक गतिविधियों पर भी ध्यान दें। इस दौरान चिड़चिड़ापन और तनाव होना भी सामान्य है इसलिए इससे बचने के लिए व्यायाम और योग का सहारा लें। गर्भावस्था की पहली तिमाही में व्यायाम और योग के आसन करने से पहले इसके बारे में सबसे पहले किसी विशेषज्ञ से आवश्यक जानकारी ले लें।
हार्मोन्स के बदलाव के कारण पहली तिमाही (First Trimester) में मानसिक रूप से भी आपको परेशानियां आ सकती हैं। इस दौरान लोग भी तरह-तरह की सलाहें आपको देंगे। सबकी गर्भावस्था का अनुभव अलग होता है ऐसे में किसी की बातों में आकर नकारात्मक न सोचे बल्कि सकारात्मक रहें। खुश रहे और वो सब करे जो आपको पसंद है। चिंता करना या तनाव में रहना गर्भावस्था में आपकी जटिलताओं को बढ़ा सकता है।
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