मेरा गर्भावस्था का समय बेहद सुखद था। नौ महीने के इस समय में मैने हर पल का मज़ा लिया लेकिन जैसे-जैसे डिलीवरी का वक्त नजदीक आया, मुझे कुछ अजीब से डर सताने लगे जो डिलीवरी के समय तक मेरे मन में थे। हर महिला इस चरण से गुजरती है जब उसके मन में अजीब से सवाल और भय होते हैं। डिलीवरी के समय (Delivery ke time dard) महिला को असहनीय दर्द होता है और इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता।
लेकिन प्रसव के दौरान होने वाली समस्याओं या पीड़ा के बारे में दूसरे लोगों से सुनना या पढ़ना अक्सर होने वाली माँ को और भी परेशान कर देता है। खासतौर पर अगर यह आपका पहला प्रसव है तो यह डर और भी ज्यादा बढ़ जाता है। जानिए ऐसे ही कुछ डरों (Fears during Delivery) के बारें में जो प्रसव के दौरान परेशान करते हैं और जानिये उनसे कैसे रह सकती हैं आप दूर।
#1. दर्द (Pain)
डिलीवरी के समय होने वाला दर्द सबसे अधिक चिंता या डर (Delivery ka Dar) का विषय होता है। अधिकतर महिलाएं इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि वो डिलीवरी के दौरान होने वाली दर्द को सहन कर पाएंगी या नहीं? अगर प्रसव सामान्य है तो डिलीवरी के समय दर्द होना स्वभाविक है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि हर गर्भवती महिला को प्रसव के समय समान पीड़ा हो।
लेकिन चिंता न करें, महिला के शरीर को इसके लिए बनाया गया है यानी आप इस दर्द को पूरी तरह से सहन करने में सक्षम हैं। सबसे पहले खुद को मानसिक रूप से तैयार करें। सकारात्मक रहें, गर्भावस्था के समय से ही शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, पौष्टिक आहार लें और योग करें। इससे जीवन के इस चरण को आप आराम से पार कर लेंगी।
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#2. सामान्य या सी-सेक्शन प्रसव (Normal or c-section delivery)
क्या मेरा सामान्य प्रसव होगा या सी-सेक्शन, गर्भवती महिला के लिए डिलीवरी के समय यह भी एक बहुत बड़ा भय होता है। आजकल के आधुनिक युग में सी-सेक्शन की संभावना बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। ऐसे में ऐसा भय कोई असामान्य नहीं है।
एक बात जान लें कि अस्सी प्रतिशत मामलों में सामान्य प्रसव की ही संभावना होती है। बहुत कम मामलों में या विषम परिस्थितियों में ही सी-सेक्शन का सहारा लिया जाता है जिनमें से कई बार डॉक्टर प्रसव से ही पहले बता देते हैं कि आपकी डिलीवरी सामान्य होगी या सी-सेक्शन। इसलिए फिक्र न करें और अपने डॉक्टर से पहले ही इस बारे में बात कर लें।
#3. समय (Time)
होने वाली माताएं खासकर जो पहली बार माँ बन रही होती हैं, उनके मन में एक डर यह भी रहता है कि जब मुझे प्रसव पीड़ा शुरू होगी, तब क्या मैं सही समय पर अस्पताल पहुंच पाऊँगी? दरअसल ऐसे कई किस्से सुनने को मिलते हैं जिसमें कई माताएं अपने बच्चे को अस्पताल पहुंचने से पहले, गाड़ी या घर में ही जन्म दे देती हैं।
ऐसे में इस बात का भय भी हर स्त्री को रहता है। इस बात को लेकर भी आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि प्रसव से पहले महिला को बहुत सी चेतावनियां मिलती हैं। जैसे पीठ में बहुत अधिक दर्द, तीव्र ऐंठन, संकुचन या पानी की थैली का फटना आदि। इन चेतावनियों पर ध्यान दें और अगर कोई समस्या हो तो शीघ्र डॉक्टर से सम्पर्क करें।
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#4. शिशु सम्बन्धी डर (Fear related to child)
प्रसव के समय माँ का अपने शिशु को लेकर चिंतित होना स्वभाविक है। उसके मन में कई तरह के सवाल आते हैं जैसे कहीं प्रसव के दौरान कोई समस्या न हो जाए। प्रसव के दौरान मेरा और मेरे शिशु का स्वास्थ्य ठीक रहेगा? या होने वाला शिशु कैसा होगा? डिलीवरी के समय उसे कोई समस्या तो नहीं होगी?
ऐसे विचार मन में आना बहुत सामान्य है। किंतु इन विचारों को अपने दिमाग से निकाल कर सकारात्मक और शांत रहें, खुद पर भरोसा रखें, सब कुछ आपकी इच्छा के अनुसार ही होगा।
#5. एपीड्यूरल (Epidural)
हर स्त्री को डर होता है कि प्रसव के दौरान एपीड्यूरल का प्रयोग न करना पड़े। एपीड्यूरल इंजेक्शन सामान्य इंजेक्शन से बड़ा होता है और इसके लगने से कुछ देर तक जलन या अजीब सी स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए स्त्री को इसका भय भी रहता है।
दरअसल एपीड्यूरल के प्रयोग से प्रसव में दर्द नहीं होता। इस बारे में भी अपने चिकित्सक से बात करें वो आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे जिससे आपको अपने डर को दूर करने में मदद मिलेगी। अपने इस डर से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करें और अपने आपको शांत रखें।
#6. चीरफाड़ (Operation)
सी-सेक्शन प्रसव में चीरफाड़ के दौरान दर्द का अहसास नहीं होता लेकिन सामान्य प्रसव में भी योनि में टांके लगाए जाते हैं और उस समय स्त्री को दर्द का पूरा अहसास होता है। प्रसव पीड़ा के साथ-साथ महिला को जब टांके लगते हैं तो उस समय होने वाली पीड़ा का भी अनुभव होता है।
यह बात सही है लेकिन इसमें भी परेशान होने वाली बात नहीं है क्योंकि यह दर्द केवल कुछ ही समय का होता है और यह टांके भी बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं। यह एक मामूली चीरफाड़ है।
अपने इन डरों (Pregnancy Mein Dar) पर काबू पाने की कोशिश करें। इसके लिए ऐसी अफवाहों और प्रसव से संबंधित डराने वाली कहानियों पर विश्वास न करें। लोगों के नकारात्मक अनुभवों को न सुनें।
अगर आपके दिमाग में कोई भी डर (Anxiety During Pregnancy) है तो अपने डॉक्टर या किसी अनुभवी व्यक्ति से बात करें। शांत रहें, मैडिटेशन करें और सकारात्मक लोगों से मिलें। अपना यह कीमती समय उन लोगों के साथ बिताऐं जो आपका साथ देते हैं। इससे आप मजबूत और आत्मविश्वास से भरपूर महसूस करेंगी।
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