गर्भ में पल रहे बच्चे पर कैसे असर करता है ध्वनि प्रदूषण

गर्भ में पल रहे बच्चे पर कैसे असर करता है ध्वनि प्रदूषण

जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तब उसके कान का बाहरी हिस्सा, बीच वाला हिस्सा और अंदरूनी हिस्सा 24 सप्ताह में जाकर पूरे तरीके से बन जाता है। गर्भावस्था के दौरान ध्वनि प्रदूषण का आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जब शिशु गर्भ में तेज आवाज सुनता है तो वह एकदम से उठता है और जंप करने लगता है। इसलिए यह जरूरी है कि गर्भवती महिला को ज्यादा शोर शराबे वाले माहौल से दूर ही रहना चाहिए, वहीं उसके और उसके बच्चे के लिए बेहतर है। तो आइए जानते हैं ध्वनि प्रदूषण का गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या-क्या प्रभाव (Effects of noise pollution on Fetus) होता है।   महिलाएं जो गर्भावस्था में है और उन फैक्ट्री में काम करती है जहां बहुत शोर शराबा होता है या वह महिलाएं जो बहुत शोर शराबे वाले इलाके में रहती हैं तो यह लेख पढ़ना उनके लिए बहुत आवश्यक है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो महिलाएं 85 डेसिबल ध्वनि से ज्यादा के वातावरण में रहती है, यह वातावरण उन महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत खतरनाक साबित (Harmful Effect of Noise Pollution on Fetus) हो सकता है। इससे बच्चों को सुनने की शक्ति और दूसरी अन्य बीमारियां भी हो सकती है अथवा बच्चों की जान को भी खतरा पहुंच सकता है। अधिक तेज आवाज प्री-मेच्योर बर्थ और गर्भपात का भी कारण बन सकता है।  

गर्भ में पल रहे बच्चे पर ध्वनि प्रदूषण के बुरे प्रभाव (Bad Effects of Noise Pollution on Fetus in Hindi)

#1. लगातार शोर शराबे के प्रभाव से मां के पेट में उच्च रक्तचाप और शिशु में जन्मजात असमानताएं पैदा हो सकती हैं जो की मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत हानिकारक होती है। #2. जानवरों पर की गई रिसर्च से यह पाया गया है कि ऊंचे स्तर की ध्वनि प्रदूषण से गर्भ में पल रहे बच्चे पर इतना बुरा असर पड़ता है कि उनका विकास अच्छे से नहीं हो पाता जिससे आगे चलकर कई रुकावटो का सामना करना पड़ता है। मनुष्यों पर भी ऐसा ही परिणाम देखने को मिलता है। Also Read: How Air Pollution affect Kids 

#3. तेज आवाज के कारण बच्चों में कम गतिविधि और परिपक्वता होती है जो आगे चलकर उनमें असामान्य व्यवहार, धीमी गति से सीखना इत्यादि होने की संभावना बढ़ जाती है। #4. कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हवाई अड्डे के पास रहती है और रोज ही तेज ध्वनि वाले संगीत सुनना पसंद करती है तो यह उनके बच्चे के लिए काफी खतरनाक साबित हुआ है। ऐसी स्थिति में बच्चा कमजोर होता हैं या फिर समय से पहले ही जन्म ले सकता है जिसे हम प्री मेच्योर डिलीवरी के नाम से जानते हैं। #5. ज्यादा ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) से कई बार गर्भपात भी हो जाने का खतरा हो सकता है। #6. ज्यादा शोर से गर्भवती महिला में तनाव भी बढ़ता है जिससे महिला के शरीर के साथ-साथ उसके पेट में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचता है। Also Read: How to Keep Kids Safe from Diwali Noise

गर्भ में पल रहे बच्चों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए कुछ सावधानियां (Things to Remember to Protect Fetus from Noise Pollution)

आमतौर पर शिशु माँ के पेट में अम्निओटिक द्रव (Amniotic Fluid) में रहता हैं। उसके लिए बाहर की ध्वनि वैसे ही होती हैं जैसा की आप और हम पानी के अन्दर सुनते हैं। लेकिन ज्यादा तेज आवाज़ उनके लिए हानिकारक हो सकती हैं। दीपावली का त्यौहार भी नजदीक हैं और उस दिन पटाखों का बहुत शोर भी होगा। अगर आप इस भ्रम में हैं कि आप अपने कानों को बंद कर लेंगी तो आपका बच्चा भी उन आवाजों को नही सुन पायेगा तो आप गलत हैं। क्योंकि बच्चा आपके पेट से बाहर की आवाजो को सुनता हैं।
  ऐसी ध्वनि जिनमें कम्पन्न ज्यादा होता हैं वह बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचती हैं। इसलिये गर्भावस्था के दौरान आप जितना इस चीज़ का ध्यान रखे उतना सही हैं। घर के आसपास अगर लोग पटाखे जला रहे हो तो उन्हें बता दें कि आपको समस्या है वह थोड़ी दूर जाकर यह पटाखे जलाएं। इसके अलावा आप तेज़ आवाज़ वाले वातावरण में भी जाने से बचे जैसे कि लाउडस्पीकर, कोई कॉन्सर्ट या फंक्शन जहाँ तेज़ आवाज़ हो। घर पर भी तेज़ आवाज़ में ना गाने सुने और साथ ही घर के अन्य लोगों को भी इस बारे में आगाह करें। Also Read: Brain Development Tips for Kids in Hindi क्या आप एक माँ के रूप में अन्य माताओं से शब्दों या तस्वीरों के माध्यम से अपने अनुभव बांटना चाहती हैं? अगर हाँ, तो माताओं के संयुक्त संगठन का हिस्सा बने। यहाँ क्लिक करें और हम आपसे संपर्क करेंगे।

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